Mukhtar Ansari Death News: पूर्वांचल के माफिया डॉन के तौर पर चर्चित पूर्व बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी अब इस दुनिया में नहीं है. बांदा जेल में दिल का दौरा पड़ने से मुख्तार अंसारी की मौत हो चुकी है. मुख्तार अंसारी ने जीवित रहते हुए जेल में जहर देकर खुद की हत्या किए जाने का शक जताया था. मुख्तार और उसका परिवार बार-बार गाजीपुर में 23 साल पहले हुए बहुचर्चित उसरी चट्टी कांड का जिक्र करता रहा है. दावा यह किया जाता रहा कि उसरी चट्टी के चर्चित मामले में मुख्तार अंसारी की गवाही को रोकने के लिए जेल में उसकी हत्या की साजिश रची जा रही है. उसरी चट्टी के चर्चित मामले में मुख्तार अंसारी के काफिले पर माफिया बृजेश सिंह और उसके साथी त्रिभुवन सिंह द्वारा जानलेवा हमला कराए जाने का आरोप है. इस मुकदमे में मुख्तार अंसारी खुद वादी और गवाह दोनों था. मुख्तार अंसारी की गवाही पर बृजेश सिंह को उम्र कैद और फांसी तक की सजा हो सकती थी. उसरी चट्टी का मामला क्या है और मुख्तार की मौत से इसका कनेक्शन कैसे जोड़ा जा रहा है, इसे इस खास रिपोर्ट के जरिए समझिए.
गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के उसरी चट्टी इलाके का चर्चित मामला तकरीबन 23 साल पुराना है. 15 जुलाई सन 2001 के वक़्त यूपी में पंचायत चुनाव चल रहे थे. मुख्तार अंसारी अपने समर्थकों का प्रचार करने के लिए रविवार की छुट्टी के दिन भी अपने गांव मोहम्मदाबाद से काफिले के साथ निकला हुआ था. मुख्तार अंसारी उस वक्त मऊ जिले की सदर सीट से विधायक था.
17 लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई
मोहम्मदाबाद से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उसरी चट्टी गांव में कुछ लोग एक ट्रक पर छिपे हुए थे. मुख्तार का काफिला नजदीक आने पर ट्रक पर सवार लोगों ने अत्याधुनिक हथियारों से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. इस हमले में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि मुख्तार समेत आठ लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. मुख्तार अंसारी ने इस मामले में माफिया बृजेश सिंह और उसके साथी त्रिभुवन सिंह को नामजद कराते हुए कुल 17 लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई थी. बृजेश और त्रिभुवन के अलावा बाकी 15 लोग अज्ञात थे. मुख्तार अंसारी इस चर्चित मामले में वादी और चश्मदीद गवाह दोनों ही था.
बृजेश सिंह तमाम पुराने मुकदमों के साथ ही इस मामले में भी लंबे समय तक फरार रहा. पांच लाख रुपये का ईनाम घोषित होने के बाद 24 फरवरी 2008 को उसे उड़ीसा के भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया गया था. इस चर्चित मामले में साल 2019 में आरोपियों पर चार्ज फ्रेम किए गए थे. सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में गाजीपुर की ट्रायल कोर्ट को एक साल में सुनवाई पूरा कर फैसला सुनाने का आदेश दिया था. एक साल में सुनवाई पूरी नहीं होने की वजह से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 अगस्त 2022 को बृजेश सिंह को जमानत पर जेल से रिहा किए जाने का आदेश दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी बृजेश सिंह को जमानत देते वक्त गाजीपुर कोर्ट को मुकदमे का ट्रायल जल्द से जल्द खत्म करने को कहा था.
उसरी चट्टी कांड में अब तक सात लोगों की गवाही हो चुकी है. मुख्तार अंसारी को गवाह के तौर पर आरोपी माफिया बृजेश सिंह को पहचानने और बयान दर्ज कराने के लिए सबसे पहले 3 जनवरी 2023 को तलब किया गया था. मुख्तार अंसारी के परिवार ने बांदा जेल से पेशी पर गाजीपुर ले जाए जाने के दौरान बुलेट प्रूफ एंबुलेंस दिए जाने और पैरामिलिट्री फोर्स के कम से कम पंद्रह कमांडो सुरक्षा में तैनात किए जाने की मांग की गई थी. हालांकि इस तारीख पर गाजीपुर की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में मुख्तार अंसारी की पेशी नहीं हो सकी थी. मुख्तार के परिवार ने उस वक्त ही जान का खतरा बताते हुए चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया समेत तमाम लोगों को चिट्टियां भेज कर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाने की गुहार लगाई थी. जान का खतरा माफिया बृजेश सिंह और उसके गिरोह से ही जताया गया था.
साल 2023 में ही उसरी चट्टी के चर्चित मामले से जुड़े दो बड़े घटनाक्रम हुए. 2001 में हुए उसरी चट्टी के हमले में मौत के घाट उतारे गए मनोज राय के पिता शैलेंद्र राय ने वारदात के बाइस साल बाद मुख्तार अंसारी समेत पांच लोगों के खिलाफ बेटे की हत्या का मुकदमा दर्ज कराया. शैलेंद्र राय की तहरीर पर गाज़ीपुर पुलिस ने पिछले साल जनवरी महीने में मोहम्मदाबाद कोतवाली में हत्या समेत दूसरी गंभीर धाराओं में मुख्तार अंसारी व अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया था. हालांकि मुख्तार अंसारी व अन्य आरोपियों ने 22 साल बाद मुकदमा दर्ज किए जाने को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में कई आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक भी लगाई थी.
बृजेश सिंह के साथ ही आरोपी बनाए गए त्रिभुवन सिंह
उसरी चट्टी कांड में माफिया बृजेश सिंह के साथ ही आरोपी बनाए गए त्रिभुवन सिंह ने पिछले साल ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर मुकदमे का ट्रायल गाजीपुर के बजाय किसी अन्य जिले में कराए जाने की मांग की थी. त्रिभुवन सिंह कि अर्जी में दलील दी गई थी कि मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर से सांसद है. बेटा अब्बास अंसारी पड़ोस की ही सीट से विधायक है. ऐसे में यह दोनों लोग मुकदमे के ट्रायल को अपने रसूख की वजह से प्रभावित कर सकते हैं. यह भी कहा गया था कि मुकदमे की तारीख पर मुख्तार और उनके परिवार के तमाम समर्थक कोर्ट आ जाते हैं. यहां सुनवाई होने से आरोपियों की जान को खतरा हो सकता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले तो गाजीपुर में मुकदमे के ट्रायल पर रोक लगा दी थी और बाद में ट्रायल को गाजीपुर से लखनऊ की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था. जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने केस लखनऊ ट्रांसफर करने का आदेश पिछले साल 5 जून को जारी किया था.
पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह की अदावत किसी से छिपी नहीं है. दोनों के गैंग में कई बार टकराहट हो चुकी है. तमाम लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी हैं. बृजेश सिंह इन दिनों जेल से बाहर है. वह विधान परिषद का सदस्य रह चुका है. सत्ता पक्ष के कई लोगों से उसकी नज़दीकियां हैं. यही वजह है कि मुख्तार अंसारी को बृजेश और उसके गुर्गों से लगातार डर सता रहा था. उसरी चट्टी की घटना के जरिए बृजेश सिंह को सजा होने की आशंका माफिया के इस डर को और बढ़ा रही थी.