Mulayam Singh Yadav News: समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के पुश्तैनी गांव सैफई पहुंचने पर सबसे पहले जिस चीज पर ध्यान जाता है, वह हैं कंक्रीट से बनी राष्ट्रीय राजमार्ग जैसी गुणवत्ता वाली इसकी सड़कें. सैफई को दो चीजों के लिए जाना जाता है. पहला, समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की जन्मभूमि और दूसरा सैफई महोत्सव, मगर ये दोनों अब गुजरे जमाने की बातें रह गयी हैं.
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में सैफई एक गाँव से ब्लॉक तक विकसित हुआ और अंततः एक तहसील का दर्जा प्राप्त किया. सैफई ने यादव के राजनीतिक उत्थान के साथ विकास की सीढ़ी को आगे बढ़ाया जो पहली बार 1989 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और बाद में दो बार फिर इस पद पर रहे. उनके बेटे मौजूदा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. यह सफर सपा के क्षेत्रीय राजनीति में अपना प्रभाव बनाये रखने की गवाही देता है.
सैफई में अब एक मेडिकल कॉलेज, अमिताभ बच्चन के नाम पर एक सरकारी इंटर कॉलेज और क्रिकेट, हॉकी और कुश्ती के लिए तीन स्टेडियम हैं. क्षेत्र में एक इंजीनियरिंग कॉलेज भी बन रहा है. 2017 तक सैफई महोत्सव भी एक वार्षिक जश्न था, जिसमें शीर्ष फिल्मी सितारे और मशहूर हस्तियां यादव के निमंत्रण पर सैफई में उतरते थे.
रंगारंग कार्यक्रम होता था हर साल...
स्थानीय निवासी अंबरीश यादव सैफई महोत्सव की चमक—दमक को याद करते हुए कहते हैं, 'रंगारंग कार्यक्रम होता था हर साल. इस जश्न का सिलसिला 1996 में शुरू हुआ था और 2016 तक यादव परिवार में दरारें आने तक बेहद सफल आयोजन रहा. 2007 और 2011 में चुनाव आचार संहिता के कारण इसका आयोजन नहीं किया गया था.''
आठवीं कक्षा के छात्र अंश सैफई की उन्नति का जिक्र करते हुए कहते हैं, ''सैफई आने वाले लोग मुझसे पूछते हैं कि यह गांव है या शहर? मैं उन्हें बताता हूं कि यह एक कस्बा है.''
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने सैफई की सड़कों से बेहतर सड़कें देखी हैं, 15 वर्षीय मीत ने 'ना' में जवाब दिया.
वहीं, 11वीं कक्षा में पढ़ने वाले हिमांशु ने कहा कि शिक्षा और खेल सुविधाओं से न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि आसपास के गांवों के कई अन्य लोगों को भी मदद मिल रही है.
उन्होंने कहा, 'हमें स्टेडियमों तक पहुंचने में कोई समस्या नहीं होती. हम अक्सर वहां जाते हैं. आस-पास के कई अन्य युवा भी वहां प्रशिक्षण लेते हैं.'
एक ही पड़ोस में रहने वाले तीनों किशोरों ने कहा कि उन्होंने जन्म से ही विकसित सैफई देखा है.
हिमांशु ने कहा, ‘‘लेकिन कभी-कभी मेरे दादाजी, जो नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के साथ पढ़ते थे वे हमें बताते हैं कि सैफई बहुत बदल गया है. पहले सड़कें मिट्टी और ईंटों से बनी थीं.’’
उन्होंने यह भी कहा कि सैफई को अब दिन में लगभग 20 घंटे बिजली मिलती है, लेकिन राज्य में समाजवादी पार्टी के शासन के दौरान उन्हें चौबीसों घंटे बिजली मिलती थी.
कोठी की ओर जाने वाली आंतरिक सड़कें कंक्रीट से बनी
यादव खानदान की कोठी की ओर जाने वाली आंतरिक सड़कें कंक्रीट से बनी हैं, नालियों को स्लैब से ढका गया है और फुटपाथ के लिए इंटरलॉकिंग टाइल लगायी गयी हैं. पहली बार सैफई में आए लोग हैरान हैं, जबकि लंबे अंतराल के बाद लौटने वालों ने बुनियादी ढांचे में अविश्वसनीय बदलाव पाया.
आगरा के एत्मादपुर इलाके में रहने वाले केशव देव बघेल ने भावुक अंदाज में कहा, 'मैं तीन दशक पहले पहली बार जब सैफई आया था जब नेताजी पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. फिर एक बार फिर 1996 में और अब आज जब उनकी अंत्येष्टि हो रही है. नेताजी मेरे और मेरे परिवार के लिए बहुत मायने रखते थे.'
प्रतापगढ़ के दिनेश कुमार दोस्तों के एक समूह के साथ पहली बार यहां पहुंचे थे. सभी सैफई से चकित थे.
उन्होंने कहा, 'हमारे नगरपालिका क्षेत्रों और शहरों में भी हमारे पास इतनी अच्छी सड़कें नहीं हैं.'
समाजवादी नेता और तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे यादव का सोमवार को गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को सैफई में हुआ, जिसमें विभिन्न पाटियों के राजनेताओं ने दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी.
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