Muzaffarnagar: गन्ना किसानों के लिए सिरदर्द बना टॉप बोरर कीट का हमला, जानिए- इसे कंट्रोल करने के लिए विशेषज्ञों की राय
अगर किसी किसान के खेत में यह बीमारी लग गई तो पास के खेत में भी पहुंच जाती है. इस कीड़े के एक के बाद एक खेत में लगने से जनपद का गन्ना किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में गन्ना किसानो के लिए सर दर्द बना टॉप बोरर कीट (Top borer pest) यानी अगोला बेधक कीट ने जहां गन्ना किसानो की नींद हराम कर दी है तो वहीं गन्ने की मिठास के साथ साथ गुड़ की आवक पर भी इसका असर देखा जा सकता है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसल में यह कीट तेजी से फैल रहा है और किसान परेशान हैं. कीट का प्रकोप वैरायटी को-0238 में अधिक होता है और जिले में 95 फीसद से अधिक फसल इसी वैरायटी की है. कीट का प्रकोप बढ़ने पर उत्पादन और गुणवत्ता प्रभावित होती ही है.
किसान परेशान
गन्ना बकाया तो किसानों की प्रमुख समस्या है ही लेकिन करीब-करीब सभी फसलों पर मौसम की मार भी पड़ी है. अब गन्ना किसान इसलिए परेशान हैं, क्योंकि फसल में अगोला बेधक कीट लगने लगी है. गन्ना अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरनगर और कृषि रक्षा अधिकारी मुजफ्फरनगर डॉक्टर वीरेश सिंह का कहना है कि आमतौर पर यह कीट अप्रैल से शुरू हो जाता है और सितंबर तक चलता है.
किसान ने क्या कहा
गन्ना किसान सुमित मलिक ने बताया कि, गन्ने की फसल में बहुत सी बीमारी है. खासकर फागुन के महीने में जिसने भी गन्ने की फसल लगाई है और जब यह फसल दो-तीन फुट की हो जाती है तो इसमें टॉप बोरर नाम का कीड़ा लग जाता है जिसे किसान सुंडी बोलते हैं. यह कीड़ा गन्ने के पौधे को सुखाना शुरू कर देता है. इस समय कीटनाशक दवाइयों के छिड़काव की बहुत ज्यादा जरूरत है. गन्ने की यह बीमारी फैलने वाली बीमारी है. अगर किसी किसान के खेत में यह बीमारी लग गई तो पास के खेत में भी पहुंच जाती है. इस कीड़े के एक के बाद एक खेत में लगने से जनपद का गन्ना किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है.
कृषि रक्षा अधिकारी ने क्या बताया
कृषि रक्षा अधिकारी यतेंद्र सिंह ने कहा, यह अर्ली टॉप बोरर कीड़ा है जो गन्ने में लग जाती है जिसे किसान सुंडी बोलते हैं. यह अभी दूसरी और तीसरी स्टेज में है. ये अप्रैल और मई के महीने में होती है. जो किसान गहरी जुताई और कल्चरल प्रैक्टिस नहीं करते हैं उनकी फसलों में यह परजीवी जमीन में रहने के कारण अगले वर्ष भी अंडे देते हैं और एक बार फिर फसलों को प्रभावित करते हैं. गन्ना शोध केंद्र द्वारा पैकेज और प्रैक्टिस के अंतर्गत क्लॉड एंट्रो रसायन 75 मिलीलीटर प्रति हेक्टर की दर से अगर फसल की जड़ों में स्प्रे करते हैं और उसके बाद सिंचाई करते हैं तो यह रसायन जमीन के अंदर कीट पतंगों को प्रभावित करती है.
कब स्प्रे करें
कृषि रक्षा अधिकारी ने कहा कि, उसके बाद भी अगर किसानों को यह लगता है कि कीड़ा अभी खत्म नहीं हुआ है तो काटर क्लोराइड 50 परसेंट से लेकर 75% तक का भी स्प्रे कर दें जिससे यह कीड़ा पूरी तरह खत्म हो जाएगा. दिन में अधिक तापमान होने के कारण रसायन का प्रभाव फसलों पर कम होता है. इन रसायनों का सुबह और शाम को ही स्प्रे किया जाए. गन्ने में लगने वाला यह कीड़ा 1 दिन में 200 से ज्यादा अंडे देती है और अगर अगली पीढ़ी में यह कीट जाएगी तो तीसरी पीढ़ी तक एक करोड़ से अधिक कीट होने की संभावनाएं रहती है.
और क्या क्या करना चाहिए
कृषि रक्षा अधिकारी ने कहा, इस केट की वजह से गन्ने के फसल की पत्तियां सूखने लगती हैं और कीट के अंडे पत्तियों के नीचे मिलेंगे इसलिए खेत में खरपतवार का भी ध्यान रखना चाहिए. निलाई और जुताई समय से करनी चाहिए ताकि इस कीट के अंडों को खत्म किया जा सके. अगर फसल पर गिरनार और अंडे दिखाई दें तो किसानों को मिट्टी का तेल किसी बर्तन में डालकर उन्होंने कोष में डाल देना चाहिए. कृषि विभाग समय-समय पर कैंप लगाकर किसानों को इस कीड़े के बारे में जागरूक करता है और फसल के रखरखाव की जानकारी देता है. इस वर्ष गन्ने में इस तरह की बीमारी ज्यादा देखने को मिली है. इसका मुख्य कारण यही है कि किसान एक खेत से लगातार फसल ले रहे हैं इसलिए भूमि में इस कीड़े के अंडे बने रहते हैं.
संयुक्त निदेशक ने क्या बताया
संयुक्त निदेशक, गन्ना अनुसंधान केंद्र डॉक्टर वीरेश सिंह ने बताया, गन्ने में जो टॉप बोरर का कीड़ा आया है यह नया नहीं है लेकिन 2 वर्ष बाद इस कीड़े की तीव्रता बढ़ी है. अगर आप ध्यान से देखेंगे तो खासकर जो पेडी की फसल है उसमें यह कीड़ा बहुत ज्यादा संख्या में दिख रहा है. अगर यह कीड़ा पौधे को खा भी लेता है तो नीचे से नए पौधे निकल कर आ जाते हैं और गन्ने की फसल को उतना नुकसान नहीं होता है लेकिन अगर समय रहते इस कीड़े को कंट्रोल नहीं किया गया तो इस कीड़े की जो तीसरी पीढ़ी आएगी वह बहुत खतरनाक स्टेज में आएगी और गन्ने की फसल को बहुत ज्यादा नुकसान होगा जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल होगा.
पत्तियों को नष्ट कर दें-संयुक्त निदेशक
संयुक्त निदेशक ने कहा, किसान खेतों में घूम कर जिन पत्तियों पर कीड़ा लगा है उन पतियों को नष्ट कर दें तो इस कीड़े की पिंडली आगे नहीं बढ़ पाएगी. यह दोनों तरीके पहली और दूसरी पीढ़ी को रोकने के तरीके हैं. तीसरी पीढ़ी जो कि जून के महीने में आती है शुरु हो गई हो तो उसको कंट्रोल करने के लिए कोराजिन दवाई है. कोराजन दवाई का स्प्रे मई के दूसरे और तीसरे सप्ताह में शुरू कर देना चाहिए. यह दवाई इस कीड़े की तीसरी पीढ़ी को कंट्रोल करेगी.
कीड़ा किस वजह से लगता है
संयुक्त निदेशक ने कहा, इन कीड़ों के गन्ने में लगने का कारण यह कि किसान फसल तैयार होने के बाद फसल को पूर्ण रूप से खत्म नहीं करते हैं. दूसरी फसल लेने के लिए जड़ों को छोड़ देते हैं इसलिए इस कीड़े की यह तीसरी पीढ़ी है. यह गन्ने की जड़ों में रह जाती है और एक बार फिर गन्ने की फसल पर काबिज हो जाती है. दूसरी वजह यह है कि किसान गन्ने के खेत की साफ सफाई नहीं करते हैं. बहुत संख्या में पत्तियां और खरपतवार होने के कारण भी यह कीड़ा आसानी से गन्ने में लग जाता है.