Muzaffarnagar News: मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक झगड़े के मामले में 10 लोगों को पांच-पांच साल की सजा, 14 लोग रिहा
UP News: मुजफ्फरनगर में 16 साल बाद एक सांप्रदायिक झगड़े के मामले में विशेष समुदाय के 10 लोगों को 5 -5 साल की अधिकतम सजा सुनाते हुए सभी आरोपियों पर आर्थिक दंड भी लगाया गया है.
Muzaffarnagar News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुजफ्फरनगर में शनिवार को 16 साल बाद एक सांप्रदायिक झगड़े के मामले में विशेष समुदाय के 10 लोगों को 5 -5 साल की अधिकतम सजा सुनाते हुए सभी आरोपियों पर 34 हज़ार रूपये का आर्थिक दंड भी लगाया है. बता दें कि सन 2006 में डेनमार्क में पैगंबर साहब का एक कार्टून बनाया गया था. जिसको लेकर मुजफ्फरनगर के इस्लामिया इंटर कॉलेज में भी इसके विरोध में बड़ा प्रदर्शन करते हुए विशेष समुदाय के लोगों ने एक जलसे का आयोजन किया था. उस दिन जलसा खत्म होने के बाद जब हजारों की भीड़ अपने घर लौट रही थी तो सिविल लाइन थाना क्षेत्र की कच्ची सड़क रोड पर विशेष समुदाय की इस भीड़ का दूसरे समुदाय के लोगों से झगड़ा हो गया था.
क्या है पूरा मामला?
इस संप्रदाय झगड़े के चलते पुलिस ने इस मामले में 27 लोगों पर सिविल थाने में मुकदमा दर्ज किया था. जिसमें रविवार को न्यायालय ने 14 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी करते हुए विशेष समुदाय के 10 लोग नसीम, कलीम, नासिर, इरफान, रियाज, इकबाल, नदीम, दिलशाद, गुड्डू और साबिर को 5-5 साल की अधिकतम सजा और सभी आरोपियों पर 34 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया है जबकि इन 27 आरोपियों में से 3 लोगों की मौत हो चुकी है. न्यायालय के आदेश पर इन सभी 10 आरोपियों को पुलिस अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है.
10 लोगों को 5 साल की सजा और जुर्माना
इस मामले की अधिक जानकारी देते हुए कमल कुमार सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि मुजफ्फरनगर में 16 साल पुराने एक मुकदमे में जो पैगंबर साहब का कार्टून बनाया गया था. डेनमार्क में उसके चलते मुजफ्फरनगर में भी प्रदर्शन हुआ था. हमारे यहां इस्लामिया इंटर कॉलेज में विशेष समुदाय के लोगों ने एक बहुत बड़ा जलसा किया था.
इस जलसे से जब हजारों की भीड़ अपने घर जा रही थी तो सरवट गांव के कच्ची सड़क पर विशेष समुदाय के लोगों पर पथराव हुआ जिसके बाद संप्रदायिक झगड़ा हुआ था. दोनों तरफ से इसमें कुल 27 मुजरिमों में से 24 माननीय न्यायालय के सामने उपस्थित रहे जिनमें 10 मुजरिमों को सजा सुनाई गई जो एक विशेष समुदाय के थे और 14 जो मुजरिम जो थे उनको रिहा किया गया है.
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