हरिद्वार: अग्नि अखाड़े के काली मंदिर पीठाधीश्वर संत कैलाशानंद के अग्नि अखाड़ा छोड़कर निरंजनी अखाड़े के सन्यासी बन जाने के बाद अब काली मंदिर पीठ पर अपने शिष्य अंकुश को बैठाने की तैयारी कर ली है. कैलाशानंद के शिष्य अंकुश का अग्नि अखाड़े में ब्रह्मचारी के रूप में अभिषेक किया गया. इसी के साथ ही दो अन्य ब्रह्मचारियों को भी अग्नि अखाड़े के संत के रूप में दीक्षा दी गई. कैलाशानंद भले ही निरंजनी अखाड़े में चले गए हों मगर अग्नि अखाड़े के स्वामित्व वाली काली मंदिर पीठ पर भी वो आजीवन पीठाधीश्वर बने रहेंगे. उनके बाद पीठ पर उनका शिष्य ही पीठाधीश्वर बनेगा. इसे लेकर लेकर अग्नि अखाड़े में विवाद की स्थिति भी उत्पन्न हो गई है जिसे लेकर जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा और अग्नि अखाड़े के पदाधिकारियों ने बैठक की.
निरंजनी अखाड़े में शामिल हुए कैलाशानंद ब्रह्मचारी
समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव के पारिवारिक आध्यात्मिक गुरु कैलाशानंद ब्रह्मचारी के अखाड़ा बदल लेने के बाद खाली हुई प्रसिद्ध काली मंदिर पीठ पर भी अखाड़े ने नए पीठाधीश्वर को बैठाने की तैयारी कर ली है. काली मंदिर पीठ अग्नि अखाड़े के स्वामित्व में है जबकि अभी तक इस पीठ पर अग्नि अखाड़े के संत कैलाशानंद ब्रह्मचारी आसीन थे. उनके काली पीठ का पीठाधीश्वर रहते काली पीठ को ना केवल ख्याति मिली बल्कि पीठ का विकास भी हुआ. कैलाशानंद की प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि को देखते हुए ही निरंजनी अखाड़े ने उन्हें निरंजनी अखाड़े के सर्वोच्च पद आचार्य महामंडलेश्वर बनाने का एलान कर दिया, जिसके बाद वो हाल ही में अग्नि अखाड़ा छोड़कर निरंजनी अखाड़े में शामिल हो गए थे.
काली पीठ का त्याग नहीं करेंगे
निरंजनी अखाड़े में जाने के बाद भी कैलाशानंद अग्नि अखाड़े के स्वामित्व वाली काली मंदिर पीठ बने रहे. निरंजनी का सन्यासी बनने के बाद ही उन्होंने साफ कह दिया था कि वो अपने जीवित रहते काली पीठ नहीं त्यागेंगे और उनके बाद उनका ही कोई शिष्य अग्नि अखाड़े में दीक्षित होकर इस पीठ पर आसीन होगा. कैलाशानंद को निरंजनी अखाड़े में शामिल हुए अभी एक हफ्ता भी नहीं हुआ है कि उन्होंने अचानक ही अपने शिष्य अंकुश शुक्ला को अग्नि अखाड़े का ब्रह्मचारी दीक्षित करा दिया. कैलाशानंद ने साफ कहा कि उनका शिष्य अग्नि अखाड़े में दीक्षित हुआ है और वही अब काली पीठ का संचालन करेगा. फिलहाल काली पीठ के पीठाधीश्वर वो स्वयं रहेंगे.
शिष्य अंकुश को दी दीक्षा
दरअसल, काली पीठ पर आसीन कैलाशानंद ब्रह्मचारी अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर भी थे उन्हें निरंजनी अखाड़े ने अपने अखाड़े का आचार्य महामंडलेश्वर बनाने का फैसला किया. इसी को देखते हुए कैलाशानंद ब्रह्मचारी को अग्नि अखाड़ा छोड़ निरंजनी का सन्यासी बनना पड़ा. परंपरा के अनुसार अखाड़ा बदल लेने के बाद कैलाशानंद का अग्नि अखाड़े के स्वामित्व वाली सम्पतियों पर कोई अधिकार नहीं बनता है. वो उस पीठ को भी अपने शिष्य के जरिये अपने पास रखना चाहते हैं जिसके बाद कैलाशानंद ने अपने शिष्य अंकुश को दीक्षा दी जो अब अवन्तिकानंद ब्रह्मचारी होगा.
जानें- क्या बोले अग्नि आखाड़े के महंत
अग्नि आखाड़े के महंतों ने साफ कर दिया है कि काली पीठ पर कैलाशानंद का शिष्य अंकुश जिसे दीक्षा देकर अवन्तिकानंद ब्रह्मचारी बना दिया गया है उसे नहीं बल्कि दीक्षित किये गए दूसरे शिष्य कृष्णानंद ब्रह्मचारी को बैठाया जाएगा. कैलाशानंद के शिष्य अंकुश को गुजरात के सौराष्ट्र में अग्नि अखाड़े की दूसरी पीठ में भेजने की घोषणा कर दी गई है. इसी के बाद बाद कैलाशानंद और अग्नि अखाड़े में विवाद बढ़ना तय माना जा रहा है.
तीन अखाडों की हुई बैठक
वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हरि गिरि का कहना है कि हमारे तीनों अखाड़ों की आपातकाल में बैठक होती है और ये हमारी प्राचीन परंपरा है. जूना अखाड़े, अग्नि अखाड़े, आवाहन अखाड़े का कोई मामला हो तो उसको लेकर बैठक कर सभी निर्णय लेते हैं. तीनों अखाड़ों की संयुक्त रूप से बैठक हुई जिसमें अग्नि अखाड़े के मामले को लेकर बैठक में चर्चा की गई.
कई विकल्पों पर हुई चर्चा
अग्नि अखाड़ा 10 नामियों का अखाड़ा है और दक्षिण काली पीठ अग्नि अखाड़े की एक शाखा है. इनका कहना है कि तीनों अखाड़े नहीं चाहते हैं कि कैलाशानंद निरंजनी अखाड़े में चले जाएं और ना ही इन्हें जाना चाहिए. क्योंकि, कोई भी अपना घर कमजोर नहीं करता. ये शिष्टाचार व्यवस्थाएं होती हैं. इस बैठक में चिंतन किया गया की अग्नि अखाड़े का विकास कैसे किया जाए और किसी भी प्रकार के विवाद में अग्नि अखाड़ा ना फंसे इसलिए कई विकल्पों पर भी चर्चा की गई.
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