Uttar Pradesh News: सपा विधायक आजम खान (Azam Khan) के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) जनपद की खतौली विधानसभा सीट (Khatauli Assembly Seat) से बीजेपी के विधायक विक्रम सैनी (BJP MLA Vikram Saini) की भी विधानसभा सदस्यता रद्द होने की बात सामने आ रही है. इसे लेकर बीजेपी विधायक विक्रम सैनी ने कहा है कि वैसे तो उन्हें खबरों द्वारा ही ये जानकारी मिल रही है और अगर ऐसा है तो वह कानून का सम्मान करते हैं क्योंकि कानून सभी के लिए एक है तो वह इस फैसले को सर झुकाकर स्वीकार करते हैं.
मिली थी दो साल की सजा
बता दें कि दंगे से पहले 27 अगस्त 2013 को मुजफ्फरनगर जनपद के कवाल गांव में गौरव और सचिन की हत्या के बाद पुलिस ने खतौली विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी सहित 28 लोगों पर धारा 147 ,148 ,149 ,307 ,336 ,353 ,504 और 506 में मुकदमा दर्ज किया था. जानकारी के मुताबिक विधायक विक्रम सैनी सहित इन सभी 28 में से 12 लोगों को 11 अक्टूबर के दिन मुजफ्फरनगर स्थित एमपी-एमएलए कोर्ट ने दो-दो साल की सजा सुनाते हुए 10-10 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया था जबकि 15 लोग इस मामले में सबूतों के अभाव में बरी हो गए थे तो वहीं एक की मृत्यु हो गई थी.
क्या कहा विधायक ने
विक्रम सैनी की माने तो यह जानकारी सिर्फ व्हाट्सएप पर और मीडिया में आई है लेकिन मुझे अभी ऐसी कोई सूचना नहीं मिली की सदस्यता रद्द हो गई हो. कानून से बड़ा कोई नहीं है. कानून के अंतर्गत अगर ऐसा होगा कि 2 साल या उससे अधिक की सजा पर सदस्यता जा सकती है तो मुझे मंजूर है क्योंकि कानून सबके लिए बराबर है चाहे वह आजम खान हों या विक्रम सैनी हों. अगर ऐसा होता है तो मैं इसे सिर झुकाकर स्वीकार करता हूं. कवाल में दंगा हुआ था जिसमें गौरव-सचिन की हत्या कर दी गई थी. हमने बहन बेटियों के सम्मान में लड़ाई लड़ी थी.
विधायक सैनी ने कहा, पुलिस ने फर्जी मुकदमा दर्ज कायम किया था. कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई थी. सजा का भी कोई गम नहीं है, हमने लड़ाई लड़ी है और लड़ते रहेंगे. पार्टी का कार्यकर्ता होने के नाते काम करता रहूंगा. मेरी विधानसभा सदस्यता जा सकती है लेकिन मेरी पार्टी की सदस्यता तो रहेगी. मैं पार्टी के लिए चार गुना शक्ति से कार्य करता रहूंगा. देश हित में काम करता रहूंगा, हिंदू हित में कार्य करता रहूंगा. कानून से बड़ा कोई नहीं है. सतीश महाना भी कानून के अनुसार ही काम करेंगे, सदस्यता वे भी रद्द नहीं कर सकते.
विधायक सैनी ने कहा कि, अगर कानून के अंतर्गत 2 साल या अधिक सजा पाए जनप्रतिनिधि की सदस्यता जा सकती है तो सतीश महाना जी भी उसे रोक नहीं सकते. अगर कम है तो वह सदस्यता रद्द नहीं कर सकते. वे कानून का पालन करने वाले हमारे विद्वान विधानसभा अध्यक्ष हैं. कानून की उन्हें जानकारी है तो वह वही करेंगे जो कानून के अंतर्गत होगा. जयंत चौधरी को विधानसभा अध्यक्ष को यह लेटर नहीं लिखना चाहिए था. लेटर गलत जगह लिखा है. सदस्यता तो सजा पाते ही चली जाती है.