Nagar Nikay Chunav 2022: मायावती ने निकाय चुनाव में चला पुराना पैंतरा, अतीक अहमद को भी भाया BSP का साथ, जानें कैसे
Nagar Nikay Chunav 2022: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के जरिए मायावती पुराने फार्मूले पर वापस आ रही हैं. अतीक के परिवार ने पिछले साल 7 सितंबर को लखनऊ में एआईएमआईएम की सदस्यता ली थी.
UP Nagar Nikay Chunav 2022: उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव से पहले बड़ा सियासी उलटफेर होने जा रहा है. माफिया घोषित किए गए पूर्व बाहुबली सांसद अतीक अहमद और परिवार जल्द ही असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से नाता तोड़ने की तैयारी में है. अतीक का परिवार ओवैसी की पार्टी को छोड़कर मायावती की बहुजन समाज पार्टी में शामिल होने जा रहा है. अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन और परिवार के कुछ दूसरे सदस्य जल्द ही बीएसपी में शामिल होंगे. इतना ही नहीं अतीक़ की पत्नी शाइस्ता परवीन बीएसपी के टिकट पर प्रयागराज में मेयर का चुनाव भी लड़ेंगी. एबीपी गंगा के पास इस बात की पुख्ता जानकारी है कि बाहुबली की पत्नी शाइस्ता परवीन जिस दिन औपचारिक तौर पर बीएसपी में शामिल होंगी, उसी दिन उन्हें प्रयागराज से मेयर का उम्मीदवार बनाए जाने का एलान भी कर दिया जाएगा.
बाहुबली अतीक अहमद (Atique Ahmed) की पत्नी को मेयर का उम्मीदवार बनाकर मायावती (Mayawati) यूपी में दलित-मुस्लिम गठजोड़ के पुराने प्रयोग को एक बार फिर दोहराना चाहती हैं. शाइस्ता परवीन बीएसपी (BSP) के टिकट पर प्रयागराज में मेयर का चुनाव लड़ेंगी. बीएसपी में शामिल होने के मौके पर प्रयागराज से मेयर उम्मीदवार (Prayagraj Mayor Candidate) बनाए जाने का एलान कर दिया जाएगा. बीएसपी के बड़े नेताओं से अतीक परिवार की कई दौर की बातचीत हो चुकी है. शाइस्ता परवीन हफ्ते के अंदर लखनऊ में बीएसपी की सदस्यता ग्रहण करेंगी. पार्टी में शामिल किए जाने और मेयर का टिकट मिलने का सिर्फ औपचारिक ऐलान बाकी है. गुजरात की साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद को अभी बीएसपी की सदस्यता नहीं दी जाएगी. अतीक के परिवार से जुड़े करीबियों और बीएसपी सूत्रों ने एबीपी गंगा से खबर की पुष्टि की है.
माना जा रहा है कि मायावती की नजर प्रयागराज के साथ आसपास जिलों में मुस्लिम वोटों पर है. प्रयागराज और आसपास के तकरीबन दर्जन भर जिलों में अतीक का ठीक-ठाक सियासी दखल है. अतीक अहमद प्रयागराज की शहर पश्चिमी सीट से लगातार पांच बार विधायक रहे हैं. प्रयागराज की फूलपुर सीट से अतीक अहमद साल 2004 में समाजवादी पार्टी (SP) के टिकट पर सांसद बने थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद को कानपुर कैंट सीट से उम्मीदवार घोषित किया था. अखिलेश यादव ने पार्टी की कमान संभालने के बाद अतीक का टिकट काट दिया.
प्रयागराज में मेयर की सीट ओबीसी वर्ग के लिए रिजर्व है. अतीक की पत्नी के बीएसपी से लड़ने पर प्रयागराज में मेयर का चुनाव दिलचस्प हो जाएगा. अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन का पहला चुनाव होगा. अतीक के परिवार ने पिछले साल 7 सितंबर को लखनऊ में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) की सदस्यता ली थी. एक हफ्ते के भीतर बाहुबली अतीक अहमद का परिवार पहली बार मायावती की पार्टी में शामिल होगा. अतीक के परिवार का मायावती की पार्टी में शामिल होना और मेयर का टिकट हासिल करना चर्चा का सबब बनेग. अतीक अहमद को दोबारा समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके चाचा शिवपाल यादव के बेहद करीबी माना जाता है.
सियासी मजबूरी मायावती और अतीक का साथ आना
महज संयोग है कि शिवपाल यादव की घर वापसी के बाद अतीक परिवार ने भी बीएसपी में शामिल होने का फैसला किया. अतीक अहमद और मायावती की सियासी केमिस्ट्री एक दूसरे से कतई मैच नहीं खाती है. अब वक्त का तकाजा है कि दोनों को एक दूसरे के साथ खड़े होना पड़ रहा है. मायावती की पार्टी साल 2007 के बाद से किसी भी चुनाव में संतोषजनक प्रदर्शन नहीं कर सकी है. बाहुबली अतीक अहमद का परिवार भी साल 2005 के बाद से कोई चुनाव नहीं जीत पाया है. ऐसे में एक दूसरे के सहारे दोनों दम तोड़ती सियासी ताकतों को कुछ संजीवनी देने की कोशिश कर रहे हैं.
मेयर चुनाव के जरिए दलित-मुस्लिम गठजोड़ का पैंतरा
राजनीतिक विश्लेषक और पत्रकार मनोज तिवारी के मुताबिक एक दूसरे की मदद से अतीक और बीएसपी दोनों को फायदा होगा. उनका कहना है कि दलित-मुस्लिम गठजोड़ का प्रयोग सफल रहने पर मायावती साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भी जरूर आजमाना चाहेंगी. अतीक की सियासी ताकत से कोई इनकार नहीं कर सकता. मायावती के पास आज भी बड़ी संख्या में दलित वोट बैंक है. ऐसे में दलित-मुस्लिम का गठजोड़ कमाल कर सकता है. मनोज तिवारी के मुताबिक साल 2012 में प्रयागराज में अभिलाषा गुप्ता नंदी दलित और मुस्लिम वोटों की ताकत से ही बीएसपी की मेयर चुनी गई थीं.
बाहुबली अतीक अहमद कई कारणों से मायावाती के निशाने पर रह चुके हैं. 1995 में स्टेट गेस्ट हाउस प्रकरण, साल 2005 में बीएसपी के राजू पाल हत्याकांड से दोनों में दूरियां और बढ़ गई थीं. घटना के वक्त अतीक अहमद समाजवादी पार्टी से सांसद थे. राजू पाल की हत्या के बाद मायावती ने पत्नी पूजा पाल को दो बार बसपा पार्टी से विधायक बनाया था. कुछ वर्षों पहले पूजा पाल बीएसपी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गईं. पूजा पाल वर्तमान में कौशांबी जिले की चायल सीट से विधायक हैं.