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CAA Protest दसवें दिन भी जारी है प्रयागराज के मंसूर अली पार्क में मुस्लिम महिलाओं का धरना
प्रयागराज का मंसूर अली पार्क दिल्ली का शाहीन बाग बना हुआ है। संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ यहां मुस्लिम महिलाएं दस दिन से धरने पर बैठी हैं।
![CAA Protest दसवें दिन भी जारी है प्रयागराज के मंसूर अली पार्क में मुस्लिम महिलाओं का धरना Muslim women protest at mansoor ali park in Prayagraj CAA Protest दसवें दिन भी जारी है प्रयागराज के मंसूर अली पार्क में मुस्लिम महिलाओं का धरना](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/9/2020/01/17162725/CAA1-270x202.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
प्रयागराज,एबीपी गंगा। संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन राज्य के कई शहरों में जारी है। दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर प्रयागराज के मंसूर पार्क में मुस्लिम महिलाएं इस कानून के विरोध में बैनर, तख्तियों के साथ बैठी हैं। पार्क में सीएए के विरोध में ये धरना लगातार दसवें दिन भी जारी है। मुस्लिम महिलाओं ने केंद्र सरकार की बुद्धि शुद्धि के लिए हवन कराया है। इसके अलावा साधु-संतों से हिंदू मुस्लिम एकता के लिए यज्ञ करवाया गया। महिलाओं ने केंद्र सरकार से सीएए और एनआरसी को वापस लिए जाने की मांग की है।
मुस्लिम महिलाओं ने सीएए को काला कानून बताते हुए हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए खतरा बताया। लगातार जारी धरने को खत्म करने के सवाल पर उनका कहना है कि सीएए और एनआरसी वापस लिए बगैर ये धरना खत्म नहीं होगा। आपको बता दे कि 12 जनवरी से दिल्ली के शाहीन बाग की तरह प्रयागराज के मंसूर अली पार्क में मुस्लिम महिलाएं धरने पर बैठी हैं।
इससे पहले प्रशासन की तरफ से धरना दे रही तकरीबन 250 महिलाओं और उन्हें समर्थन देने वाले लोगों के खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन के मामले में एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन मुकदमा दर्ज होने के बावजूद महिलाएं अपना आंदोलन खत्म करने को कतई तैयार नहीं हैं। पार्क में महिलाओं के समर्थन में बड़ी संख्या में पुरुष भी डटे रहते हैं। हालांकि धरने पर सिर्फ महिलाएं ही बैठी हुई हैं। इस पार्क में पूरे दिन देशभक्ति के तराने गूंजते हैं। महिलाओं के खाने का इंतजाम भी यहीं पर रहता है। इसके साथ ही यहां दवाओं व बच्चों के बिस्किट वगैरह का इंतजाम भी कर दिया गया है। मंसूर पार्क में आंदोलनकारी महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आंदोलन को खत्म कराने और पार्क को महिलाओं के कब्जे से आजाद कराना अब सरकारी अमले के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है।
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