मिशन 2024 में जुटी समाजवादी पार्टी ने फिरोजाबाद सीट से प्रोफेसर रामगोपाल के बेटे अक्षय यादव को चुनाव लड़ाने की घोषणा की है. सियासी हलकों में इसके बाद मुलायम कुनबे के अन्य लोगों के चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज हो गई हैं. कहा जा रहा है कि 2024 के चुनाव में मुलायम परिवार से कम से कम 5 नेता चुनाव लड़ सकते हैं.
समाजवादी पार्टी यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों को जितने के लिए 2 तरह रणनीति तैयार कर रही है. पहला, आलू बेल्ट की उन 20 सीटों पर पार्टी मजबूत मोर्चेबंदी में जुटी हुई है, जो 2014 से पहले सपा का गढ़ कहा जाता था.
दूसर, बाकी बची 60 सीटों के लिए अखिलेश यादव नए समीकरण तैयार कर रहे हैं. सहयोगी दलों को भी इन्हीं 60 सीटों में से हिस्सेदारी दी जाएगी. इनमें अधिकांश पूर्वांचल-अवध और पश्चिमी यूपी की सीटें हैं.
2019 में परिवार के सबसे अधिक 6 सदस्य मैदान मे उतरे
2019 में मुलायम सिंह मैनपुरी, अखिलेश यादव आजमगढ़, डिंपल कन्नौज, धर्मेंद्र बदायूं, शिवपाल-अक्षय फिरोजाबाद से चुनाव लड़ चुके हैं. इसी तरह 2014 में मुलायम मैनपुरी, डिंपल कन्नौज, अक्षय फिरोजाबाद और धर्मेंद्र बदायूं से चुनावी मैदान में उतरे थे. इसी साल मैनपुरी सीट पर हुए उपचुनाव में परिवार के तेज प्रताप को सियासी रण में उतारा गया था.
2009 के चुनाव में अखिलेश कन्नौज और फिरोजाबाद से, मुलायम मैनपुरी से और धर्मेंद्र बदायूं से चुनाव लड़े थे. 2004 में मुलायम परिवार के 3 सदस्य चुनाव लड़े थे. खुद मुलायम मैनपुरी से, रामगोपाल संभल से और अखिलेश कन्नौज से जीत हासिल कर संसद पहुंचे थे.
मुलायम परिवार से 2 की सीट कन्फर्म, 3 पर अटकलें...
1. डिंपल यादव- यादवलैंड कहे जाने वाले मैनपुरी से वर्तमान में मुलायम यादव की बहू और अखिलाश यादव की पत्नी डिंपल सांसद हैं. 2019 में इस सीट से मुलायम सिंह यादव जीतकर संसद पहुंचे थे. मुलायम के निधन के बाद 2022 में हुए उपचुनाव में डिंपल ने इस सीट पर जीत दर्ज की.
डिंपल ने बीजेपी के रघुराज शाक्य को ढाई लाख से ज्यादा वोटों से हराया. 2024 में भी इस सीट से डिंपल के ही लड़ने की चर्चा है. मैनपुरी सीट पर मुलायम परिवार उनके करीबियों का 1989 से ही कब्जा है. 2022 में सपा ने मैनपुरी से डिंपल को मुलायम का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था.
इस सीट से मुलायम के गुरु उदय प्रताप सिंह, उनके दोस्त बलराम यादव, भतीजा धर्मेंद्र यादव सांसद रह चुके हैं. जातीय समीकरण की बात करे तो मैनपुरी में यादव वोटरों की संख्या करीब 4.25 लाख है. यादव के अलावा, शाक्य 3.25 लाख, ब्राह्मण 1.10 लाख, दलित 1.20 लाख और मुस्लिम वोटरों की शंख्या 55 हजार है.
2. अक्षय यादव- मुलायम सिंह के चचेरे भाई रामगोपाल के बेटे अक्षय फिरोजाबाद सीट से चुनाव लड़ेंगे. फिरोजाबाद भी समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है और 2014 में अक्षय यहां से जीतकर संसद भी पहुंच चुके हैं. 2009 में अखिलेश भी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं.
2019 में भी अक्षय फिरोजाबाद सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन शिवपाल यादव की वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. अक्षय बीजेपी के चंद्रसेन जादौन से 28 हजार वोट से चुनाव हार गए, जबकि शिवपाल को यहां 90 हजार वोट मिले.
मैनेजमेंट की पढ़ाई कर चुके अक्षय शुरू में बिजनेस के क्षेत्र में अपना कदम रखा. 2012 के बाद रामगोपाल ने अक्षय की एंट्री राजनीति में करा दी. फिरोजाबाद सीट भी यादव-मुस्लिम बहुल है. यहां दोनों समुदाय की आबादी करीब 50 प्रतिशत है. फिरोजाबाद में दलित और ब्राह्मण मतदाता भी बहुतायत हैं.
3. अखिलेश यादव- सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं. हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू के दौरान अखिलेश ने कहा कि 2024 का चुनाव जरूर लड़ना चाहूंगा. हालांकि, सीट का खुलासा अखिलेश ने नहीं किया.
अखिलेश के कन्नौज और पूर्वांचल के किसी सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें हैं. कहा जा रहा है कि वाराणसी के बगल वाली गाजीपुर से भी अखिलेश चुनाव लड़ सकते हैं. अखिलेश आजमगढ़ सीट से भी सांसद रह चुके हैं.
अखिलेश अपना पहला चुनाव कन्नौज सीट से ही जीते हैं. वे कन्नौज सीट से 3 बार सांसद रह चुके हैं. 2019 में बीजेपी के सुब्रत पाठक ने अखिलेश की पत्नी डिंपल को यहां से चुनाव हराया था. उस वक्त सपा और बीएसपी का गठबंधन भी था. 2022 के बाद अखिलेश ने कन्नौज में सक्रियता बढ़ा दी है.
4. शिवपाल यादव- सपा के महासचिव और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव के भी लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही है. शिवपाल यादव के बारे में कहा जा रहा है कि वे आजमगढ़ या जौनपुर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.
सपा जानकारों के मुताबिक अखिलेश की रणनीति आजमगढ़ से एक फिल्म अभिनेत्री को लड़ाने की है. इस स्थिति में शिवपाल यादव जौनपुर से चुनाव लड़ सकते हैं. वरना, आजमगढ़ के सियासी रण से शिवपाल 2024 में ताल ठोकते नजर आ सकते हैं.
शिवपाल ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत भाई मुलायम की छत्रछाया में की थी. शिवपाल अभी तक सिर्फ विधानसभा का चुनाव ही लड़ते आए हैं. आजमगढ़ सपा का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन 2022 के उपचुनाव में बीजेपी ने सपा से यह सीट छीन ली.
इसी तरह जौनपुर भी सपा का गढ़ रहा है. सपा के पारसनाथ यादव यहां से 1998 और 2004 में जीत हासिल कर चुके हैं.
5. धर्मेंद्र यादव- अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव के भी चुनाव लड़ने की चर्चा है. धर्मेंद्र बदायूं से आखिरी बार 2014 में चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. 2019 में धर्मेंद्र बदायूं से और 2022 में आजमगढ़ से चुनाव हार चुके हैं.
हाल के दिनों में धर्मेंद्र ने बदायूं में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. इस सीट से सपा के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्या की बेटी संघमित्रा बीजेपी से सांसद है. धर्मेंद्र के बदायूं से लड़ने के पीछे 2019 के रिजल्ट का तर्क दिया जा रहा है.
2019 में धर्मेंद्र मात्र 19 हजार वोट से हारे थे. उस वक्त कांग्रेस के सलीम शेरवानी को करीब 52 हजार वोट मिले थे. शेरवानी अब समाजवादी पार्टी में आ गए हैं.
तेज प्रताप और आदित्य के विधासनभा लड़ने की चर्चा
पूर्व सांसद और मुलायम सिंह के भाई के पोते तेज प्रताप यादव और शिवपाल के बेटे आदित्य यादव के विधानसभा चुनाव लड़ने की अटकलें हैं. कहा जा रहा है कि अखिलेश अपनी करहल सीट तेज प्रताप को और शिवपाल अपनी जसवंतनगर सीट आने वाले वक्त में आदित्य को सौंप सकते हैं.
2014 के उपचुनाव में तेज प्रताप मैनपुरी से जीतकर सांसद भी बन चुके हैं. हालांकि, 2019 में मुलायम सिंह के मैनपुरी आने के बाद उनका नाम प्रतीक्षारत की सूची में डाल दिया गया. अब लोकसभा लड़ने का ज्यादा ऑप्शन है नहीं, तो ऐसी स्थिति में उनके विधानसभा लड़ने की चर्चा है.
वहीं शिवपाल अपने बेटे आदित्य को पहले से ही उत्तराधिकारी घोषित कर चुके हैं. आदित्य भी जसवंतनगर सीट पर खूब एक्टिव हैं.
अब मुलायम परिवार के उन नेताओं की सूची, जो राजनीति में एक्टिव हैं...
रामगोपाल यादव- मुलायम के चचेरे भाई रामगोपाल राज्यसभा में सपा के नेता हैं. पार्टी के प्रमुख महासचिव होने के नाते सपा संगठन में भी उनका दबदबा है. रामगोपाल 2004-08 तक संभल सीट से लोकसभा के सांसद भी रह चुके हैं. सपा का संविधान बनाने में रामगोपाल ने बड़ी भूमिका निभाई है.
अंशुल यादव- मुलायम के भाई राजपाल यादव के बेटे अंशुल यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं. वर्तमान में अंशुल इटावा जिला पंचायत के अध्यक्ष हैं. सपा के एक्टिव मेंबर भी हैं. अंशुल इटावा और मैनपुरी में संगठन का कामकाज देखते हैं.
अनुराग यादव- धर्मेंद्र यादव के भाई अनुराग यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं. अनुराग 2017 में लखनऊ के सरोजनीनगर सीट से उम्मीदवार बनाए गए थे, लेकिन जीत दर्ज नहीं कर सके. वर्तमान में समाजवादी पार्टी संगठन में एक्टिव हैं.
अपर्णा यादव- मुलायम सिंह के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा भी राजनीति में एक्टिव हैं. 2022 में सपा से टिकट नहीं मिलने पर अपर्णा ने बीजेपी ज्वॉइन कर लिया. 2024 में अपर्णा के भी चुनाव लड़ने की अटकलें हैं.