मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar)की खतौली विधानसभा सीट (Khatauli Assembly Seat) से बीजेपी (BJP) विधायक विक्रम सैनी (Vikram Saini) को बुधवार को एक अदालत ने भड़काऊ भाषण देने के एक मामले से बरी कर दिया. पुलिस इस मामले में उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं पेश कर पाई. सैनी को मंगलवार को मुजफ्फनगर में हुए दंगे से पूर्व हुए कवाल कांड के एक मामले में दोषी करार दिया था. अदालत ने सैनी समेत 12 लोगों को दो-दो साल की सजा सुनाई थी. उन पर 10-10 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया था. सजा दो साल की होने की वजह से अदालत ने सभी लोगों को जमानत दे दी थी. सैनी ने कहा है कि वो इस सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे.


विधायक के खिलाफ कब दर्ज हुआ था केस


मुजफ्फरनगर दंगे से पूर्व 21 फरवरी 2013 को भड़काऊ भाषण देने के आरोप में खतौली विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी पर पुलिस ने धारा 153 ए और 295 ए में मुकदमा दर्ज किया था. इस मामले में मुजफ्फरनगर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने बुधवार को सबूतों के अभाव में विधायक विक्रम सैनी को बाइज्जत बरी कर दिया.


विधायक विक्रम सैनी के वकील भरत वीर सिंह अहलावत ने बताया कि यह मामला 21 फरवरी 2013 का था. उन्होंने कहा कि दंगों से पहले सैनी पर धारा 153 ए और 295 ए के तहत फर्जी मुकदमा कायम किया गया था. इसमें दूसरे संप्रदाय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप था, जबकि ऐसी कोई बात नहीं थी. उन्होंने कहा कि माननीय न्यायालय ने आज सबूतों के अभाव में विधायक जी को बाइज्जत बरी कर दिया है. 


अदालत के फैसले पर विधायक ने कहा


वहीं बीजेपी विधायक का कहना है कि पुलिस ने कब मेरे खिलाफ मुकदमा लिख दिया, मुझे पता ही नहीं चला. उन्होंने कहा कि पुलिस ने 153 ए और 295 ए भड़काऊ भाषण देने का मुकदमा कायम किया था. इसका पता मुझे तब चला जब कोर्ट का वारंट मेरे पास आया. उन्होंने कहा कि उस समय की सपा सरकार ने हम जैसे राष्ट्रवादी-हिंदूवादी लोगों पर बदले की भावना से ये मुकदमे दर्ज कराए थे. उस सरकार ने बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ताओं के खिलाफ यह मुकदमा लिखवाया था. उन्होंने कहा कि यह मुकदमा पुलिस पर दबाव डालकर लिखवाया गया था.


उन्होंने कहा कि हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं, मुझे कल भी जो सजा सुनाई गई थी उसमें भी हमें कोई नाराजगी नहीं है, लेकिन मैं खुश भी नहीं हूं क्योंकि झूठा मुकदमा है था. उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की उम्मीद नहीं थी कि सजा हो जाएगी. उन्होंने कहा कि हम इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे. उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ जी की सरकार में गुंडों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है, वहीं सपा सरकार में हम जैसे भले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाती थी यह अंतर है.


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