उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कहा है कि मरने के बाद हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक उनका दाह संस्कार किया जाए. उन्हें इस्लामिक रीति-रिवाजों के मुताबिक दफनाया न जाए. लेकिन भारत में ऐसी कोई पहली घटना नहीं है जब किसी मुसलमान ने खुद को हिंदू रीति रिवाजों से जलाने की बात कही हो. बल्कि कई नामी शख्सियतें जलाई जा चुकी हैं. 


आइए हम आपको उस एक बड़ी मुस्लिम शख्सियत के बारे में बताते हैं, जिनका अंतिम संस्कार हिंदू धर्म के मुताबिक किया गया था. इस शख्स का नाम था जस्टिस एम हिदायतुल्लाह. वो देश के पहले मुस्लिम चीफ जस्टिस थे. वो देश के एक मात्र चीफ जस्टिस थे, जिन्होंने कार्यवाहक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के रूप में काम किया था. उनका 18 सितंबर 1992 को निधन हो गया था. 


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रिजवी की ही तरह देश के पहले मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्ला ने अपना अंतिम संस्कार हिंदू धर्म के मुताबिक करने की इच्छा जताई थी. जस्टिस हिदायतुल्ला देश के एकमात्र ऐसे मुख्य न्यायाधीश रहे जो कार्यवाहक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पद पर रहे. तीसरे राष्ट्रपति डॉक्टर जाकिर हुसैन की मौत के बाद कार्यवाहक राष्ट्रपति बने तत्कालीन उपराष्ट्रपति वीवी गिरी ने राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. जस्टिस हिदायतुल्ला ने 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969 तक देश के पहले कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में काम किया. अमरीकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इस दौरान भारत की यात्रा की थी. 


कब और कहां पैदा हुए जस्टिस हिदायतुल्लाह


17 दिसंबर 1905 को लखनऊ में पैदा हुए मोहम्मद हिदायतुल्लाह ने 1948 में एक हिंदू महिला पुष्पा शाह से शादी की थी. मोहम्मद हिदायतुल्लाह को 53 साल की आयु में सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया. उस समय वो सुप्रीम कोर्ट के सबसे युवा जज थे. उन्होंने 28 फरवरी 1968 को उन्हें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनाया गया था. वो देश के पहले मुस्लिम चीफ जस्टिस थे. वो इस पद पर 16 दिसंबर 1970 तक रहे. 


चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद से रिटायर होने के बाद जस्टिस हिदायतुल्लाह को सर्वसम्मति से उपराष्ट्रपति चुना गया. वो 1979 से 1984 तक उपराष्ट्रपति रहे. इस दौरान राष्ट्रपति ज्ञानीजैल सिंह जब इलाज के लिए अमेरिका गए तो जस्टिस हिदायतुल्लाह ने 6 अक्तूबर 1982 से 31 अक्तूबर 1982 तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में दोबारा काम किया.


जस्टिस एम हिदायतुल्लाह की याद में उनके गृह नगर रायपुर में हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की स्थापना 2003 में की गई. हार्ट अटैक की वजह से जस्टिस एम हिदायतुल्लाह का 18 सितंबर 1992 को निधन हो गया था. उनकी वसीयत के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार हिंदू रिती-रिवाज से किया गया.


रिजवी ने क्या कहा था?


रिजवी ने रविवार को एक वीडियो जारी कर कहा, ''उनका शरीर उनके हिंदू मित्र, डासना मंदिर के महंत नरसिम्हा नंद सरस्वती को सौंप दिया जाए. उन्हें उनकी चिता को जलाने देना चाहिए.'' वसीम रिजवी ने कहा, ''मेरा गुनाह है कि मैंने पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद पर एक किताब लिखी है. इसलिए कट्टरपंथी मुझे मार देना चाहते हैं. उन्होंने ऐलान किया है कि कब्रिस्तान में मुझे जगह नहीं देंगे. इसलिए मेरे मरने के बाद देश में शांति बनी रहे इसलिए मैंने वसीयतनामा लिखकर प्रशासन को भेज दिया है कि मेरे मरने के बाद हिंदू रीति रिवाज से मेरा अंतिम संस्कार किया जाए.'' वसीम रिजवी ने कुरान की 26 आयतों को चुनौती दी है. उन्होंने एक नया कुरान लिखने का दावा किया है. उन्होंने इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की है.


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