एक्सप्लोरर

Mulayam Singh Yadav Death: जब चरखा दांव से प्रधानमंत्री को मात देकर मुख्यमंत्री बने मुलायम सिंह यादव!

Mulayam Singh Yadav ने राजनीति में वो कौन सा दांव चला कि वो देश के सबसे बड़े प्रदेश का CM बन गए. क्या है कहानी मुलायम सिंह यादव के पहलवान से पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने तक की, पढ़ें यहां

Mulayam Singh Yadav Died: समाजवादी पार्टी के संरक्षक रहे मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया. गुरुग्राम के एक अस्पताल में मुलायम सिंह यादव ने आखिरी सांस ली. मुलायम के राजनीतिक जीवन की बात करें तो वह काफी उतार चढ़ाव भरा रहा.  पढ़ाई के दौरान ही मुलायम को साल 1954 में जेल जाना पड़ा था. तब उनकी उम्र महज 15 साल थी. और जेल जाने की वजह थी नहर रेट आंदोलन, जो कांग्रेस सरकार की सिंचाई की कीमत बढ़ाने के विरोध में हो रहा था. इस आंदोलन के अगुवा प्रख्यात समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया थे, जिन्हें आंदोलन की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया था. इसी गिरफ्तारी के विरोध में हुए विरोध प्रदर्शन में मुलायम को भी गिरफ्तार किया गया था. करीब 28 घंटे जेल में बिताने के बाद जब मुलायम बाहर आए तो वो स्कूल के एक बच्चे से गांव के नेता में तब्दील हो चुके थे.

इसी दौरान मुलायम को पहलवानी का भी चस्का चढ़ा. लोहिया के रंग में वो रंगे ही थे तो लोहिया की पुरानी बनाई पार्टी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को छोड़कर वो लोहिया की नई पार्टी संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो चुके थे. और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से जसवंत नगर विधानसभा सीट से विधायक थे नत्थू सिंह. एक दिन नत्थू सिंह की नजर जसवंतनगर में हो रहे एक दंगल पर पड़ी, जहां मुलायम भी हाथ आजमा रहे थे. वहीं से नत्थू सिंह ने मुलायम को अपना राजनीति का शागिर्द बना लिया.

और फिर वो वक्त भी आया, जब गुरु ने अपने शागिर्द को अपनी ही सीट दे दी. वो 1967 का साल था. विधानसभा के चुनाव होने थे. और नत्थू सिंह ने लोहिया से पैरवी करके मुलायम को जसवंतनगर की सीट से उम्मीदवार बना दिया. खुद नत्थू सिंह ने करहल की सीट से चुनाव लड़ा. तब तक मुलायम करहल के जैन इंटर कॉलेज में मास्टर बन गए थे. लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि चुनाव प्रचार कर सकें. ऐसे में उनके दोस्त दर्शन सिंह काम आए. नारा दिया एक वोट एक नोट. वो चंदे में लोगों से एक रुपये मांगते और उसे ब्याज सहित लौटाने का वादा करते. नतीजे आए तो उस्ताद और शागिर्द यानी कि नत्थू सिंह और मुलायम दोनों ही चुनाव जीत गए थे.

In Pics: 20 साल छोटी साधना गुप्ता को दिल दे बैठे थे मुलायम सिंह यादव, बेहद दिलचस्प थी दोनों की लव स्टोरी

यूपी में सबसे कम उम्र के विधायक बने मुलायम
तब मुलायम की उम्र महज 28 साल थी और वो पूरे उत्तर प्रदेश में सबसे कम उम्र के विधायक बने थे. उन्हें लोहिया के साथ काम करना था. लेकिन मुलायम की ये मंशा पूरी न हो सकी, क्योंकि 12 सितंबर 1967 को लोहिया का निधन हो गया. लोहिया के बाद कोई ऐसा नहीं था, जो सोशलिस्ट पार्टी को संभाल पाता. नतीजा ये हुआ कि पार्टी कमजोर हो गई. और इतनी कमजोर हुई कि 1969 के चुनाव में मुलायम भी विधानसभा का चुनाव हार गए. तभी चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाई थी और नाम रखा था भारतीय लोकदल. मुलायम ने चौधरी चरण सिंह का हाथ थामा और चरण सिंह ने उन्हें एक नया नाम दे दिया. नन्हा नेपोलियन.

लेकिन इस नन्हे नेपोलियन ने चौधरी चरण सिंह के बेटे के साथ भी राजनीति का आजमाया हुआ चरखा दांव चला. और ये दांव ऐसा फिट बैठा कि मुलायम उत्तर प्रदेश जैसे राज्य के मुख्यमंत्री बन गए. ये बात है साल 1989 की. तब जनता दल की ओर से विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के प्रधानमंत्री बन चुके थे, जिसके लिए मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक गुरु चंद्रशेखर तक का विरोध कर वीपी सिंह का समर्थन किया था. उस साल उत्तर प्रदेश में भी विधानसभा के चुनाव हुए थे और नतीजे जनता दल के ही पक्ष में आए थे. लेकिन जब बात मुख्यमंत्री पद की आई तो प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने तय किया कि उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे चौधरी अजित सिंह, वहीं  मुलायम सिंह यादव का नाम प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के लिए तय किया गया.

लेकिन मुलायम ने इसका विरोध कर दिया. और इस विरोध की वजह थी अजित सिंह से 1987 में हुई उनकी पुरानी अदावत. तब अजित सिंह के पिता चौधरी चरण सिंह ने लोकदल का कार्यकारी अध्यक्ष हेमवती नंदन बहुगुणा को बना रखा था. लेकिन चरण सिंह के बेटे तो अजित सिंह ही थे, लिहाजा लोकदल के नेता भी अजित सिंह की सुनते थे. उनके कहने पर ही लोकदल के विधायकों ने बैठक बुलाई और उत्तर प्रदेश में अपने नेता प्रतिपक्ष मुलायम सिंह यादव को विपक्ष के नेता के पद से हटा दिया. साथ ही उन्हें लोकदल से भी बाहर कर दिया गया.

मुलायम सिंह को याद रहा ये अपमान...
अजित सिंह ने अपने आदमी को नेता प्रतिपक्ष बना दिया. मुलायम को ये अपमान याद था. उन्हें मदद की जरूरत थी. और इस मदद के लिए वो एक बार फिर से चंद्रशेखर के ही पास गए. चंद्रशेखर को भी याद था कि कैसे अजित सिंह ने प्रधानमंत्री पद के लिए वीपी सिंह के नाम का अनुमोदन किया था. मुलायम के पास मौका था अजित सिंह को सबक सिखाने का. चंद्रशेखर के पास मौका था वीपी सिंह और चौधरी अजित सिंह को एक साथ सबक सिखाने का. तो चंद्रशेखर ने मुलायम सिंह यादव का समर्थन कर दिया. चंद्रशेखर के समर्थन के बाद मुलायम अड़ गए कि मुख्यमंत्री तो वही बनेंगे.

वहीं विश्वनाथ प्रताप सिंह ने भी चौधरी अजित सिंह के नाम पर इतनी शिद्दत से दिलचस्पी नहीं दिखाई. किसी विधायक तक को नहीं कहा कि उसे चौधरी अजित सिंह का समर्थन करना होगा. उन्होंने कहा कि अब मुख्यमंत्री पद के लिए गुप्त मतदान होगा और जो जीतेगा, वहीं प्रदेश का मुख्यमंत्री बनेगा.

जब सपा नेता ने तोड़ लिए थे 11 विधायक
इसके लिए मधु दंडवते, चिमन भाई पटेल और मुफ्ती मोहम्मद सईद को पर्यवेक्षक बनाकर लखनऊ भेजा गया. वहीं मुलायम सिंह यादव ने दांव चला और बाहुबली डीपी सिंह और अपने साथी बेनी प्रसाद वर्मा की मदद से अजित सिंह खेमे के 11 विधायक तोड़ लिए. तय समय पर विधानसभा के तिलक हॉल में वोटिंग हुई. वहीं बाहर मुलायम और अजित के समर्थक अपने-अपने नेता के लिए ज़िंदाबाद के नारे लगा रहे थे. नतीजा आया तो मुलायम सिंह यादव पांच वोटों से अजित सिंह से चुनाव जीत गए थे. और फिर पांच दिसंबर 1989 को मुलायम सिंह यादव पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.

इसके बाद मुलायम ने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. बाबरी विध्वंस के बाद जब लग रहा था कि बीजेपी उत्तर प्रदेश में दोबारा सरकार बना लेगी तो मुलायम ने कांशीराम के साथ मिलकर सरकार बनाई. 1998 में संयुक्त मोर्चा की सरकार के वक्त देश के रक्षा मंत्री भी रहे. जब सीताराम केसरी ने देवगौड़ा से समर्थन वापस ले लिया तो वो प्रधानमंत्री पद की रेस में भी थे, लेकिन लालू यादव और शरद यादव के विरोध की वजह से मुलायम की जगह इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री बने. 2003 में एक बार फिर से मुलायम यूपी के मुख्यमंत्री बने. और 2012 में जब सरकार बनाने की बात आई तो उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को अपनी राजनीतिक विरासत सौंप दी. अब मुलायम इस दुनिया में नहीं हैं...लेकिन उनके गंभीर बीमारी से निधन के बीच जिस तरह से दलगत राजनीति को किनारे कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और तमाम दूसरे विरोधी विचारधारा वाले दलों के नेताओं ने उन्हें याद किया.

Mulayam Singh Yadav Funeral: सैफई में होगा मुलायम सिंह यादव अंतिम संस्कार, यूपी सरकार ने घोषित किया राजकीय शोक

और देखें
Advertisement

IPL Auction 2025

Most Expensive Players In The Squad
Virat Kohli
₹21 CR
Josh Hazlewood
₹12.50 CR
Phil Salt
₹11.50 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rishabh Pant
₹27 CR
Nicholas Pooran
₹21 CR
Ravi Bishnoi
₹11 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Jasprit Bumrah
₹18 CR
Suryakumar Yadav
₹16.35 CR
Hardik Pandya
₹16.35 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Heinrich Klaasen
₹23 CR
Pat Cummins
₹18 CR
Abhishek Sharma
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Ruturaj Gaikwad
₹18 CR
Ravindra Jadeja
₹18 CR
Matheesha Pathirana
₹13 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Shreyas Iyer
₹26.75 CR
Arshdeep Singh
₹18 CR
Yuzvendra Chahal
₹18 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Sanju Samson
₹18 CR
Yashaswi Jaiswal
₹18 CR
Riyan Parag
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Venkatesh Iyer
₹23.75 CR
Rinku Singh
₹13 CR
Varun Chakaravarthy
₹12 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rashid Khan
₹18 CR
Shubman Gill
₹16.50 CR
Jos Buttler
₹15.75 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Axar Patel
₹16.50 CR
KL Rahul
₹14 CR
Kuldeep Yadav
₹13.25 CR
View all
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

महाराष्ट्र चुनाव में बना ऐसा रिकॉर्ड, चुनाव आयोग की हो गई बल्ले-बल्ले! BJP ने यहां भी किया 'खेल'
महाराष्ट्र चुनाव में बना ऐसा रिकॉर्ड, चुनाव आयोग की हो गई बल्ले-बल्ले! BJP ने यहां भी किया 'खेल'
‘क्रिएटिव गाइडलाइन बनाने की जरूरत’, एयर इंडिया फ्लाइट में पेशाब कांड पर केंद्र और DGCA से बोला सुप्रीम कोर्ट
‘क्रिएटिव गाइडलाइन बनाने की जरूरत’, एयर इंडिया फ्लाइट में पेशाब कांड पर केंद्र और DGCA से बोला सुप्रीम कोर्ट
क्रिस्टल डिसूजा ने गुलाम गौस संग डेटिंग पर तोड़ी चुप्पी, कहा- 'जिसके पास दिमाग होगा वो समझ जाएगा'
क्रिस्टल डिसूजा ने गुलाम गौस संग डेटिंग पर तोड़ी चुप्पी, कह दी ऐस बात
RCB से जुड़ते ही गरजा लियाम लिविंगस्टोन का बल्ला, 5 छक्के लगाकर टीम को दिलाई जीत 
RCB से जुड़ते ही गरजा लियाम लिविंगस्टोन का बल्ला, 5 छक्के लगाकर टीम को दिलाई जीत 
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Asaduddin Owaisi Exclusive: Sambhal हिंसा पर Sandeep Chaudhary के तीखे सवालों का दिया ओवैसी ने जवाबBigg Boss 18: Alice Kaushik हुई घर से Eliminate, Isha, Avinash-Vivian में से किसे देखना चाहेगी विनर?क्या Suhas Khamkar दिखते हैं Salman Khan जैसे? Drug Overdose पर बनी 'Rajveer' क्या लाएगी Change?Sunny Deol-Dharmendra कैसे करते हैं एक साथ काम? Nana Patekar के गुस्से पर क्या बोले Anil Sharma?

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
महाराष्ट्र चुनाव में बना ऐसा रिकॉर्ड, चुनाव आयोग की हो गई बल्ले-बल्ले! BJP ने यहां भी किया 'खेल'
महाराष्ट्र चुनाव में बना ऐसा रिकॉर्ड, चुनाव आयोग की हो गई बल्ले-बल्ले! BJP ने यहां भी किया 'खेल'
‘क्रिएटिव गाइडलाइन बनाने की जरूरत’, एयर इंडिया फ्लाइट में पेशाब कांड पर केंद्र और DGCA से बोला सुप्रीम कोर्ट
‘क्रिएटिव गाइडलाइन बनाने की जरूरत’, एयर इंडिया फ्लाइट में पेशाब कांड पर केंद्र और DGCA से बोला सुप्रीम कोर्ट
क्रिस्टल डिसूजा ने गुलाम गौस संग डेटिंग पर तोड़ी चुप्पी, कहा- 'जिसके पास दिमाग होगा वो समझ जाएगा'
क्रिस्टल डिसूजा ने गुलाम गौस संग डेटिंग पर तोड़ी चुप्पी, कह दी ऐस बात
RCB से जुड़ते ही गरजा लियाम लिविंगस्टोन का बल्ला, 5 छक्के लगाकर टीम को दिलाई जीत 
RCB से जुड़ते ही गरजा लियाम लिविंगस्टोन का बल्ला, 5 छक्के लगाकर टीम को दिलाई जीत 
Umpire Jobs: कैसे बनते हैं क्रिकेट अंपायर?, मिलती है लाखों-करोड़ों की सैलरी, ये है प्रक्रिया...पढ़ें डिटेल्स
कैसे बनते हैं क्रिकेट अंपायर?, मिलती है लाखों-करोड़ों की सैलरी, ये है प्रक्रिया...पढ़ें डिटेल्स
चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर बांग्लादेश में बवाल! एक वकील की मौत, पुलिस ने दागे 'ग्रेनेड' और जमकर भांजी लाठियां
चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर बांग्लादेश में बवाल! एक वकील की मौत, पुलिस ने दागे 'ग्रेनेड' और जमकर भांजी लाठियां
अच्छी सैलरी के बाद भी नहीं कर पा रहे बचत, यहां जानें पैसों से जुड़ी 5 आम गलतियां जो लोग अक्सर करते हैं
अच्छी सैलरी के बाद भी नहीं कर पा रहे बचत, यहां जानें पैसों से जुड़ी 5 आम गलतियां
यूपी का संभल 'धब्बा' नहीं टीका बन सकता है, बशर्ते उस पर राजनीति न हो
यूपी का संभल 'धब्बा' नहीं टीका बन सकता है, बशर्ते उस पर राजनीति न हो
Embed widget