Muharrama 2024 Latest News: नौवीं मुहर्रम को अकीदतमंदों ने विविध तरीकों से हजरत सैयदना इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों को खिराजे अकीदत पेश किया. उलमा किराम ने इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों पर रोशनी डाली. इमाम हुसैन, अहले बैत व कर्बला के शहीदों की याद में क़ुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी हुई. जिन लोगों ने नौवीं मुहर्रम को रोज़ा रखा था उन्होंने शाम को रोज़ा खोलकर अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए इबादत की. अकीदतमंदों ने घर व मस्जिद में क़ुरआन शरीफ़ की तिलावत की. अल्लाह का जिक्र किया. दरूदो सलाम का नज़राना पेश किया. पूरा दिन हज़रत इमाम हुसैन की कुर्बानियों को याद करते हुए बीता.


मंगलवार को ग़ौसे आज़म फाउंडेशन की ओर से सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद में रोजा इफ्तार का आयोजन हुआ. जिसमें अकीदतमंदों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. रोज़ा इफ़्तार में जिलाध्यक्ष समीर अली, मो. फैज, मो. जैद कादरी, अमान अहमद, रियाज़ अहमद, मो. जैद चिंटू, अली गज़नफर शाह, मो. शारिक, एहसन खान, अब्दुर्रहमान, नूर मोहम्मद दानिश आदि ने महती भूमिका निभाई. बुधवार दसवीं मुहर्रम को भी शाम 6:55 बजे सामूहिक रोजा इफ़्तार होगा. वहीं रहमतनगर में लंगरे हुसैनी बांटने का सिलसिला जारी रहा.


'आज पूरी दुनिया इमाम हुसैन को याद कर रही है'
गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने कहा कि मुहर्रम बरकत व अजमत वाला महीना है. मुहर्रम की 10वीं तारीख़ जिसे आशूरा कहा जाता है, वह बहुत ही फजीलत वाली है. इसी दिन इमाम हुसैन व उनके साथियों को शहीद किया गया. तारीख़ गवाह है कि आज तक दुनिया में हजारों जंग हुईं. उन सारी जंगों को लोगों ने एकदम से भुला दिया मगर मैदाने कर्बला में हुई हक़ व बातिल की जंग रहती दुनिया तक याद रखी जाएगी.


मकतब इस्लामियात चिंगी शहीद इमामबाड़ा तुर्कमानपुर में नायब काजी मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि अल्लाह की रज़ा के लिए अपने आपको और अपनी औलाद को कुर्बान करना और उस पर सब्र करना हज़रत इमाम हुसैन और उनके हौसले की ही बात थी. हज़रत इमाम हुसैन ने धर्म व सच्चाई की हिफाजत के लिए खुद व अपने परिवार को कुर्बान कर दिया, जो शहीद-ए-कर्बला की दास्तान में मौजूद है. हम सब को भी उनके बताए रास्ते पर चलने की जरूरत है.


गाजी मस्जिद गाजी रौजा में मुफ्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि कर्बला की जंग मनसब नहीं इंसानियत की जंग थी. यही वजह है कि हज़रत इमाम हुसैन ने उस जंग में अपने पूरे खानदान को कुर्बान तो कर दिया मगर जालिम यजीद जो बातिल और बुराई का प्रतीक था, उससे समझौता नहीं किया. दुनिया में कोई ऐसा इंसान नहीं है जो अपने बच्चे, जवान और बुजुर्ग सभी को अल्लाह की रज़ा की खातिर कुर्बान कर दे. साथ ही साथ हर हाल में अल्लाह का शुक्र अदा करता रहे. हमें प्रण लेना चाहिए कि हम अपनी पूरी ज़िंदगी इमामे हुसैन के नक्शे कदम पर चलकर गुजारेंगे, तभी हमें कामयाबी मिलेगी.



मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने क्या कहा?


रसूलपुर जामा मस्जिद में मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ‘खुतबा हज्जतुल विदा’ में फरमाया है कि ऐ लोगों मैंने तुममें वह चीज छोड़ी है कि जब तक तुम उनको थामें रहोगे, गुमराह न होगे. पहली चीज ‘अल्लाह की किताब’ और दूसरी ‘मेरे अहले बैत’.नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर में मौलाना असलम ने कहा कि इमाम हुसैन दीन-ए-इस्लाम को बचाने के लिए शहीद हुए. इमाम हुसैन ने कर्बला में शहादत देकर बता दिया कि जुल्म दीन-ए-इस्लाम का हिस्सा नहीं है.


नौवीं मुहर्रम को हज़रत सैयदना इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को याद करते हुए शाम के समय तमाम इमाम चौकों पर छोटे-बड़े ताजिया रख कर फातिहा पढ़ी गई. इमाम चौकों पर शर्बत व मलीदा पर भी फातिहा ख्वानी की गई. हज़रत इमाम हुसैन और उनके साथियों के वसीले से दुआ व मन्नत मांगी गई. विभिन्न इमाम चौकों व घरों में मलीदा, शर्बत, खिचड़ा व बिरयानी बनाकर अकीदतमंदों में बांटा गया. 


अकीदतमंदों ने इमाम चौकों पर बड़े ताजिया के साथ छोटे ताजिया मन्नत के तौर पर रखे. कई क्षेत्रों में अकीदतमंद छोटी-छोटी ताजिया खरीदते दिखे. मियां बाज़ार स्थित इमामबाड़ा व जाफ़रा बाजार स्थित कर्बला में फातिहा ख्वानी के लिए अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ी. जुलूसों का सिलसिला भी जारी रहा. देर रात तक लाइन की ताजिया का जुलूस निकलता रहा. देश विदेश की मस्जिदों व दरगाह का अक्स ताजिया में नजर आया. एक से बढ़कर एक ताजिया सड़कों पर नज़र आई. लाइन की ताजिया का केंद्र गोलघर रहा. लोग मोबाइल में ताजिया की फोटो व वीडियो कैद करते दिखे.


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