Mussoorie News: उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डा. गीता खन्ना आज मसूरी पहुंची. जहां पर उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में डिप्टी डायरेक्टर और अन्य अधिकारियों के साथ बाल अधिकार ऑन बाल अधिकारों और जेंडर को लेकर चर्चा की गई. उन्होंने कहा कि प्रदेश में बाल अधिकार संरक्षण आयोग के गठन का उद्देश्य प्रदेश में बाल अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करना है. एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करना है जो बच्चों के हित में सभी कानूनी प्रावधानों, उनके संरक्षण और विकास के लिए प्रदेश में चलाई जा रही.
डॉ गीता खन्ना ने बताया कि देश में जेंडर को लेकर जो भ्रांतियां हैं. उस पर काम करने की जरूरत है. जिससे समाज को जोड़ा जा सके. स्कूलों में भी बाल संरक्षण के अधिकारों और जेंडर को लेकर पाठ्यक्रमों में विषयों में शामिल किया जाये जिससे वह जागरूक हा सके. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा मसूरी के तिब्बतन होम्स रूकूल का भी निरीक्षण किया गया.जहां पर तिब्बती समुदाय के बच्चे पढ़ाई करते हैं. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा एक तिब्बतन होम्स का निरीक्षण किया गया था. जहां पर बच्चों की संख्या बहुत कम थी. यहां पर बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जा रही है. वहीं पढ़ाई को लेकर बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है.
बच्चे मजबूरी में मांग रहे भीख
डॉ गीता ने यह भी कहा कि जो बच्चे भीख मांगते हुए देखे जा रहे हैं. वह किसी वह किसी माफिया के अंदर में नहीं है. वह मजबूरी में भीख मांग रहे हैं. उनको लेकर बाल संरक्षण आयोग काफी चिंतित है और भीख मांग रहे बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. चिल्ड्रन ऑन स्ट्रीट सिचुएशन के तहत केंद्र और राज्य सरकार काम कर रही है. जिसके तहत भीख मांगने वाले बच्चों को स्कूल में एडमिशन दिलाने के साथ छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई जा रही है. वहीं इन बच्चों को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बाल श्रम को रोकने के लिए 1 जून से पहाड़ों की रानी मसूरी से एससीपीसीआर द्वारा 1 जून से 3 जून तक अभियान शुरू किया जा रहा है. जिसके तहत मसूरी में होटल होमस्टे रेस्टोरेंट में काम कर रहे बच्चों का रेस्क्यू किया जाएगा. उनको समाज के मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने मसूरी होटल एसोसिएशन, मसूरी व्यापार मंडल, होम स्टे एसोसिएशन से अपील की है की बचपन को सुरक्षित रखने के लिये उनके और मासूम बच्चों को से अपने संस्थानों में काम पर ना लगाये.
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