लखनऊ, एबीपी गंगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज किसानों की शहादत को सम्मान देते हुये मुंडेरवा शुगर मिल का उद्धाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह सम्मान उन तीन किसानों का होगा जो 2002 में मुंडेरवा चीनी मिल को चालू करने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन में शहीद हुए थे। आपको बता दें कि पूर्वांचल के गन्ना बेल्ट की बस्ती जिले की उक्त मिल 1998 में बंद कर दी गयी। मिल बंद होने के साथ ही इससे जुड़े हजारों किसानों और व्यापारियों की खुशी भी छिन गयी। इसके विरोध में चले लंबे आंदोलन के दौरान 2002 में तीन किसान भी शहीद हो गये।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस दौरान जनता को संबोधित करते हुये कहा कि 20 साल पहले मुंडेरवा चीनी मिल बंद हुई थी, किसानों को आंदोलन करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि तीन किसानों ने किसान हित के लिए अपना बलिदान दिया, सीएम ने सभी का अभिनंदन किया। उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुये सपा- बसपा को दोषी ठहराया और कहा कि उनके पास कभी इस बात की फुर्सत नही थी कि किसानों की बात सुन सके।


युवाओं को मिलेगा रोजगार


मुख्यमंत्री ने कहा कि 20 साल पहले बन्द हुई चीनी मिल को आज उनकी सरकार ने चालू किया है। अपनी सरकार की उपलब्धियां बताते हुये सीएम योगी ने कहा कि 49 हजार पुलिस की भर्ती का रास्ता खोला। ये पूरी भर्तियां पारदर्शी तरीके से की गईं। पिछली सरकारों पर आरोप लगाते हुये उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों की भर्ती में जिलों में वसूली करने सपा-बसपा के परिवार वाले निकल जाते थे। शुगर मिल की शुरुआत होने पर उन्होंने कहा कि पूर्वांचल उद्योग में शून्य था लेकिन अब यहां चीनी मिल, खाद कारखाना लग रहा है। यहां का नौजवान रोजगार के लिए पलायन नहीं करेगा, जब यहां पर उद्योग लग जाएंगे।

बस्ती मेरे घर जैसा

मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्ती तो मेरे लिए घर जैसा है और यहां पर विकास के नए आयाम खोले जा रहे हैं। पहले मुंडेरवा चीनी मिल 8 हजार कुंतल की पेराई करती थी, अब 50 हजार कुंतल गन्ने की पिराई होगी। मुख्यमंत्री ने इसके अलावा 116 करोड़ की 49 परियोजनाओं का भी लोकार्पण, शिलान्यास किया।

2017 में सरकार के मुखिया के रूप में योगी ने बंद पड़ी चीनी मिलों को दोबारा चालू करने और पुरानी मिलों की क्षमता बढ़ाने के एजेंडे पर प्राथमिकता से काम करना शुरू किया। मार्च 2018 में मुख्यमंत्री ने मुंडेरवा चीनी मिल का शिलान्यास किया। उसी समय उन्होंने घोषणा की कि 383 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस मिल की क्षमता 5000 टीडीसी की होगी। बनने वाली चीनी सल्फर मुक्त होगी। मिल में 27 मेगावाट का कोजेन प्लांट भी होगा। मिल रिकॉर्ड 12 महीने में बन कर तैयार होगी।


हुआ भी यही। अप्रैल 2019 में इस मिल का ट्रायल हो चुका है। 21 नवंबर को उद्घाटन के बाद विधिवत इस मिल का संचालन होने लगेगा। गत दिनों मुख्यमंत्री इतनी ही क्षमता की पिपराइच गोरखपुर चीनी मिल का भी उद्घाटन कर चुके हैं।


लौट आएगी पूर्वांचल के गन्ने की मिठास
गौरतलब है कि पूर्वांचल एवं गन्ने की खेती का चोली-दामन का रिश्ता रहा है। इस रिश्ते और पूर्वांचल में गन्ने की खेती की अहमियत को सबसे पहले अंग्रेजों ने समझा था। यही वजह है कि यहां की अधिकांश चीनी मिलें ब्रिटिश काल (1910-1930) में स्थापित हुईं। देखते-देखते इनकी संख्या 31 तक जा पहुंची।


पूरे पूर्वांचल में दूर-दूर तक लहराते गन्ने के खेत और चीनी मिलों का धुंआ खुशहाली का प्रतीक था। तब किसानों को मिलों से मिली पर्ची नकदी मानी जाती थी। स्थानीय व्यापारी इनके बिना पर किसानों को इतनी उधारी दे देते थे कि वे बेटी के हाथ तक पीले कर लेते थे। छोटी मोटी जरूरतों की तो कोई बात ही नहीं थी।


कई वजहों से दो दशक पहले टूट गया ये रिश्ता
दो दशक से कुछ अधिक हुए। पूर्वांचल और गन्ने का रिश्ता टूट गया। गन्ने की मिठास क्या गायब हुई यहां की खुशहाली पर भी नजर लग गई। कभी चीनी के कटोरा माने जाने वाले पूर्वांचल की पहचान देश के सबसे पिछड़े इलाके में होने लगी।


इसके पीछे कई वजहें थीं। मसलन-समय के अनुसार मिलों ने आधुनिक तकनीक को नहीं अपनाया। किसानों का मिलों पर बकाया लगना शुरु हुआ तो वह लाखों करोड़ रुपये तक पहुंच गया। बकाया लगा तो किसानों ने गन्ने की खेती से किनारा कर लिया।


ऐसे में किसानों सारी उम्मीदें योगी से थीं। बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसे पूरा भी किया। गन्ने की रिकार्ड पेराई एवं भुगतान। बंद चीनी मिलों की जगह आधुनिक चीनी मिलों की स्थापना, पुरानी चीनी मिलों का क्षमता विस्तार आदि इसके सबूत हैं। इस क्रम में अब तक-मिलों की क्षमता बढ़ाई जा चुकी है। इनमें से -मिलें तो पूर्वांचल की हैं। बाकी के क्षमता विस्तार की कार्ययोजना बन चुकी है। हर मिल में बिजली में आत्मनिर्भर होने के साथ एथनॉल भी बनाएगी।