Nag Panchami 2021: आज नाग पंचमी का त्योहार है. कानपुर शहर में इस दिन को गुड़िया के पर्व के नाम से भी जाना जाता है. आज कानपुर महानगर में इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. मान्यता के मुताबिक आज बहनें कपड़े की गुड़िया सड़क पर डालती हैं और भाई उसे डंडों से पीटते हैं. पतंगबाजी के शौकीन लोग आज पूरे आसमान को रंग बिरंगी पतंगों से भर देते हैं.  


पतंगों से पट जाता है आसमान


सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है. कानपुर शहर में इस त्योहार को अलग और अनूठे तरीके से मनाया जाता है. इस दिन आसमान पतंगों से सराबोर हो जाता है. पतंगो के शौकीन दूर-दूर से पतंगबाजी करने पहुंचते हैं. अच्छे खासे लोग इस दिन पतंगों की दुकानों में देखे जा सकते हैं. 


नागपंचमी को कहते हैं गुड़िया का त्योहार


वहीं, दुकानदार भी इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं. अब आपको बताते हैं कि, इसे गुड़िया का त्योहार भी क्यों कहते हैं? दरअसल इसकी कहानी भाई-बहन की कहानी से जुड़ी है. कहानी के अनुसार एक व्यक्ति भगवान शिव का परम भक्त था और रोज़ मंदिर जाकर वो आराधना करता था. एक दिन मंदिर में उसे एक नागदेवता के दर्शन हुए, जिसके बाद वो लड़का रोजाना उस नाग को दूध पिलाने लगा और धीरे-धीर दोनों में अच्छी मित्रता हो गई. जब भी नाग उस लड़के को देखता था सांप अपनी मणि छोड़कर उसके पैरों में लिपट जाता. 


एक दिन सावन के महीने में भाई-बहन मंदिर गए तो मंदिर में नाग लड़के को देखते ही उसके पैरों से लिपट गया. बहन ने जब देखा तो उसे लगा कि, नाग उसके भाई को काट रहा है. लड़की ने भाई की जान बचाने के लिए नाग को पीट-पीट कर मार डाला. इसके बाद जब भाई ने पूरी कहानी सुनाई तो लड़की रोने लगी, फिर लोगों ने कहा कि नाग देवता का रूप होते हैं इसलिए दंड तो मिलेगा. चूंकि यह गलती से हुआ है, इसलिए लड़की की जगह कपड़े से बनी गुड़िया को पीटा जाएगा. तब से ये परंपरा पड़ गई. 


वहीं, असल रौनक आसमान में पटी पड़ी पतंगों से दिखती है. रंग बिरंगी पतंगे और हंसते खिलखिलाते पतंग उड़ाते बच्चों और लोगों के चेहरे इस दिन अलग ही उत्साह में होते हैं.


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