नई दिल्ली, एबीपी गंगा। सुप्रीम कोर्ट में एक मुस्लिम पक्ष ने राजनीतिक रूप से संवदेनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सप्ताह में पांच दिन सुनवाई किए जाने का विरोध किया है। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि अगर इतनी जल्दबाजी में सुनवाई की जाती है तो उसके लिए न्यायालय की सहायता करना संभव नहीं होगा।


प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने मामले में चौथे दिन शुक्रवार को सुनवाई शुरू की। पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबड़े, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं। मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने मामले में पांच दिन सुनवाई किए जाने पर आपत्ति जताई।


धवन ने पीठ को बताया, ‘‘अगर सप्ताह के सभी दिनों में सुनवाई होती है तो न्यायालय की सहायता करना संभव नहीं होगा। यह पहली अपील है और इतनी जल्दबाजी में सुनवाई नहीं हो सकती और यह मेरे लिए प्रताड़ना है।’’ इस पर पीठ ने धवन से कहा कि उसने दलीलों पर गौर किया है और वह जल्द से जल्द जवाब देगी।


बतादें कि दो अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने ये आदेश दिया कि 6 अगस्त से इस मामले की रोजाना सुनवाई की जाएगी। इस मामले की सुनवाई तब तक जारी रखी जाएगी, जब तक सुनवाई पूरी नहीं हो जाती।


दरअसल, कुछ पक्षकारों ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि अयोध्या मामले में बातचीत के जरिए हल निकालने की हो रही कोशिश में सही तरक्की नहीं हो रही है। इसको आगे बढ़ाना सिर्फ समय की बर्बादी है, इसलिए मध्यस्थता प्रक्रिया बंद कर दोबारा सुनवाई शुरू की जाए। इसी मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पहले तो मध्यस्थता कमिटी को 31 जुलाई तक काम करने और 1 अगस्त को रिपोर्ट देने को आदेश दिया था। जिसके बाद 2 अगस्त को फैसले सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता का कोई नतीजा नहीं निकला है और इसके साथ ही कोर्ट मामले की रोजाना सुनवाई के लिए तैयार हो गया।


यह भी पढ़े: अयोध्या मामले में सुप्रीम सुनवाई के बाद मध्यस्थता फेल,वाराणसी के संतों में दो फाड़