एक्सप्लोरर

हयात उल्ला 'चतुर्वेदी' वह मुसलमान जो संस्कृत का पंडित बन गया

कौशांबी में वो शख्स रहता है जो पांच वक्त नमाज पढ़ता है और उनका नाम हयात उल्ला चतुर्वेदी है। आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा नाम है। इनके बारे में सबकुछ जानने के लिये पढ़िये ये दिलचस्प कहानी

कौशांबी, एबीपी गंगा। शांति के मसीहा भगवान बुद्ध की नगरी कौशांबी में एक ऐसा भी शख्स है जो धर्म से मुसलमान है लेकिन कर्म से वह संस्कृत भाषा का पुजारी। संस्कृत के प्रति उनका अगाध प्रेम और समर्पण देख लोग उन्हें पंडित हयात उल्ला "चतुर्वेदी" के नाम से जानते हैं। 77 साल के इस बुजुर्ग की रगों मे आज भी संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार, पढ़ने-पढ़ाने का ऐसा जज्बा है कि 18 साल का युवक भी उनकी ऊर्जा के आगे नतमस्तक हो जाता है।

हयात उल्ला का जन्म 23 दिसंबर 1942 को मूरतगंज ब्लाक के हर्रायपुर गांव में गरीब परिवार में हुआ था। हयात उल्ला के पिता बरकत उल्ला खेती करते थे और मां मरहूम खलीलनून निशा ग्रहणी थीं। तकरीबन 10 बीघे की जोत वाली जमीन पर पिता ने खेती कर हयात को पढ़ा-लिखा कर अच्छी परवरिश दी। माता पिता की अकेली संतान हयात ने प्राइमरी स्कूल की पढ़ाई पूरी कर जब जूनियर की पढाई का रुख किया तो गांव में स्कूल न होने की समस्या सामने थी। पिता ने आगे पढ़ाई करने की सलाह देते हुए घर से मीलों दूर चरवा में दाखिला करा दिया। चरवा के आदर्श ग्राम सभा जूनियर हाई स्कूल चरवा में दाखिला लेने के बाद हयात ने धर्म विरुद्ध फैसला कर अपने परिवार के लोगों को हैरान कर दिया। उर्दू की जगह संस्कृत की पढाई का विरोध मां और दूसरे रिश्तेदारों ने किया लेकिन पिता बरकत उल्ला ने बेटे हयात की हौसला अफजाई कर उसे संस्कृत की पढाई जारी रखने में मदद की। हयात उल्ला ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा उन्होंने स्नातक तक संस्कृत की पढ़ाई की, उन्होंने इलाहबाद विश्व विद्यालय से की।

मास्टर डिग्री उन्होंने हिंदी भाषा से कर कौशांबी के एमआर शेरवानी इंटर कालेज में प्रवक्ता की नौकरी कर ली। हयात ने नेहरू स्मारक शिक्षण संस्थान से शिक्षा स्नातक (बीएड) की भी डिग्री हासिल की है। चारों वेदों के अध्ययन के बाद उन्होंने 1974 में अरैल के सच्चा बाबा आश्रम में हुए विश्व संस्कृत सम्मलेन में उनकी विद्वता का लोहा मानकर उन्हें ''चतुर्वेदी'' की उपाधि प्रदान की गई। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और आज भी 77 साल की उम्र में संस्कृत को पढ़ने पढ़ाने के लिए उत्साहित दिखते हैं।

हयात उल्ला 'चतुर्वेदी' वह मुसलमान जो संस्कृत का पंडित बन गया

हयात उल्ला कहते हैं कि प्राइमरी की शिक्षा गांव से लेने के बाद चरवा के स्कूल में छठवीं से संस्कृत की पढ़ाई शुरू की तो फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीए करने तक संस्कृत की पढाई की, एमए हिंदी से कर उन्होंने एमआर शेरवानी इंटर कालेज में नौकरी कर ली। संस्कृत पढ़ने और पढ़ाने से उन्हें इतना सम्मान मिला कि शायद ही किसी शख्स को इतना सम्मान मिला होगा। 26 मई 1972 में अरैल के सच्चा बाबा आश्रम में हुए एक विश्व सम्मेलन में उन्हें चार सवालों का जवाब देने के बाद चतुर्वेदी की उपाधि दी गई।

धर्म से मुसलमान हयात पांचों वक्त के नमाजी हैं। पूरी शिद्दत से नमाज अता करते हैं रमजान के महीने में रोजा रखते हैं। पढाई के दौरान जब से उन्होंने संस्कृत भाषा का दमन पकड़ा तो उसे आज भी उन्होंने नहीं छोड़ा है। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने संस्कृत भाषा ने ही उन्हें गुरु की पदवी दिलाई और वह प्रयागराज के सल्लाहपुर स्थित सलीम शेरवानी इंटर कालेज में बतौर लेक्चरर नौकरी करने लगे। तकरीबन 30 सालों तक संस्कृत का ज्ञान बच्चों में बांटने के बाद ,मौजूदा समय में वह कालेज से रिटायर्ड हो चुके है। लगभग 16 साल पहले रिटायमेंट के बाद भी उन्होंने उम्र को कभी अपने जिस्म और जेहन पर हावी नहीं होने दिया। उनके परिवार में दो बेटे हैं एक बेटा डॉ मोहम्मद इसरत एमएससी साइंस से करने के बाद प्रयागराज जिले में डाक्टर है। छोटा बेटा मोहम्मद फैजान ने भी हिंदी भाषा से एमए तक की तालीम हासिल की है। छोटे बेटे की पत्नी बीवी जैनब भी संस्कृत की शिक्षा स्नातक तक की है। फिलहाल वह बीएड करने के बाद अभी एक निजी स्कूल में शिक्षिका हैं। बेटे मोहम्मद फैजान के मुताबिक पिता जी आज भी संस्कृत का नाम सुनते ही उनके अंदर गजब का उत्साह और जोश दिखाई पड़ता है।

हयात उल्ला के बेटे मोहम्मद फैजान बताते हैं कि तकरीबन 77 साल के करीब उम्र हो गई है, लेकिन अभी भी संस्कृत पढ़ाने की बात आती है तो वह उठकर चल पड़ते हैं। फ्री में पढ़ाते हैं, हम लोग उम्र को देखते हुए मना भी करते हैं, तो भी नहीं मानते। संस्कृत का नाम सुनते ही पिता जी के अंदर जोश भर जाता है। 77 साल के इस जोशीले युवा में आज भी संस्कृत के प्रति उतना ही प्रेम दिखाई पड़ता है जितना की संस्कृत भाषा की शिक्षा प्राप्ति के दौरान उनके दिलो दिमाग पर था। हयात उल्ला आज भी संस्कृत भाषा को पढ़ाने के लिए काफी उत्सुकता दिखाते हैं। उम्र की इस दहलीज पर पहुंचने के बाद भी वह मौजूदा समय में अपने आसपास के बच्चों व स्कूलों में संस्कृत की शिक्षा देने के लिए जाते हैं। जिसके लिए वह स्कूल या पढ़ने वाले बच्चों से कोई फीस नहीं लेते है। स्कूल में संस्कृत पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं भी हयात उल्ला से संस्कृत पढ़ने के बाद काफी उत्साहित नजर आते हैं और खुले मन से उनकी प्रशंसा करते नहीं थकते।

स्तुति नाम की छात्रा बताती है कि हमें संस्कृत पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। क्योंकि संस्कृत पढ़ने से एकता और अखंडता का सन्देश मिलता है। हमारे वेद भी संस्कृत में है और उनमे अपार ज्ञान का भण्डार है। इसलिए संस्कृत हमें पढ़ना चाहिए।

हयात उल्ला चतुर्वेदी बताते हैं कि वह भले ही रिटायर्ड हो गए हो लेकिन आज भी उनकी जिस्म में संस्कृत ही समाई है, रगों में संस्कृत ही बहती और दौड़ती है। वह अपनी आखिरी सांस तक संस्कृत की सेवा करते रहेंगे। वह चाहते हैं कि भारत सरकार संस्कृत को मदरसों में लागू करने का आदेश दे तो वह खुद तैयार बैठे हैं संस्कृत की किताबे लिखकर पढ़ने के लिए। संस्कृत से इतना सम्मान हासिल किया है जितना की शायद ही किसी मुस्लिम को मिला होगा। इसके आलावा संस्कृत पढ़ने से उन्हें वेद वेदांत उपनिषद आदि ग्रन्थ पढ़ने को मिला जिससे उन्हें इस्लाम को समझने में मदद मिली है। हयात उल्ला चतुर्वेदी पूरे विश्वास के साथ कहते हैं कि अगर "जिन्ना" उनके जितना संस्कृत पढ़े होते तो आज हिंदुस्तान का बंटवारा नहीं होता |

हयात उल्ला यह भी बताते हैं कि वह देश की सरकार में मांग करते हैं कि आदमी को आदमी का ज्ञान कराने के लिए संस्कृत को पढ़ना बहुत जरुरी है इसके लिए वह ऋग्वेद की सूक्ति और ऋचाओं को पढ़ा कर उसका हिंदी अनुवाद भी बताते हैं। वह इस बात की भी वकालत करते हैं कि मुसलमानो को संस्कृत पढ़ाया जाना चाहिए ताकि सभी को मानवता की जानकारी हो सके।

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Pager Blast: राजदूत की फूटी आंख फिर भी चुप है ईरान, इजरायल से भिड़ने का नहीं उठा रहा जोखिम... क्या है वजह
राजदूत की फूटी आंख फिर भी चुप है ईरान, इजरायल से भिड़ने का नहीं उठा रहा जोखिम... क्या है वजह
परवीन बॉबी के साथ अधूरी रही इस मशहूर डायरेक्टर की प्रेम कहानी, याद में बना डाली थी फिल्म, जानें कौन हैं वो
परवीन बॉबी के साथ अधूरी रही इस मशहूर डायरेक्टर की प्रेम कहानी, याद में बना डाली थी फिल्म
IND vs BAN: पहले दिन सामने आईं टीम इंडिया की 3 सबसे बड़ी कमजोरी, कोहली-रोहित पर बड़े सवाल
पहले दिन सामने आईं टीम इंडिया की 3 सबसे बड़ी कमजोरी, कोहली-रोहित पर बड़े सवाल
इस पहाड़ी राज्य में सस्ते दाम पर मिलेंगे होटल, पर्यटन विभाग दे रहा भारी डिस्काउंट
इस पहाड़ी राज्य में सस्ते दाम पर मिलेंगे होटल, पर्यटन विभाग दे रहा भारी डिस्काउंट
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Israel-Hezbollah war : ईरान ने फिर छेड़ा न्यूक्लियर बम का राग | 24 Ghante 24 ReporterMumbai News: लॉरेंस का प्लान...निशाने पर सलमान खान? Lawrence Bishnoi Gang | Salim Khan |ABP NewsLebanon attack : लेबनान पर एयर स्ट्राइक..महाजंग का हूटर ! Benjamin NetanyahuPM Modi On Article 370: PAK रक्षा मंत्री के बयान को लेकर पीएम मोदी की खरी-खरी | ABP News

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Pager Blast: राजदूत की फूटी आंख फिर भी चुप है ईरान, इजरायल से भिड़ने का नहीं उठा रहा जोखिम... क्या है वजह
राजदूत की फूटी आंख फिर भी चुप है ईरान, इजरायल से भिड़ने का नहीं उठा रहा जोखिम... क्या है वजह
परवीन बॉबी के साथ अधूरी रही इस मशहूर डायरेक्टर की प्रेम कहानी, याद में बना डाली थी फिल्म, जानें कौन हैं वो
परवीन बॉबी के साथ अधूरी रही इस मशहूर डायरेक्टर की प्रेम कहानी, याद में बना डाली थी फिल्म
IND vs BAN: पहले दिन सामने आईं टीम इंडिया की 3 सबसे बड़ी कमजोरी, कोहली-रोहित पर बड़े सवाल
पहले दिन सामने आईं टीम इंडिया की 3 सबसे बड़ी कमजोरी, कोहली-रोहित पर बड़े सवाल
इस पहाड़ी राज्य में सस्ते दाम पर मिलेंगे होटल, पर्यटन विभाग दे रहा भारी डिस्काउंट
इस पहाड़ी राज्य में सस्ते दाम पर मिलेंगे होटल, पर्यटन विभाग दे रहा भारी डिस्काउंट
'अयोध्या भेजे गए थे 1 लाख लड्डू', तिरुपति के प्रसाद में जानवरों की चर्बी की रिपोर्ट पर भड़का RSS
'अयोध्या भेजे गए थे 1 लाख लड्डू', तिरुपति के प्रसाद में जानवरों की चर्बी की रिपोर्ट पर भड़का RSS
First Aid: इंसान को मौत के मुंह से बाहर ला सकते हैं First Aid के ये चार तरीके, आप भी जान लें ये काम की बात
इंसान को मौत के मुंह से बाहर ला सकते हैं First Aid के ये चार तरीक
Income Tax Recruitment 2024: इनकम टैक्स में जॉब पाने का शानदार मौका! 56 हजार से ज्यादा मिलेगी सैलरी
इनकम टैक्स में जॉब पाने का शानदार मौका! 56 हजार से ज्यादा मिलेगी सैलरी
सभी गैस सिलेंडर होते हैं गोल, ये है इसके पीछे का साइंस
सभी गैस सिलेंडर होते हैं गोल, ये है इसके पीछे का साइंस
Embed widget