Mussoorie News: मसूरी में संपन्न हुआ भदराज मेला, 2 साल बाद भगवान बलराम को देखने जुटी थी हजारों भक्तों की भीड़
उत्तराखंड के मसूरी में आयोजित होने वाले वार्षिक भदराज मेला का आज समापन हो गया. इस साल हजारों श्रद्धालु मंदिर दर्शन करने पहुंचे.
Uttarakhand News: उत्तराखंड में मसूरी (Mussoorie) से लगभग 15 किलोमीटर दूर दुधली भदराज पहाड़ी पर स्थित भगवान बलराम के मंदिर (Balram Temple) में लगने वाला दो दिवसीय मेला आज संपन्न हो गया. मेले में जौनसार, पछुवादून, जौनपुर, मसूरी, विकासनगर और देहरादून सहित अन्य इलाकों के हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान बलभद्र का दुग्धाभिषेक किया. मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया. यह उत्तराखंड में भगवान बलराम का एकमात्र मंदिर है.
मेले से जुड़ी है यह मान्यता
मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेश नौटियाल ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि दुधली पहाड़ी पर पछुवादून और जौनपुर की सिलगांव पट्टी के ग्रामीण चौमासे में अपने पशुओं को लेकर चले जाते थे लेकिन पहाड़ी पर एक राक्षस उनके पशुओं को खा जाता था. मवेशी पालकों को भी परेशान करता था, जिस पर ग्रामीण भगवान बलराम के पास सहायता के लिए पहुंचे. बलराम ने ग्रामीणों को मायूस नहीं किया और पहाड़ी पर जाकर राक्षस का अंत कर, चरवाहों के साथ लंबे समय तक पशुओं को चराया. इसलिए ग्रामीणों ने भगवान बलराम का मंदिर यहां पर बनाकर उनकी पूजा शुरू की गई, जो आज भी जारी है. ऐसी मान्यता है कि भगवान बलभद्र आज भी उनके पशुओं की रक्षा करते हैं.
पौराणिक कथाओं में भी है इसका जिक्र
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार यह मंदिर भगवान कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम को समर्पित है. यहां भद्राज के रूप में बलराम जी की पूजा होती है.भगवान भद्राज को पछवादून ,मसूरी ,और जौनसार क्षेत्र के पशुपालकों का देवता माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में जब भगवान बलराम, ऋषि वेश में इस क्षेत्र से निकल रहे थे तब उस समय इस क्षेत्र में पशुओं की भयानक बीमारी फैली हुई थी. ऋषि को उनके क्षेत्र से निकलते देख, लोगो ने उन्हें रोक लिया और पशुओं को ठीक करने का निवेदन करने लगे. तब बलराम जी ने उनके पशुओं को ठीक कर दिया. माना जाता है कि उन्होंने लोगोंको आशीर्वाद दिया कि कलयुग में में वह मंदिर में भद्राज देवता के नाम से निवास करेंगे.
कोरोना के कारण 2 साल तक लगा सांकेतिक मेला
कोरोना महामारी के कारण दो साल तक सांकेतिक मेले का आयोजन किया गया,लेकिन इस साल पूरे उत्साह के साथ इसका आयोजन किया गया. सभासद जसबीर कौर ने सरकार से मांग की कि मेले को पर्यटन मेले के नक्शें पर स्थान दिया जाए जिससे यहां पर हजारों बड़ी तादात में आने वाले श्रद्वालुओं को सुविधा मिल सके और देश-विदेश के पर्यटक मंदिर और आसपास के दृश्य का आनंद उठा सकें.
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