अयोध्या: भगवान राम को 'इमाम ए हिन्द' मानने वाले कुछ मुस्लिम श्रद्धालु अयोध्या में राम मंदिर के ऐतिहासिक भूमि पूजन कार्यक्रम को प्रत्यक्ष रूप से देखना चाहते थे, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण लगे प्रतिबंधों की वजह से उनके मन की मुराद पूरी न हो सकी और उन्हें यह पूरा आयोजन अपने घर पर टेलीविजन पर देखना पड़ा.
इनमें से अधिकतर का कहना है कि जैसे ही कोविड महामारी समाप्त होगी, वे अयोध्या जाएंगे और भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए 'कारसेवा' करेंगे.
मुस्लिमों की संस्था ‘सुन्नी सोशल फोरम’ के अध्यक्ष राजा रईस ने एजेंसी से बुधवार को कहा, ' हम कारसेवक हैं और भगवान राम को 'इमाम ए हिन्द' मानते हैं. आज हम लोगों के लिए खुशियां मनाने का दिन है, इसलिए हम ढोल और हारमोनियम बजाकर अपनी खुशी का इजहार कर रहे हैं. पूरे देश में हर्षोल्लास का माहौल है, श्रीराम हमारे पैगम्बर है और यह सच है कि हमारे पुरखे हिन्दू थे. इसीलिए देश के मुसलमान काफी प्रसन्न हैं.'
मुस्लिम समाज दोष मुक्त हो गया
रईस ने कहा, 'जैसे ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनना सुनिश्चित हो गया, दुनियाभर का मुस्लिम समाज 'दोषमुक्त' हो गया. हमारे संगठन के लोगों ने भूमिपूजन के आयोजन को टीवी पर सीधे प्रसारण के जरिए देखा, इसके अलावा हम लोगों ने दीये भी जलाए.'
राम मंदिर आंदोलन को हिंदू-मुसलमानों के बीच संघर्ष बताने वालों पर करारा प्रहार करते हुए लखनऊ के सन्नी अब्बास ने कहा, 'भूमिपूजन उन लोगों के गाल पर करारा तमाचा है जो राम मंदिर आंदोलन को हिंदू-मुस्लिम मुद्दा बनाते थे. अधिकतर मुसलमानों का मानना है कि राम मंदिर हिन्दुओं की भावना का प्रतीक है और हमें इसका सम्मान करना चाहिए. अब राम मंदिर दोनों समुदायों के बीच भाईचारे की एक मिसाल बनेगा.'
दोहरी ईद की खुशी
बरेली के जमीर रजा का मानना है कि पांच अगस्त का यह शुभ दिन काफी प्रयासों के बाद आया है.उन्होंने कहा, 'काफी प्रयासों के बाद आज यह दिन आया है. मेरा मानना है कि यह हम लोगों के लिए दोहरी ईद की खुशी है.'
कानपुर की शन्नो खान का कहना है, 'जब कोविड-19 महामारी समाप्त हो जाएगी और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा तब मैं अपने परिवार के लोगों और दोस्तों के साथ वहां जाऊंगी और कारसेवा में भागीदारी करूंगी.'
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