Mukhtar Ansari Profile: जानें कब और कहां से शुरू हुआ था मुख्तार अंसारी का सियासी सफर, पढ़ें पूरी कहानी
Mukhtar Ansari Death: माफिया डॉन और मऊ के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी का गुरुवार को निधन हो गया है.
Mukhtar Ansari Political Profile: मुख्तार अंसारी का इतिहास हर चुनाव में अलग-अलग राजनीतिक दलों या फिर निर्दलीय चुनाव लड़ने का रहा है. पूर्वांचल के डॉन मुख्तार अंसारी लगातार किसी एक दल से चुनाव नहीं लड़े. इसलिए उन्हें राजनीति का अच्छा विज्ञानी कहा जाता है, परिस्थितियों के हिसाब से जिसकी लहर होती है, समयानुसार वो पाला बदलकर अपनी जीत सुनिश्चित करने के माहिर खिलाड़ी माने जाता हैं. उनरी लगातार जीत के पीछे भी उनकी यही रणनीति काम करती है.
मुख्तार अंसारी का मऊ सीट पर खासा दबदबा रहा है. वो लगातार इस सीट से 5 बार विधायक रह चुके हैं. मुख्तार अंसारी पहली बार 1996 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट से चुनाव लड़े और जीतने में कामयाब रहे थे. दूसरे बार उन्होंने पार्टी से पाला बदला और 2002 में निर्दलीय चुनाव लड़े और इस बार भी जीत का परचम लहराने में कामयाब रहे थे.
तीसरी बार 2007 में उन्होंने एक बार फिर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया और चुनावी मैदान में उतरे और इस बार भी जीत का परचम लहराने में कामयाब रहे थे. मुख्तार अंसारी चौथी बार 2012 में कौमी एकता दल के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की. 2017 में उन्होंने एक बार से बहुजन समाज पार्टी का दामन थामा और चुनाव रण में उतरे और इस बार भी जनता ने उनपर भरोसा जताया और मऊ सीट से विजेता बनाया.
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लगातार पांच बार विधायक चुने गए मुख्तार अंसारी
- मुख्तार अंसारी 1996 में पहली बार बसपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा में आए.
- दूसरी बार उन्होंने पाला बदलकर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत गए
- तीसरी बार मुख्तार अंसारी एक बार फिर बीएसपी में आ गए और चुनाव जीता. लेकिन बाद में मायावती ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया.
- मुख्तार अंसारी ने कौमी एकता दल नाम से पार्टी बनाई और चौथी बार फिर जीत हासिल की
- पांचवी बार उन्होंने शिवपाल यादव के कहने पर अपनी पार्टी का सपा में विलय कर लिया, लेकिन अखिलेश ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया. इसके बाद वो फिर बसपा में चले गए चुनाव में जीत हासिल की.
बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी ने जब ठोका लोकसभा चुनाव में ताल
उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी विभिन्न अपराधिक मामलों में बांदा जेल में बंद हैं. विधानसभा चुनाव में पांच बार जीत का परचम लहराने वाले मुख्तार अंसारी ने 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया. उन्होंने 2009 में बसपा के टिकट पर वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का ताल ठोका और चुनाव रण में उतरे, लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
बीजेपी प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी ने उन्हें करीब 17 हजार वोटों से मात दी थी. 2009 लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल के डॉन मुख्तार अंसारी 27 प्रतिशत वोट लेने में सफलता हासिल की थी, लेकिन जनता ने उन्हें जीत का ताज पहनाने से साफ इंकार कर दिया और बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मुरली मनोहर जोशी को जीत का सेहरा पहनाया.