Lok Sabha Election 2024: गाजीपुर लोकसभा सीट पर अब लड़ाई दिलचस्प होती जा रही है. जिसकी वजह मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी की भतीजी नुसरत अंसारी दोनों का पर्चा दाखिल किया जाना है. अफजाल अंसारी और उनकी बेटी नुसरत अंसारी दोनों ने 13 मई (सोमवार) को नामांकन दाखिल कर दिया है. नुसरत के ही चुनाव लड़ने के कयास लगाये जा रहे हैं. अफजाल अंसारी के सामने कानूनी पेचीदगियां हैं जिसकी वजह से उनके चुनाव लड़ने पर सस्पेंस है. दूसरी तरफ बीजेपी से पारसनाथ राय प्रत्याशी हैं जो कि मनोज सिन्हा के करीबी माने जाते हैं जिसकी वजह से इस सीट पर सबकी नजर है.


अफजाल अंसारी के चुनाव प्रचार के केंद्र में अभी भी मुख्तार अंसारी ही हैं और वो मुख्तार की मौत का जिक्र लगातार कर रहे हैं. उनकी चुनावी सभाओं में या चुनाव प्रचार में कहीं भी मुख्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी नजर नहीं आ रहे थे, जिसकी वजह से अंसारी परिवार में सबकुछ ठीक नहीं होने की चर्चा आम थी. लेकिन सोमवार को इसपर विराम लग गया. अफजाल और नुसरत के नामांकन में उमर अंसारी पहुंचे थे और नामांकन के बाद सपा कार्यालय लोहिया भवन पर उन्होंने अपने समर्थकों को संबोधित भी किया.


क्यों प्रचार अभियान से दूर हैं उमर?
इस दौरान उमर ने कहा कि चुनाव अपने अंतिम चरण में है और आपको हमें लोगों के साथ रहना है. सिर्फ वोट डालना जरूरी नहीं है, वोटों को डलवाना भी जरूरी है. केस मुकदमों की वजह से मैं चुनाव प्रचार में आपके बीच नहीं आ सका. मेरे ऊपर दुखों का पहाड़ टूटा है, लेकिन आप सबने देखा है कि हमने संयम नहीं खोया है. मेरे पिता की सुनियोजित हत्या हुई है. उसे मैं मौत नहीं, हत्या मानता हूं, बावजूद उसके जो जन सैलाब उनके जनाजे में उमड़ा उससे सरकार की आंखें खुल गई हैं.


उन्होंने कहा कि जिन्होंने सोचा था कि इस साजिश को अंजाम देकर लाभ लेंगे वो टोटल बैक फायर हो चुका है. आज पूर्वांचल की हर सीट पर भाजपा को 50 से डेढ़ लाख तक के वोटों का नुकसान हुआ है. हम लोग कभी जात मजहब की राजनीति नहीं करते हैं. कोई हमारे दरवाजे आता है तो हम उसका आंसू पोछने का काम करते हैं. हमारा दिन भी हमें यही सिखाता है. 


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मेरे दादा, परदादा और पर-नाना ने दी कुर्बानियां- उमर
भाजपा पर हमलावर उमर ने आगे कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव है. लेकिन जिस परिवार में 12 स्वतंत्रता सेनानी हों, उनको किन शब्दों संबोधित किया जा रहा है ये किसी से छिपा नहीं है. इस बारे में कुछ नहीं कहूंगा, ईश्वर उनको अक्ल दे हिदायत दे यही दुआ करता हूं. लेकिन ये जरूर कहूंगा कि जब देश गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था तब मेरे दादाओं, परदादाओं और पर-नानाओं ने कुर्बानियां दी हैं. आप हमें कहते हो आतंकवादी, भू-माफिया, गुंडा और अपराधी कहते हो. आप मुकदमें तो गिना देते हो लेकिन ये नहीं बताते कि कितने मुकदमों में वो बरी हो चुके हैं.


मुख्तार अंसारी के बेटे ने कहा कि लोग मेरे पिता पर  65 से ज्यादा मुकदमें बताते हैं, जिसमें 45 में वे बरी हो चुके हैं. एक मुकदमा 2005 में जेल जाने से पहले का था और बाकी सारे मुकदमें झूठे हैं. हमारे बाबा सांसद जी पर झूठा मुकदमा लगा कर गैंगस्टर एक्ट में सजा करा दी गई. जिसके मूल केस में वो बरी हो चुके हैं. बड़ी जिम्मेदारी से बताना चाहता हूं कि हमें खरीदने की भी कोशिश की गई पर हम बिके नहीं. हमारे पास ऑफर भेजा गया लेकिन हम नहीं बिके. जब नहीं बिक तो मेरी मां पर सोलह मुकदमें लगाए गए


(आशुतोष त्रिपाठी की रिपोर्ट)