Uttarakhand News: मसूरी (Mussoorie) में मई दिवस (Labour Day) पर मसूरी ट्रेड यूनियन (Trade Union) समन्वय समिति के तत्वाधान में विशाल रैली निकाली गई. इस दौरान सभी मजदूर संगठनों द्वारा 1886 में श्रमिकों के षहादत को श्रद्धांजलि देकर याद किया गया. लंढौर (Landour) गुरूद्वारा चौक से बड़ी संख्या में श्रमिकों ने ट्रेड यूनियन समंवय समिति और मसूरी होटल रेस्टोरेंट कर्मचारी संध के तत्वाधान में विषाल रैली निकाली. 


बीजेपी पर लगाया आरोप
रैली में मई दिवस के अमर शहीदों को सलाम और दुनिया के मजदूरों एक हो के नारे के साथ ही समस्याओं से संबंधित नारेबाजी हुई. इसके साथ ही विभिन्न संगठनों के श्रमिक पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन पर लंढौर बाजार, कुलड़ी बाजार, मालरोड और शहीद स्थल होते हुए गांधी चौक तक गये. वहां पर आम सभा की. सभा को संबोधित करते हुए श्रमिक नेताओं ने केंद्र की बीजेपी सरकार और प्रदेश की सरकार पर श्रमिक विरोधी होने का आरोप लगाया. वहीं कहा कि लगातार श्रमिकों पर अत्याचार किया जा रहा है. श्रमिक नेताओं ने श्रमिकों से आहवान किया कि वे श्रमविरोधी सरकारों के खिलाफ लामबंद होकर लड़ाई लड़ें.


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क्या रखी मांग?
इस मौके पर मांग की गई कि होटल, स्कूल कर्मचारियों का वेतन 22000 किया जाए. भवन निर्माण मजदूरों की दैनिक मजदूरी 1000 रूपए की जाए. श्रम कानूनों पर छेड़छाड़ पर रोक लगाई जाए. सस्ती दरों पर आवास उपलब्ध कराए जाएं और कॉलोनियों का निर्माण किया जाए. नजूल की भूमि के पटटे श्रमिकों को आवंटित किए जाए, ईएसआई के बिलों का भुगतान 15 दिनों के अंदर किया जाय. वहीं होटलों और स्कूलों में जांच कर अंशदान कटौती के लिए कठोर कार्रवाई की जाए. रिक्षा बोझा श्रमिकों के किराये और मजदूरी में बढोत्तरी की जाए. इस मौके पर मजदूर नेताओं ने केंद्र कि मोदी और राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार को मजदूर विरोधी बताते हुए कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने चुनाव के दौरान मजदूर के हितों को लेकर कई वायदे कर अच्छे दिन के सपने दिखाये थे, परन्तु सत्ता हासिल करते ही पीएम अपने सारे वायदे भूल गए.


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