UP Nikay chunav 2023: साल 2024 में होने वाली लोकसभा चुनाव(Lok Sabha election) को लेकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) संगठन को मजबूत करने में जुटी है लेकिन साथ ही कहीं ना कहीं समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) में कन्फ्यूजन की भी स्थिति नजर आ रही है.  चाहे वो बात संगठन विस्तार की हो या फिर मेयर पद के उम्मीदवारों की.  पहले संगठन विस्तार के बाद समाजवादी पार्टी(Samajwadi party) को संशोधन की कई लिस्ट जारी करनी पड़ी. वहीं यूपी के निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी(Samajwadi party) ने सबसे पहले 17 उम्मीदवार तो मेयर पद के घोषित कर दिए लेकिन बाद में सपा ने उसमें बदलाव करते हुए कई चेहरे को बदल दिया.



समाजवादी पार्टी इस कोशिश में जुटी है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी संगठन को मजबूत किया जाए. यूपी में हो रहे निकाय चुनाव के जरिए पार्टी अपनी तैयारियों को जांचने में जुट गई है. बरेली में तो हालत यह हो गई है कि पार्टी ने अपने अधिकृत उम्मीदवार का ही पर्चा वापस करा दिया और अब पार्टी वहां पर निर्दलीय उम्मीदवार आई एस तोमर को समर्थन कर रही है. जबकि गाजियाबाद में पहले नीलम गर्ग को उम्मीदवार बनाया था और फिर उन्हें बदलकर पूनम यादव को कैंडिडेट बना दिया गया. इसी तरह मेयर पद के लिए पहले ललिता जाटों को उम्मीदवार को बनाया गया था जिसे बदलकर जूही प्रकाश को उम्मीदवार बना दिया गया.


निकाय चुनाव में बदले गए कई चेहरे


वहीं अयोध्या में जब पहली लिस्ट जारी हुई तो पहले उम्मीदवार के तौर पर आलोक पांडे का नाम था लेकिन बाद में संशोधित लिस्ट जारी करते हुए आशीष पांडे को उम्मीदवार बनाया गया. इसी तरह झांसी में रघुवीर चौधरी को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन बाद में रघुवीर चौधरी को बदलकर सतीश जतारिया को मेयर पद का उम्मीदवार बनाया गया.  जबकि शाहजहांपुर में तो पार्टी ने अर्चना वर्मा को मेयर पद का उम्मीदवार बनाया था. अर्चना वर्मा सपा का दामन छोड़कर बीजेपी में चली गई और फिर वहां भी समाजवादी पार्टी को अपना उम्मीदवार बदलना पड़ा. यानी कैंडिडेट के चयन में समाजवादी पार्टी काफी कन्फ्यूज नजर आ रही है.

ऐसा नहीं है कि केवल बरेली में यह स्थिति नजर आई है बल्कि नगर पालिका और नगर परिषदों में भी ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है. बात अगर संत कबीरनगर की करें तो वहां पर खलीलाबाद नगर पालिका में भी कुछ ऐसी ही स्थिति बनी हुई है. पार्टी ने पहले जगत जयसवाल को सिंबल दिया लेकिन बाद में उनसे सिंबल वापस लेकर पवन छापड़िया को दे दिया. फिर पवन को चुनाव में बैठने को कहा लेकिन पवन नहीं मानें, अब पवन पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार हैं. साइकिल सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन जिला अध्यक्ष कह रहे हैं कि अब जगह जयसवाल समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हैं और पार्टी उन्हें समर्थन कर रही है. यानी कंफ्यूजन की स्थिति केवल नगर निगम में नहीं बल्कि नगर पालिका में भी है। इतना ही नहीं अखिलेश यादव को 30 अप्रैल को सन्त कबीर नगर भी जाना है, जहां वो पूर्व सांसद को श्रद्धांजलि अर्पित करने जाएंगे लेकिन सवाल यह है कि क्या अधिकृत उम्मीदवार होते हुए भी अखिलेश यादव किसी दूसरे के लिए प्रचार भी करेंगे.


बीजेपी ने बताया  पार्टी में हैं कन्फ्यूजन की स्थिति



कन्फ्यूजन की स्थिति केवल मेयर या नगर निगमों में टिकट देने के दौरान ही सामने नहीं आई बल्कि इसी साल की शुरुआत में जब समाजवादी पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की थी तब भी उसे संशोधन की कई लिस्ट जारी करनी पड़ी थी. अब बीजेपी साफ तौर पर कह रही है कि दरअसल समाजवादी पार्टी ये तय ही नहीं कर पा रही है कि उसे करना क्या है. जबकि समाजवादी पार्टी के नेता कह रहे हैं कि कहीं पर कोई कंफ्यूजन नहीं है पार्टी नेतृत्व ने जो उम्मीदवार जीतने वाला है उन्हें ही मैदान में उतारा है. 


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