Mulayam Singh Yadav Died मुलायम सिंह यादव अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी राजनीति के अनोखे नियम और तरीका, लोगों के जहन में सदा रहेगा. सत्ता के गलियारों में हमेशा मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक दांव पेंच की चर्चाएं होती रहेंगी. मुलायम सिंह ने अपने फैसलों से कई बार देश की राजनीति को नया मोड़ दे दिया था.


चाहे बात कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने की राह में रोड़ा बनने की हो चाहे ममता बनर्जी से अलग होकर साल 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी को वोट करने का, मुलायम ने अपने फैसलों से राजनीतिक गलियारों में अलग पहचान बनाई.


आइए हम आपको मुलामय के वो राजनीतिक फैसले बताते हैं जिसने लोगों और उनके सहयोगियों को चौंका दिया था-.


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सोनिया के प्रधानमंत्री बनने की राह में रोड़ा - साल 1999 में कांग्रेस के सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनाए जाने के प्रस्ताव का मुलायम ने विरोध किया था. मुलायम ने उनके इटली मूल के होने का मुद्दा उठाकर मामले को नया रंग दे दिया था.


एनडीए उम्मीदवार अब्दुल कलाम का समर्थन - उन्होंने साल 2002 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए के उम्मीदवार एपीजे अब्दुल कलाम का समर्थन किया था.


यूपीए के लिए छोड़ा लेफ्ट का साथ - साल 2008 में यूपीए के इंडो-यूएस सिविल न्यूक्लियर डील को समर्थन देकर उन्होंने लेफ्ट का साथ छोड़ा.


ममता से अलग होकर प्रणब मुखर्जी को दिया वोट - साल 2012 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी से समझौता तोड़ा. दोनों का मानना था कि कलाम दोबारा से राष्ट्रपति पद के दावेदार हो सकते हैं लेकिन आखिरी समय में मुलायम के कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की पसंद प्रणब मुखर्जी पर मुहर लगाई.


शिवपाल का समर्थन - साल 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले बेटे अखिलेश यादव और भाई शिवपाल यादव में विवाद के चलते मुलायम परिवार में भी खींचतान आ गई थी. उन्होंने भाई शिवपाल यादव का समर्थन कर दिया था, उन्होंने एसपी से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाई


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