प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)  ने किसान आंदोलन के केंद्र में शामिल तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws) को वापस लेने की घोषणा कर दी है. उनके मुताबिक इसकी प्रक्रिया इस महीने के अंत में शुरू होगी. लेकिन आंदोलन कर रहे किसान (Farmer) और किसान संगठन 3 काननों को वापस लेने के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाने की भी मांग कर रहे हैं. देश के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि इसके लिए एक कमेटी गठित की जाएगी. किसी फसल की एमएसपी वह किमत होती है, जिसके नीचे उस फसल की खरीद नहीं हो सकती. एमएसपी सरकार तय करती है. लेकिन इसको लेकर अभी कोई कानून नहीं है. किसान संगठनों की मांग है कि इसपर कानून बनाकर एमएसपी से कम पर खरीद को अपराध बनाया जाए.


आंदोलन कर रहे किसानों की मांगें क्या-क्या हैं?


अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक कमेटी बनाने की घोषणा की. कमेटी में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के अलावा कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री शामिल किए जाएंगे. प्रधानमंत्री ने देश के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि पांच दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की मुश्किलों, चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है. इस दौरान उन्होंने किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए अपनी सरकार की ओर से उठाए कदमों की भी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कृषि बजट पर हर साल 1.25 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जा रहे हैं. 


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प्रधानमंत्री के इस कदम का किसान संगठनों ने स्वागत तो किया है. लेकिन उनका कहना है कि एमएसपी का कानून बनने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार एमएसपी पर भी बात करे. किसान संगठनों की मांग है कि सराकर कानून बनाकर एमएसपी की गारंटी दे. किसान संगठनों और कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक एमएसपी पर कानून नहीं बन जाता, तब तक कृषि संकट खत्म नहीं होगा. जिस तरह सरकार ने किसान आंदोलन के आगे झुकते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, उसे देखते हुए लगता है कि सरकार एमएसपी पर कानून भी बनाएगी. 


क्या है एमएसपी और कौन तय करता है कीमत?


कमिशन फॉर एग्रीकल्चर कास्ट एंड प्राइस यानि की कृषि लागत एवं मूल्य आयोग ( सीएसीपी) हर साल रबी और खरीफ की फसलों का एमएसपी तय करती है. वहीं गन्ने का समर्थन मूल्य गन्ना आयोग तय करता है. सीएसीपी अपनी सिफारिशें सरकार को देती है. उन्हीं सिफारिसों के आधार पर सरकार एमएसपी की घोषणा करती है. 


किन किन फसलों की एमएसपी तय की जाती है?


हर साल रबी और खरीफ की 23 फसलों की एमएसपी सरकार तय करती है. इनमें धान, गेहूं, मक्का, जौ, बाजरा, चना, तुअर (अरहर), मूंग, उड़द, मसूर, सरसों, सोयाबीन, सूरजमूखी, गन्ना, कपास, जूट जैसी फसलों की एमएसपी सरकार तय करती है. इन 23 फसलों में 7 अनाज, 5 दलहन, 7 तिलहन और 4 कामर्शियल फसले शामिल हैं. सरकार ने 2004 में कृषि सुधारों के लिए स्वामीनाथन समिति का गठन किया था. इस समिति ने सुझाव दिया था एमएसपी औसत उत्‍पादन लागत से करीब 50 प्रतिशत अधिक होना चाहिए.


सरकार एमएसपी की घोषित तो कर देती है. लेकिन कई जगह सरकारी मंडियों में फसलों की खरीद एमएसपी पर नहीं होती है. पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश से ऐसी खबरें आती रहती हैं. वहीं उत्तर प्रदेश-बिहार जैसे राज्यों में मंडियां उतनी नहीं हैं, जितनी होनी चाहिए. इसलिए किसान अपनी फसल औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर होते हैं. 


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