Uttarakhand News: नवरात्र (Navratra) के अवसर पर 51शक्तिपीठों में से एक नैनीताल (Nainital) के नैना देवी मंदिर (Naina Devi Mandir) में भी भक्तों की कतार लगी हुई है. मां नैनी देवी में देशभर के भक्तों की अटूट आस्था है. नैनीताल के इस शक्तिपीठ में मां नैना देवी की प्रतिमा के अलावा हनुमान, भगवान शिव, नौ ग्रह, राधा कृष्ण, भैरव मंदिर और संतोषी मां के मंदिर बने हुए हैं.


मंदिर को लेकर है यह मान्यता


ऐसी मान्यता है कि माता सती के पार्थिव शरीर को जब खंडित किया गया था तो उनकी बाईं आंख यहां गिरी थी. दक्ष प्रजापति ने जब विशाल यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रण नहीं दिया, तो इस कदम से नाराज होकर भगवान शिव की पत्नी देवी सती यज्ञ के हवन कुंड में कूद गई थीं. इससे दुखी भगवान शिव ने देवी सती का पार्थिव शरीर लेकर ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाने शुरू कर दिए थे. सृष्टि का संतुलन बिगड़ने से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया, तब सृष्टि के संरक्षक भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शव को खंडित कर दिया था. उनके शरीर का हिस्सा देश के अलग-अलग हिस्सों में गिरा था. देवी सती की बाई आंख नैनीताल में गिरी थी जिसके बाद से इस शक्तिपीठ का नाम नैना देवी रखा गया.


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मन्नत लेकर मां के दरबार पहुंच रहे भक्त


यहां मौजूद नैनी झील को अगर आप ऊंचाई से देखेंगे तो यह आंख के आकार का नजर आता है. नवरात्रों के शुरू होते ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी है.  नैनी सरोवर से लगे नैना देवी मंदिर में पहुंचे श्रद्धालुओं ने मां की पूजा-अर्चना की और खुशहाली की कामना की. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में विराजमान देवी के दर्शन से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. इस शक्तिपीठ के दर्शन के लिए देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. 


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