लखनऊ, एबीपी गंगा। अयोध्या मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मुस्लिम पक्षकारों में प्रमुख ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एक बैठक करने जा रहा है। 17 नवंबर को होने वाली इस बैठक में अयोध्या मामले में फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने पर विचार किया जाएगा। इसी बैठक में ही पुनर्विचार याचिका दायर करने के बारे में निर्णय होने की संभावना है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर न्यायालय की संविधान पीठ के निर्णय पर पुनर्विचार याचिका दायर करने या नहीं करने के बारे में बोर्ड की 17 नवंबर को होने वाली बैठक में चर्चा होगी।
गौरतलब है कि 9 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति के फैसले में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर राम मंदिर निर्माण को मंजूरी दी थी। इसके लिए केंद्र को तीन महीने के भीतर ट्रस्ट गठित करने का आदेश दिया गया है। साथ ही पीठ ने अयोध्या में प्रमुख स्थल पर मस्जिद निर्माण के लिये उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आवंटित करने का निर्देश केन्द्र को दिया था।
बतादें कि शनिवार को आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद जफरयाब जिलानी ने असंतुष्टि जाहिर की थी। जफरयाब जिलानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कई विरोधाभास की बात कही। उन्होंने कहा, 'मैं फैसले से संतुष्ट नहीं हूं, हालांकि मैं कोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूं। रामलला के पक्ष में आए फैसले को मुस्लिम पक्ष चुनौती देगा।'
जिलानी ने फैसले के बाद एक प्रेस वार्ता भी की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। मैं देश के लोगों से अपील करता हूं कि किसी तरह का विवाद न उत्पन्न करें। उन्होंने आगे कहा कि मुस्लिम पक्ष कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है। हम वकील राजीव धवन से बात करके आगे का फैसला करेंगे और चुनौती के बारे में सोचेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है वह सर्वमान्य है, हम सबका न्याय व्यवस्था में विश्वास है, लंबे समय से चल रहे विवाद का निपटारा हुआ है, यह अच्छी बात है। जिलानी ने यह भी कहा था कि सवाल 5 एकड़ जमीन का नहीं है। दरअसल, हम मस्जिद किसी को दे नहीं सकते, मस्जिद को हटाया नहीं जा सकता। हम सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरा पढ़ने के बाद आगे की रणनीति बनाएंगे।