Muzaffarnagar Farmer Death: उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर में 50 हजार की जमानत धनराशि कोर्ट में जमा न करा पाना एक गरीब किसान के लिए मौत की वजह बन गया. ये मामला सदर तहसील के लक्षेड़ा गां व का है जहां पर रहने वाले किसान वेद पाल कश्यप के किसान जब जमानत राशि जमा नहीं करवा पाया तो तहसील से एक लाख रुपयों की रिकवरी जारी हुई थी, जिसमें किसान के परिवार की 10 बीघा जमीन की नीलामी कर रुपया वसूलने की घोषणा की गई थी. इसी बात से आहत वेदपाल की उनके खेतों में ही मौत हो गई.  


किसान ने अपने खेत में तोड़ा दम


खबर के मुताबिक लक्षेड़ा गांव के रहने वाले मृतक किसान वेदपाल कश्यप ने साल 2006 में एक अपराधी की जमानत ली थी. लेकिन इसके बाद वो अपराधी फरार हो गया.  जिसके बाद कोर्ट ने जमानतदार किसान वेदपाल के खिलाफ वारंट जारी कर दिये थे. लेकिन जब किसान कोर्ट में पेश नहीं हुआ तो सदर तहसील से उनके खिलाफ 50 हजार रुपये की रिकवरी जारी कर दी. जो समय के साथ बढ़कर एक लाख रुपये हो गई थी. किसान जब ये राशि चुका नहीं पाया तो तहसील की ओर से गांव में मुनादी कराते हुए गुरुवार को उनकी 10 बीघा जमीन की नीलामी का एलान किया गया. 


तहसील ने दिए थी जमीन की नीलामी का आदेश 


मृतक वेदप्रकाश के पास 10 बीघा पैतृक भूमि है. जिससे वह अपने 4 बच्चों और अपने एक भाई के परिवार का पेट पाल रहा था. परिजनों के मुताबिक 26 अप्रैल को सदर तहसील की ओर से गांव में वेद पाल की भूमि की नीलामी गुरुवार को कराए जाने की मुनादी करवाई गई थी तब से ही किसान वेद पाल बहुत दुखी था. गुरुवार को उसकी जमीन की नीलामी होनी थी. जिससे आहत किसान सुबह ही अपने खेत में चला गया. दोपहर करीब दो बजे वेद प्रकाश का शव उनके ही खेत में पड़ा मिला. किसान की मौत हो जाने के बाद परिवार में कोहराम मच गया. परिवार ने प्रशासनिक अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हुए उन पर कार्रवाई की मांग की है.


सदमे से गई किसान की जान


परिवार का कहना है कि वेद पाल ने तहसील अधिकारियों से बेटी की शादी तक रुकने का अनुरोध किया था, क्योंकि 5 दिन बाद वेद पाल की बेटी की शादी होनी थी. लेकिन तहसील से नीलामी प्रक्रिया में कोई छूट न मिल पाने के चलते वेदपाल सदमे में आ गया था. वेदप्रकाश की जमीन की नीलामी की खबर वो सह नहीं पाया और उसे बहुत गहरा सदमा लगा. जिसके बाद उसने अपने खेत में ही दम तोड़ दिया.


रालोद और किसान नेताओं ने जताया आक्रोश


ये खबर आसपास के इलाके में आग की तरह फैल गई. जिसके बाद राष्ट्रीय लोक दल के नेताओं समेत किसान संगठन भी वहां पहुंच गए और उनमें खासा रोष देखने को मिला. परिवार का कहना है कि गांव में मुनादी कराने वाले तहसीलकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए और उनकी जमीन पर किसी तरह की कार्रवाई न की जाए. ये मामला अब गरमा गया है. रालोद नेताओं ने गांव लछेड़ा पहुंचकर जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि वो करोड़ों के बकायादारों के लिए तो नरमी बरत सकता है, लेकिन गरीब किसानों की जान उनके लिए कोई मायने नहीं रखती. रालोद ने पीड़ित परिवार के लिए मुआवजा देने की मांग की है. 


वहीं दूसरी ओर इस पूरे मामले पर एसडीएम सदर परमानंद जहान की मानें तो इस मामले की जांच की जा रही है. दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच के बाद कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी और परिवार को आर्थिक मुआवजा दिलाया जाएगा.