Muzaffarnagar News: मुजफ्फरनगर जेल में दिखी गंगा-जमुनी तहजीब, भजन संध्या में हिन्दू-मुस्लिम कैदी एक साथ हुए शामिल
Muzaffarnagar Jail: जेल अधीक्षक ने कहा कि बंदियों में आध्यात्मिक ज्ञान दर्शन के विकास और सांस्कृतिक अभिरुचि बढ़ाए जाने के लिए ये सत्संग रखा गया, जिसमें सभी धर्मों के कैदी शामिल हुए.

Muzaffarnagar News: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) स्थित जिला कारागार (Jail) में भजन संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिली, यहां पर हिंदू-मुस्लिम सभी धर्मों के कैदी एक साथ भजन संध्या में शामिल हुए. जिला कारागार के अधीक्षक सीताराम शर्मा ने कहा कि बंदियों में आध्यात्मिक ज्ञान दर्शन के विकास और सांस्कृतिक अभिरुचि बनाए जाने के उद्देश्य से इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कराए जाते हैं, जिससे बंदियों में अपराधी प्रवृत्ति कम हो सके.
दरअसल, मुजफ्फरनगर जिला कारागार में पहले भी कई ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन हो चुका है जिसमें हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक सौहार्द देखने को मिलता रहा है. इससे पहले नवरात्रों के दौरान यहां पर सैकड़ों हिन्दू बंदियों के साथ 218 मुस्लिम बंदियों ने भी नवरात्रि के व्रत रखे थे और जेल में होने वाले सत्संग कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था.
सत्संग में शामिल हुए हिन्दू-मुस्लिम कैदी
जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने कहा कि बंदियों में आध्यात्मिक ज्ञान दर्शन के विकास और सांस्कृतिक अभिरुचि बढ़ाए जाने के उद्देश्य से ये सत्संग रखा गया था. इसमें मथुरा से बांके बिहारी कीर्तन मंडली आई थी उन्होंने यहां पर भजन और कीर्तन का कार्यक्रम किया. कार्यक्रम का उद्देश्य है कि बंदियों को सुधार की ओर अग्रसर किया जाए और उनकी जो अपराध प्रवृति है वो कम हो. उन्होंने कहा कि जेल में जो भी कार्यक्रम होते हैं उसमें सभी धर्मों के कैदी वो चाहे हिंदू या मुस्लिम बराबर रूप से हिस्सा लेते हैं और संप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम करते हैं.
जेल अधीक्षक ने बताया कि यहां पर सुंदरकांड का भी आयोजन होता रहता है. उसमें मुस्लिम बंदी भी शामिल होते हैं. पिछली बार नवरात्रि में 218 मुस्लिम बंधुओं ने भी व्रत रखा था. ऐसे ही सत्संग हुआ था जिसमें सभी धर्मों के बंधुओं ने हिस्सा लिया. इससे बंदी उत्साहित होते हैं और उनमें सकारात्मक वातावरण बना रहता है. मानसिक अवसाद की संभावना कम होती है. कैदियों में सुधार का ये सबसे सशक्त माध्यम है. इसी क्रम में हमने जेल में लाइब्रेरी भी बनाई है. जिसमें 4000 किताबें हैं.
कैदियों को व्यवसायिक शिक्षा भी दी जाती है
जेल में कैदियों को शिक्षा के लिए भी प्रेरित किया जाता है. जिला विद्यालय निरीक्षक के सहयोग से कई कैदी हाईस्कूल और इंटर की परीक्षाओं में अगले साल से हिस्सा लेंगे. व्यावसायिक शिक्षा का जब बंदी जेल से छूट कर जाता है तो उसे नौकरी की दिक्कत नहीं होती. कौशल विकास मिशन के तहत बंदी यहां से प्रशिक्षण ले रहे हैं जिससे बाहर वो अपने रोजगार कर सके. माननीय कारागार मंत्री जी इसी मंशा के तहत कार्य कर रहे हैं उनके निर्देश है कि इसी तरह की ट्रेनिंग बंधुओं को दी जाए.
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