(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Mulayam Singh Last Rites: मुलायम सिंह यादव की अस्थियां लेकर कल हरिद्वार रवाना होगा परिवार, 11वें दिन होगा शांति हवन
Mulayam Singh Yadav: मुलायम सिंह यादव की अस्थियों का विसर्जन सोमवार को हरिद्वार की गंगा जी में किया जाएगा. इसके लिए यादव परिवार रविवार को ही हरिद्वार के लिए रवाना हो जाएगा.
Mulayam Singh Yadav Last Rites: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का सोमवार 10 अक्टूबर को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. आज नेताजी के धार्मिक अनुष्ठान के लिए पंडित जी राधा गोपाल वृंदावन से सैफई आए हैं. उन्होंने बताया कि रविवार को मुलायम सिंह के परिजन नेताजी की अस्थियां लेकर हिरद्वार रवाना होंगे और सोमवार को गंगा नदी में उनकी अस्थियां प्रवाहित की जाएंगी.
मुलायम सिंह की आत्मा की शांति के लिए उनके निवास पर शाम को समय परिवार के लोगों के बीच गरुण कथा का आयोजन किया जा रहा है. वहीं, 21 अक्टूबर को सैफई में धार्मिक रीति रिवाज के साथ शांति हवन कार्यक्रम होगा, जिसमें ब्राह्मण भोज भी कराया जाएगा और शांति हवन के बाद तेरहवीं संस्कार की रस्म अदा की जाएगी.
सैफई के पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में वृंदावन से आए पंडित राधा गोपाल मिश्रा ने सैफई में चल रहे धार्मिक अनुष्ठान के बारे में बताया. उन्होंने जानकारी दी कि बुधवार से नेता जी की आत्मा की शांति के लिए सैफई कोठी पर हर दिन शाम को गरुड़ कथा का प्रवचन किया जा रहा है, जिसमें परिवार के सारे लोग मौजूद रहते हैं. वहीं, पंडित जी ने बताया कि मुलायम सिंह यादव की अस्थियों को चुन लिया गया है. अब सोमवार को हरिद्वार जाकर गंगा जी में अस्थियां विसर्जित की जाएंगी. इसके लिए रविवार को परिवार के सारे लोग हरिद्वार के लिए निकलेंगे.
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नहीं होगी मुलायम सिंह की तेरहवीं
वैसे तो आमतौर पर किसी के निधन के बाद उसकी तेरहवीं और सतरहवीं करने की परंपरा है, लेकिन आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की तेरहवीं न किए जाने का फैसला लिया गया है. नेताजी के बेटे और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सैफई की परंपरा निभाते हुए यह निर्णय लिया है कि मुलायम सिंह की तेरहवीं नहीं की जाएगी. केवल 11वें दिन हवन और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हो किया जा रहा है.
कहा जाता है कि सैफई गांव के लोगों ने कई साल पहले ही तेरहवीं की परंपरा खत्म कर दी थी. गांव वालों का मानना है कि तेरहवीं का भोज कराने से परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ता है. एक ओर किसी अपने के जाने का गम होता है, तो दूसरी ओर लोगों को भोज कराने की जिम्मेदारी. यह ठीक नहीं लगता. ऐसे में सैफई के लोगों ने एकजुट होकर यह निर्णय लिया कि यहां पर निधन के बाद तेरहवीं नहीं की जाएगी.
अखिलेश यादव ने रखा सैफई परंपरा का मान
जाहिर है कि अखिलेश यादव के परिवार पर किसी तरह का आर्थिक बोझ नहीं है, इसलिए वह चाहें तो तेरहवीं कर सकते हैं. लेकिन, सैफई के लोग मानते हैं कि अगर कोई बड़ा आदमी यह काम करेगा तो उसे देखते हुए गरीब लोग भी करने लगेंगे और फिर उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा. यही वजह है कि सैफई में अमीर घरों के लोग भी इस परंपरा का पालन करते हैं.