'तानाशाही सरकार घोंट रही युवाओं का गला', सदन नहीं चल पाने से भड़के चंद्रशेखर आजाद
Chandrashekhar Azad ने कहा कि आज युवा कई परेशानियों से गुजर रहा है. पहले शिक्षा का बाजारीकरण हो गया है.अमीरों के बच्चे तो पढ़ रहे हैं लेकिन गरीब के नहीं. नौकरियों का भी बुरा हाल है.
Chandrashekhar Azad: संसद के शीतकालीन सत्र भी हंगामेदार की भेंट चढ़ता हुआ दिख रहा है. विपक्ष के हंगामे के चलते सदन की कार्रवाई नहीं हो पा रही है. विपक्ष अडानी समेत तमाम मुद्दों को लेकर हंगामा कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ नगीना से सांसद और आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद युवाओं के मुद्दे के उठाते हुए दिखाई दिए. उन्होंने कहा कि सरकार का तानाशाही रवैया युवाओं का गला घोंट रहा है.
चंद्रशेखर आजाद अकेले ही हाथ में तख्ती लेकर खड़े दिखाई दिए जिस पर लिखा था 'तानाशाही बंद करो, युवाओं का दर्द सुनो'. नगीना सांसद ने कहा कि जिस दिन से ये सत्र शुरू हुआ है तब से मैं कोशिश कर रहा हूं कि बेरोजगार युवाओं के दर्द पर संसद में चर्चा हो. आज भी प्रश्नकाल नहीं चल पाया. ऐसा नहीं कि सिर्फ विपक्ष की वजह से ये नहीं हुआ बल्कि सत्ता में बैठे लोग भी नहीं चाहते है सरकार को जवाब देना पड़े.
बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर साधा निशाना
उन्होंने कहा कि आज आप हालात देख रहे है कि युवा कई परेशानियों से गुज़र रहा है. पहले शिक्षा का बाजारीकरण हो गया है. 50 फीसद तक शिक्षा के क्षेत्र का निजीकरण हो चुका है. इससे अमीर के बच्चे तो पढ़ पा रहे हैं लेकिन गरीब के बच्चे नहीं पढ़ पा रहे. इसके बाद भर्ती प्रक्रिया में भी कमियां है पहले भर्ती नहीं आती और आती है तो पेपर लीक हो जाता हैं. एक भर्ती प्रक्रिया चार-पांच साल तक चलती रहती है ऐसे में नौजवानों का दम घुट रहा है.
#WATCH | Delhi: President of Azad Samaj Party-Kanshiram President and MP, Chandrashekhar Azad says, "I am trying to raise the pain of unemployed youth in Parliament...The government does not want to answer the questions in Parliament...Education has become very expensive as 50%… pic.twitter.com/wbAEVsqDel
— ANI (@ANI) December 9, 2024
चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार ने तानाशाही करके नौजवानों के सपनों को कुचलने का काम किया वो बंद होना चाहिए. अगर स्पीकर चाहें तो सदन चल सकता है. विपक्ष कितनी देर हल्ला करेगा. ये दोनों की जिम्मेदारी है कि सदन चले, सत्ता पक्ष भी सदन नहीं चलने के लिए जिम्मेदार है. मुझे अपने क्षेत्र के मुद्दे उठाने थे लेकिन सदन नहीं चला तो मैं क्या करूं, किसे दोष दूं.