मुजफ्फरनगर का इतिहास काफी पुराना है. मुगल बादशाह शाहजहां ने सरवट नामक परगना को सरदार सय्यैद मुजफ्फर खान को जागीर के तौर पर दे दिया था. जिसके बाद साल 1633 में मुजफ्फर खान के बेटे मुनव्वर लश्कर खान ने यहां एक नगर बसाया और इसका नाम मुजफ्फर नगर रखा. ब्रिटिश राज के दौरान यह आगरा और अवध संयुक्त प्रांत का हिस्सा हुआ करता था.
उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्यटक स्थलों में लखनऊ, मथुरा, आगरा, कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद और झांसी जैसे शहरों का नाम आता है. लेकिन बहुत ही कम लोगों को मुजफ्फरनगर के पर्यटन स्थल के बारे में पता है. यह उत्तराखंड सीमा पर स्थित है. मुजफ्फरनगर के प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस शुक्रतीर्थ, अक्षय वट, हनुमत धाम और वहलना समेत कई स्थान हैं.
गणेश धाम
मुजफ्फरनगर स्थित गणेश गणेश धाम में भगवान गणेश की 35 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है. इसके पास क अन्य दर्शनीय स्थलहैं जिसमें मुख्य रूप से वटवृक्ष और शुखदेव टीला स्थित है.
शुक्रतीर्थ-शुक्रताल
इस पवित्र स्थान का इतिहास तकरीबन 5 हजार साल पुराना है. यहीं पर गोस्वामी शुकदेव ने अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित को भागवत पुराण की कथा सुनाई थी. हर साल यहां हजारों की संख्या में पर्यटक यहां गंगा में डुबकी लगाने आते हैं.
वहलना
जैन धर्म के प्रमुख मंदिरों में से एक वहलना है. इस मंदिर की एक दीवार मस्जिद और दूसरी दीवार शिव मंदिर से सटी हुई है. बहलना जैन मंदिर को 1008 पार्श्वनाथ दिंगबर जैन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यहां भगवान पार्शनाथ की प्रतिमा स्थापित है. मंदिर परिसर में 57 फीट की मनस्थम और एक नैचुरोपैथी अस्पताल भी स्थित है.
हनुमत धाम
मुजफ्फरनगर के शुक्रताल में स्थित हनुमत धाम का निर्माण साल 1987 में हुआ था. यहां भगवान हनुमान की 72 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है. इस धाम का निर्माण साल 1987 में हुआ था. मंदिर परिसर में एक तरफ यज्ञशाला और दूसरी तरफ कथा मंच स्थित है.
जूलॉजिकल पार्क
मुजफ्फरनगर के धार्मिक पर्यटन स्थलों के अलावा जूलॉजिकल पार्क भी प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में शामिल है. इस जूलाजिकल पार्क की स्थापना साल 1970 में संतोष धर्म कॉलेज ने की थी. इस पार्क में विभिन्न स्थलीय और जलीय जीव पाए जाते हैं. इसके अलावा यहां एक लाइब्रेरी भी स्थित है.
अक्षयवट वाटिका
शुकरतीर्थ के पास ही अक्षयवट वाटिका स्थित है. यहां 51 हजार साल पुराना पेड़ स्थित है. ऐसा माना जाता है कि गोस्वामी शुकदेव ने अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित को इसी पेड़ के नीचे भागवत पुराण सुनाई थी.
यह भी पढ़ें