Mukhtar Ansari News: मुख्तार अंसारी के लिए अहम था जीवा, इससे पहले भी गिरोह के इन तीन लोगों की हो चुकी है हत्या
Sanjeev Jeeva Murder: संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या को मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) गिरोह के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इससे पहले मुन्ना बजरंगी (Munna Bajrangi) की हत्या हो चुकी है.
Sanjeev Maheshwari Killed: मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के सहयोगी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की बुधवार को लखनऊ अदालत (Lucknow Court) परिसर के भीतर गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड को अंसारी गिरोह के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है. इससे पहले मुख्तार गिरोह के नंबर दो माने जाने वाले मुन्ना बजरंगी (Munna Bajrangi) की हत्या हो गई थी. उसकी हत्या बागपत जेल (Baghpat Jail) में गोली मारकर कर दी गई थी.
जीवा (48) पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले का निवासी था. वह बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय और उत्तर प्रदेश में बीजेपी के मंत्री ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या का आरोपी था. सूत्रों का दावा है कि मुख्तार गिरोह के लिए टेंडर और वसूली को हथियाने का काम जीवा ही देखता था. अभी पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वांचल तक मुख्तार के गिरोह का जीवा अहम सदस्य माना जाता था. दावा किया जा रहा है कि मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद गिरोह पहले से दशहत में था.
मारे जा चुके हैं गिरोह के ये सदस्य
जबकि मुन्ना बजरंगी के साले और मुख्तार गिरोह के सदस्य पुष्पजीत सिंह की भी हत्या हो चुकी है. उसकी हत्या 2016 में विकासनगर में गोली मारकर की गई थी. इसी घटना में उसका दोस्त संजय मिश्रा भी मारा गया था. सूत्रों का दावा है कि जब पुष्पजीत सिंह की तेरहवीं थी तो विकासनगर वाले उसके घर पर मुन्ना बजरंगी से मिलने के लिए कई शूटर्स आए हुए थे. पुष्पजीत सिंह के बाद गिरोह की कमान संभाल रहे मो. तारिक की हत्या कर दी गई थी.
पुष्पजीत सिंह और तारिक की हत्या के बाद अभी मुख्तार अंसारी का गिरोह संभल पाता उससे पहले ही मुन्ना बजरंगी की हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड की सीबीआई जांच अभी तक जारी है. हालांकि अभी भी कई सवाल का जवाब नहीं मिल सकता है. लेकिन इसी बीच जीवा की हत्या ने एक बार फिर से गिरोह को बड़ा झटका दिया है.
गौरतलब है कि निचली अदालत ने 17 जुलाई, 2003 को जीवा और अन्य आरोपियों को द्विवेदी और उनके गनर की हत्या का दोषी करार दिया था. इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बता दें कि ब्रह्म दत्त द्विवेदी और उनके गनर की 10 फरवरी, 1997 को उस समय हत्या कर दी गई जब वह फर्रुखाबाद जिले में एक तिलक समारोह से लौट रहे थे.