Nainital News: उत्तराखंड के नैनीताल में महिला से मारपीट और जातिसूचक गालियां देने के मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी एवं थानाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिये है. इसके साथ अदालत ने इस मामले की जांच दूसरे जनपद के एसएसपी से कराने का आदेश दिया है ताकि जांच को प्रभावित न किया जा सके.
ये मामला नैनीताल जनपद के हल्द्वानी स्थित मुखानी का बताया जा रहा है. शिकायतकर्ता प्रमिला आरोप लगाया है कि जमीन से जुड़े केस में आरोपी गिरीश चंद्र तिवारी उनके परिवार पर केस वापस लेने का दबाव बना रहा था लेकिन जब उन्होंने इनकार कर दिया तो वो उनके घर घुस आया और महिला से मारपीट की. यहीं नहीं उन्हें जातिसूचक शब्द कहते हुए गाली गलौज की. घटना के वक्त महिला के बेटे घर में मौजूद नहीं थी.
आरोप हैं कि पीड़ित परिवार ने जब इसकी शिकायत मुखानी पुलिस थाने में की तो थानाध्यक्ष और तत्कालीन सीईओ ने उनकी सुनवाई नहीं की और न ही आरोपी पर कोई कार्रवाई की जिसके बाद पीड़ित ने कोर्ट में न्याय की गुहार लगाई. कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी एवं थानाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिये है.
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जानें क्या है पूरा मामला?
पूरा मामला जमीन के पैसों से जुड़ा बताया जा रहा है. महिला का कहना है कि वो अपने दो बेटों को साथ रहती हैं. आरोपी गिरीश चंद्र तिवारी ने उसके बेटे पंकज को जमीन में निवेश करने का झांसा देकर उससे पैसे ऐंठ लिए और ब्लैंक चेक भी लेकर रख लिया. पंकज को जब अपने साथ ठगी की एहसास हुआ तो उसने गिरीश के खिलाफ केस कर दिया जो कोर्ट में विचाराधीन हैं.
आरोप है कि न्यायालय में विचाराधीन वाद को लेकर गिरीश चंद्र तिवारी उनके परिवार पर दबाव बना रहा था. 4 जनवरी 2024 को गिरीश उस समय घर में घुस आया, जब उसके दोनों बेटे घर में नहीं थे. आरोपी ने महिला के बालों को पकड़कर घसीटा, गाली गलौज दीं और जाति सूचक शब्दों का प्रयोग किया. जब इस मामले को लेकर प्रमिला थाने पहुंची तो तत्काल सीओ भूपेंद्र सिंह धोनी ने मामले की जांच के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं किया.
कोर्ट ने अब आरोपी गिरीश चंद्र तिवारी पर अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 452, 323, 504 और 506 के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. न्यायालय ने माना कि तत्कालीन मुखानी थानाध्यक्ष और तत्कालीन सीओ भूपेंद्र सिंह धोनी ने अपने कर्तव्यों का ठीक से पालन नहीं किया. कोर्ट ने तत्कालीन दोनों अधिकारियों के खिलाफ भी एसटी एससी एक्ट की धारा 4 के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए.
इनपुट- वेद प्रकाश यादव