Mukhtar Ansari Death News: पूर्वांचल मुख्तार अंसारी के नाम की तूती बोलती थी. चार दशकों तक मुख्तार पुलिस के लिए चुनौती बना रहा. इस इलाके में उसका कितना असर था, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उनकी मौत के बाद शांति बनाए रखने के लिए प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं. मुख्तार की मौत के बाद अपराध और दहशत के एक अध्याय का अंत हो गया है. 


मुख्तार अंसारी ने चार दशकों तक पूर्वांचल के कई जिलों पर राज किया. उसका इतना आतंक था कि चार दशकों तक पुलिस भी उसके खिलाफ कदम उठाने से डरती थी. उसके खिलाफ 1986 में पहली बार मुकदमा दर्ज किया गया था. इसके बाद कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हुए लेकिन हर बार कानूनी दांवपेंच के सहारे वो बचता रहा.  साक्ष्यों और गवाहों की कमी के चलते उसे कभी सजा नहीं हो पाई. 


योगी सरकार में शुरू हुए बुरे दिन


उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने आने के बाद मुख्तार अंसारी के बुरे दिन शुरू हो गए. 2017 में प्रदेश सरकार ने सभी बड़े अपराधियों पर शिकंजा कसना शुरू किया, जिसके बाद ऐसे अपराधियों को लेकर प्रभावी पैरवी की गई, मुख्तार को पंजाब का रोपण जेल से यूपी लाया गया और तमाम मुकदमों में तेजी लाई गई. 


मुख्तार के खिलाफ सूचीबद्ध तरीके से पैरवी शुरू की गई, जिसके बाद उसका ताकत होती चली गई है. चालीस सालों में पहली बार मुख्तार को 21 सितंबर 2022 को सजा सुनाई गई. पिछले डेढ़-दो सालों में उसे आठ मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है. मुख्तार की मौत के बाद उसके अपराध और आतंक की दुनिया का भी खात्मा हो चुका है. 


देश की राजनीति में भी मुख्तार अंसारी के नाम का डंका था. साल 1996 में वो पहली बार बसपा के टिकट पर विधायक बना. इस बीच वो कभी बसपा तो कभी सपा के साथ रहा. वो पांच बार विधायक बना. साल 2009 में उसने बसपा के टिकट पर वाराणसी से लोकसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन हार गया. साल 2017  में वो आखिरी बार बसपा के टिकट से विधायक बना था. 


मुख्तार अंसारी के लिए यूपी की एक जेल में बनाया गया था बैडमिंटन कोर्ट, पूर्व जेलर ने सुनाया था किस्सा