UP News: मुलायम सिंह यादव के पहले लोकसभा चुनाव में हुई हत्या का केस वापस लेने की तैयारी, राज्यपाल ने दी अनुमति
UP Politics: एडीएम रामजी मिश्र ने राज्यपाल से इजाजत मिलने के बाद जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी को पत्र लिखा है और केस वापस लेने की कार्रवाई शुरू करने के लिए कहा है.
Mulayam Singh Yadav: समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पार्टी के संरक्षक रहे मुलायम सिंह यादव के पहले लोकसभा चुनाव के दौरान हुई हत्या मामले में सरकार ने केस वापस लिए जाने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए एडीएम रामजी मिश्र ने राज्यपाल से इजाजत मिलने के बाद जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी को पत्र लिखा है और केस वापस लेने की कार्रवाई शुरू करने के लिए कहा है. ये हत्या दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव के पहले लोकसभा चुनाव के दौरान हुई थी, जब सपा और बीजेपी के कार्यकर्ता आमने सामने आ गए थे और दोनों के बीच संघर्ष देखने को मिला था.
हत्या के इस मामले को खत्म करने के मामले राज्यपाल की ओर से भी अनुमति दे दी गई है, राज्यपाल की ओर से अनुमति मिलने के बाद अब इस पर आगे का काम शुरू हो गया है और एडीएम ने केस वापस लेने के प्रक्रिया को शुरू करने के निर्देश दिए हैं.
जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल ये मामला साल 1996 का है जब मुलायम सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे. इस दौरान बीजेपी ने उपदेश सिंह चौहान को उनके खिलाफ अपनी पार्टी की ओर से मैदान में उतारा था. 7 मई को यहां मतदान होना था, जिसके लिए गुनौया क्षेत्र में मतदान केंद्र बनाया गया था. वोटिंग के दिन गुनौया में मतदान केंद्र के पास भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के समर्थक आपस में भिड़ गए थे और दोनों के बीच जबरदस्त संघर्ष हो गया था.
इस घटना में भाजपा समर्थक शेर सिंह व रामौतार और सपा समर्थक रामभरोसे की हत्या कर दी गई थी. इन दोनों ही मामलों में पुलिस ने चार्जशीट न्यायालय में दाखिल कर दी ती लेकिन जब समाजवादी पार्टी की सरकार आई तो सपा समर्थकों पर दर्ज हत्या के मामले को सरकार ने वापस ले लिया था, जबकि सपा समर्थक द्वारा दर्ज कराया मामला अब भी अदालत में विचाराधीन है. इस मामले में पुलिस ने बीजेपी उम्मीदवार रहे उपदेश सिंह चौहान समेत 12 के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी. इनमें से उपदेश सिंह समेत चार लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि बाकी 8 लोगों के खिलाफ मामले की सुनवाई चल रही है.
राज्यपाल ने दी अनुमति
सीएम योगी की सरकार आने के बाद भाजपा समर्थकों ने भी मामला वापस लेने के लिए भागदौड़ की, जिसके बाद जिला प्रशासन ने आख्या लेने के बाद राज्यपाल ने अब इस मामले को भी वापस लेने की अनुमति दे दी है. 12 जुलाई को विशेष सचिव मुकेश कुमार सिंह ने डीएम को पत्र लिखा था. अपर जिला मजिस्ट्रेट रामजी मिश्र ने डीजीसी फौजदारी को पत्र भेजकर केस वापस लेने की कार्रवाई शुरू करने को कहा है.