Ghazipur News: मुहर्रम को लेकर जगह-जगह ताजिया के निर्माण का कार्य पिछले कई दिनों से किया जा रहा था. इसके लिए कई जगह स्थानीय कारीगर ही काम में लगे हैं तो कई जगह बाहर से भी कारीगरों को बुलाया गया. गाजीपुर के उतरांव गांव में पूर्वांचल के सबसे ऊंचा ताजिया बनाने का दावा किया जाता है. इस वर्ष इसे 55 से 60 फीट ऊंचा तैयार किया गया है. यह ताजिया करीब एक लाख रुपये के खर्च से बनाया जा रहा है. इसके निर्माण में बांस, थर्माकोल, शीशा, मोती, कपड़ा, प्लाईवुड कागज आदि का प्रयोग किया जाता है. तजिए का निर्माण गांव के कारीगर ही करते हैं. मंगलवार 10 मुहर्रम को इस ताजिया को पूरे गांव में तय मार्ग से निकाला गया.


गांव के कारीगर बनाते हैं ताजिया
गाजीपुर जिले के उतरांव गांव में पिछले कई सालों से जिले की सबसे ऊंची ताजिया का निर्माण किया जाता है. जिसकी लंबाई करीब 55 से 60 फीट ऊंची होती है. इस तजिए का निर्माण एक माह पूर्व से गांव के ही कारीगरों के द्वारा किया जाता है. जिसे 10 मोहर्रम को गांव के ही करीब 100 से 200 लोग मिलकर उठाते हैं. ताजिया की लंबाई अधिक होने के कारण इसके मूल रास्ते में पडने वाले सभी अवरोध को पहले ही हटा दिया जाता है यहां तक कि बिजली के तार में उनके रास्ते से हटा दिया जाता है ताकि ताजिया उठाते वक्त किसी प्रकार का कोई हादसा ना हो सके.


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देखने को मिलती है गंगा जमुनी तहजीब
मंगलवार को गांव में 60 फीट के इस लंबे ताजिया को गांव के लोग अपने कंधों पर उठाकर अपनी परंपरा के अनुसार दोपहर करीब 12:00 बजे शुरू किए. जो देर रात कर्बला में पहुंचता है जहां पर उसे दफन किया जाएगा. इस दौरान कई तरह के पारंपरिक खेल ही बच्चों और युवाओं के द्वारा खेला गया. यहां पर ताजिया के निर्माण से लेकर दफन तक के कार्यक्रम में गंगा जमुनी तहजीब भी देखने को मिलती है. ताजिया को बनाने से लेकर दफन करने तक में गांव के हिंदू समाज के लोग अपनी पूरी प्रभावता निभाते हैं. इसे देखने के लिए स्थानीय जिले के अलावा बलिया, मऊ, आजमगढ़, वाराणसी तथा बिहार के बक्सर से भी बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष आते हैं.


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