बरेली: उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए मिशन शक्ति अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन उसके बावजूद एक पिता डेढ़ महीने से अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए अफसरों के चक्कर काटता रहा. एक बुजुर्ग पिता थाने से लेकर एसएसपी, आईजी, एडीजी के पास गया. उसने अपनी बेटी के कातिलों को सजा दिलाने के लिए एफआईआर की मांग की, लेकिन इन अफसरों के कान पर जूं नहीं रेंगी. आखिरकार लखनऊ में अपर महानिदेशक पुलिस लोक शिकायत के आदेश पर बरेली की शहर कोतवाली में शहर के नामचीन सर्राफ और उसके माता-पिता के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है.


शहर के प्रतिष्ठित नामचीन सर्राफ प्रमोद ज्वेलर्स के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है. अपर महानिदेशक पुलिस लोक शिकायत लखनऊ के आदेश पर शहर कोतवाली में पति, सास और ससुर के खिलाफ शहर कोतवाली में हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है.


बहू की हत्या का आरोप


सर्राफ सुरेश कुमार अग्रवाल सिविल लाइन्स में आरएस अपार्टमेंट में रहते हैं. उनका सिविल लाइन्स में ही डायमंड पैराडाईज के नाम से ज्वैलरी का शो रूम है. उन्होंने बताया कि 10 साल पहले 6 दिसम्बर 2010 में उन्होंने अपनी बेटी जूही की शादी रामपुर गार्डन निवासी मनीष अग्रवाल से की थी. शादी खूब धूमधाम से की गई थी और शादी में करीब एक करोड़ रुपये खर्च किये गए थे. शादी के बाद से ही उनकी बेटी को पति और सास-ससुर टॉर्चर करने लगे. 31, दिसम्बर 2020 को जूही को उसके पति मनीष अग्रवाल, ससुर प्रमोद अग्रवाल और सास विभा अग्रवाल ने मिलकर गला दबाकर मार दिया और फिर पंखे में लटका दिया ताकि घटना आत्महत्या लगे.


दौड़ भाग के बाद लिखा गया मुकदमा


जूही के पिता सुरेश कुमार अग्रवाल का कहना है जब वो उसकी ससुराल पहुचे तो पंखे से फांसी के फंदे पर वो लटकी हुई थी और उसके पैर जमीन पर थे. 31 दिसम्बर को हुई घटना के बाद से वो थाने से लेकर एसएसपी, आईजी और एडीजी के पास गए लेकिन उनकी एफआईआर नहीं लिखी गई. डेढ़ महीने से वो अधिकारियो के चक्कर लगाते लगाते थक गए, जिसके बाद लखनऊ जाकर उन्होंने अपर महानिदेशक पुलिस लोक शिकायत से शिकायत की और उनके आदेश पर शहर कोतवाली में जूही के पति मनीष अग्रवाल, ससुर प्रमोद अग्रवाल और सास विभा अग्रवाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत शहर कोतवाली में हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है.


पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल


वहीं, इस मामले में पुलिस ने एडीजी लोक शिकायत के आदेश पर मुकदमा तो लिख लिया लेकिन पुलिस तो पहले से ही मन बना चुकी है कि उसे इस मामले में कुछ नहीं करना है. सवाल उठ रहे हैं कि पुलिस आरोपियों का इतना फेवर क्यों कर रही है? अब भी अधिकारी कह रहे हैं कि, उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ये स्पष्ट नहीं हुआ है कि उसकी हत्या की गई है. जब एसपी साहब से पूछा गया कि, ये बताये कि, एक तरफ तो मिशन शक्ति अभियान चल रहा है और दूसरी तरफ एक पिता को डेढ़ महीने तक अपनी बेटी के हत्यारों के खिलाफ एफआईआर लिखाने के लिए चक्कर काटने पड़े तो वो बगले झांकने लगे. फिलहाल हर बार की तरह पुलिस का वही रटारटाया बयान है कि जांच की जा रही है.


फिलहाल ये तो सभी जानते हैं कि, पुलिस रस्सी का सांप किस तरह बनाती है और अगर उसने पहले से ही मन बना लिया है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी है तो फिर मुकदमा दर्ज करने से कोई फर्क नहीं पड़ता.


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