UP News: दुनिया में बढ़ते मंकी पॉक्स के खतरे को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है. अब इसको लेकर भारत भी पूरी तरह अलर्ट मोड पर है. BHU-IMS भी इस वायरस को लेकर पूरी तरह चौकन्ना है. मंकीपॉक्स वायरस को लेकर एक्सपर्ट का कहना है कि भारत में मंकी पॉक्स के कुछ केस बीच-बीच में रिपोर्ट हुए हैं. प्रमुख तौर पर दो रूट है ट्रांसमिशन के जिसमें पहला इनफेक्टेड लोगों के संपर्क में आने से और दूसरा सेक्सुअल ट्रांसमिशन से. लेकिन यह देश के लिए राहत की बात है कि मार्च 2024 के बाद से मंकी पॉक्स का कोई भी केस सामने नहीं आया है.
1980 के बाद पैदा हुए लोगों कों खतरा ज्यादा
BHU-IMS के डॉ. गोपाल नाथ ने ABP लाइव से बातचीत में बताया कि इसमें कोई संदेह नहीं कि 1980 के बाद जो लोग पैदा हुए हैं उनके मंकी पॉक्स से इनफेक्टेड होने का खतरा सबसे ज्यादा है. फिलहाल अभी स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में है. लेकिन अगर आने वाले समय में वैक्सीन की आवश्यकता पड़ेगी तो हमारी चिकित्सा सुविधा आज के समय में बहुत बेहतर है. देश के चिकित्सकों की टीम इस वायरस के रोकथाम के लिए कम समय में वैक्सीन को विकसित करने में पूरी तरह सक्षम है.
लक्षण पता चलते ही आइसोलेट होना बेहतर
विशेष तौर पर इसके अधिक लक्षण चिकन पॉक्स से मिलते हुए बताए जा रहे हैं. हेल्थ एक्सपोर्ट का कहना है कि उन लोगों को सबसे पहले लक्षण पता चलते ही आइसोलेट कर लेना चाहिए. मरीज के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाला हर एक वस्तु को अलग रखना चाहिए. अन्य कोई दूसरा व्यक्ति उसका इस्तेमाल किया हुआ सामान न उपयोग करें. जैसे ही इसके लक्षण का पता चलता है चिकित्सक से तुरंत संपर्क करना चाहिए और खुद को पूरी तरह से आइसोलेट कर लेना चाहिए.
कोरोना-मंकी पॉक्स में कौन ज्यादा खतरनाक
कोरोना से मंकी पॉक्स काफी अलग है. मंकी पॉक्स की तुलना में कोरोना में इन्फेक्शन का ज्यादा खतरा था. सांस और हवा के प्रभाव की वजह से भी लोग कोरोना की चपेट में आ रहे थे. लेकिन मंकी पॉक्स में ऐसी स्थिति नहीं है. मंकी पॉक्स में जब तक क्लोज कांटेक्ट नहीं होगा तब तक इन्फेक्शन नहीं फैलेगा.
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