Agra News: आगरा को अग्रवालों की राजधानी कहा जाता है. देश में सबसे ज्यादा अग्रवाल आगरा जनपद में ही रहते हैं और आजादी के बाद से आगरा उत्तर सीट जो कभी आगरा पूर्वी सीट के नाम से जानी जाती रही है. उसमें पहले आम चुनाव से लेकर साल 2022 के विधानसभा चुनाव तक अगर साल 1977 विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो वैश्य समाज का व्यक्ति विधानसभा पहुंचता रहा है. ऐसे में अभी हाल ही में भारतीय जनता पार्टी का जिस नगर निगम में बहुमत है. वहां तीन बड़े कदम उठाए गए हैं. इसे अग्रवाल समाज को सहेजने की बड़ी कवायद कहा जा रहा है.
नाम बदलने की सियासत से बीजेपी की हिंदुत्व की विचारधारा को भी बल मिल रहा है. उदाहरण के तौर पर कमला नगर के प्रमुख मार्गों में से एक मुगल रोड को अब महाराजा अग्रसेन मार्ग के नाम से जाना जाएगा. बकायदा नगर निगम में प्रस्ताव पास करके मेयर ने इस सड़क का नाम महाराजा अग्रसेन मार्ग रखने की औपचारिकता पूरी कर दी है. वहीं, दूसरी तरफ सुलतानगंज की पुलिया अब विकल चौक के नाम से जानी जाने लगी है. अग्रवाल समाज से ताल्लुक रखने वाले सत्यप्रकाश विकल के नाम पर विकल चौक नाम रखा गया है. सत्य प्रकाश विकल जनसंघ के जमाने से भारतीय जनता पार्टी के आजीवन बड़े नेता के तौर पर जाने गए जो कल्याण सरकार में मंत्री रहे और पांच बार विधायक भी रहे.
आगरा से मेयर नवीन जैन ने कही ये बात
वहीं दूसरी तरफ सिटी स्टेशन रोड पर जन्मे विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष रहे और राम मंदिर आंदोलन में जिनकी एक बड़ी पहचान रही स्वर्गीय अशोक सिंघल के नाम से आजम खां रोड का नाम बदला गया है. इसको लेकर आगरा से मेयर नवीन जैन कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी महापुरुषों को उचित सम्मान दे रही है. हमने न केवल अग्रवाल समाज के महापुरुषों के नाम पर चौक चौराहा और मार्गों का नाम रखा है बल्कि अन्य जातियों से जुड़े हुए जो महापुरुष रहे हैं. उनके नाम पर भी हमने चौराहों और मार्गों का नाम रखा है जैसे जाट समाज से आने वाले योद्धा के नाम पर वीर गोकुला जाट की हमने प्रतिमा लगाने का फैसला किया है. वहीं दीनदयाल उपाध्याय, सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्तियां हुई लगाई हैं. नवीन जैन आगे कहते हैं महापुरुषों से प्रेरणा मिलती है. हमें गुलामी के प्रतीकों को हटाना है इसलिए हमने महापुरुषों के नाम पर हमने चौक चौराहों और मार्गों का नाम रख रहे हैं.
कांग्रेस नेता मुरारीलाल गोयल ने उठाया सवाल
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता मुरारीलाल गोयल जो खुद अग्रवाल समाज से आते हैं. इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं लेकिन सवाल भी खड़े कर रहे हैं कि राजनीतिक फायदा उठाने के लिए अगर यह नाम बदलने की सियासत की जा रही है तो यह अच्छा मैसेज नहीं है. अग्रवाल समाज की क्या दुर्दशा है यह किसी से छिपी नहीं है. सरकार को इस वर्ग का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है जो बीजेपी को वोट करता है. नाम बदलने की सियासत पर राजनैतिक विश्लेषक राजीव दीक्षित कहते हैं कि अग्रवाल समाज आगरा की राजनीति में प्रमुख स्थान रखता है और परंपरागत तौर पर बीजेपी का वोटर भी रहा है. ऐसे में बीजेपी उस कमेटी में एक अच्छा संदेश देना चाहती है जिसका उसे राजनैतिक फायदा भी होगा.
समाजसेवी सुनील विकल ने दी प्रतिक्रिया
अग्रवाल समाज से ताल्लुक रखने वाले समाजसेवी सुनील विकल कहते हैं कि आगरा अग्रवालों की राजधानी है और यह स्थापित तथ्य भी है कि देश में सबसे ज्यादा अग्रवाल आगरा में ही रहते हैं और इनकी तादाद जनपद में पांच लाख से ज्यादा है और 1952 आम चुनाव से लेकर 2022 विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो इमरजेंसी के बाद हुए 1977 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए आगरा उत्तर सीट से वैश्य समाज का ही उम्मीदवार जीता रहा है जो पहले आगरा पूर्वी सीट के नाम से जानी जाती थी. अग्रवाल समाज व्यापारी समाज है जो राष्ट्र भक्ति और हिंदुत्व का पैरोकार है. महाराजा अग्रसेन का मैसेज एक ईंट और एक रुपए के सिद्धांत को अग्रवाल समाज फॉलो करता है और ऐसे में अगर अग्रवाल समाज के महापुरुषों के नाम पर चौक चौराहों और मार्गों का नाम रखा जा रहा है. उनके सम्मान में इजाफा हो रहा है.
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