हरिद्वार. एक अप्रैल से हरिद्वार में कुंभ मेला लगने जा रहा है. कुंभ की तैयारियों को लेकर हाईकोर्ट की एक टीम ने यहां पहुंचकर तैयारियों का जायजा लिया. हाईकोर्ट की टीम 23 मार्च को अपनी रिपोर्ट अदालत के सामने पेश करेगी. बता दें कि कुंभ मेले के अधूरे कार्यों और मेला क्षेत्र में कोविड गाइडलाइन का पालन ना करने को लेकर अदालत में याचिका डाली गई थी. याचिका के बाद कोर्ट ने टीम गठित की थी.
टीम को मिली कई अनियमितताएं
हाईकोर्ट की टीम को कुंभ क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण करने पर कई अनियमितताएं मिली. टीम को शौचालयों की व्यवस्था ठीक नहीं मिली. खस्ताहाल सड़कें, पानी के कनेक्शन भी सही नहीं थे. इसके अलावा सीवर सहित कई कमियां देखने को मिली. कई जगह गंदगी भी देखने में मिली. हर की पैड़ी सहित कई इलाकों में बिना मास्क के लोग घूमते नजर आए. निरीक्षण के दौरान चीफ स्टैंडिंग काउंसिल उत्तराखंड सीएस रावत, सिविल जज सीनियर डिवीजन शिवानी पसबोला, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शिव भट्ट, मेलाधिकारी दीपक रावत, एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय उपस्थित रहीं.
हरिद्वार के याचिकाकर्ता ने डाली थी पीआईएल
हरिद्वार के याचिकाकर्ता सचिन डबराल ने कोविड काल के दौरान नैनीताल हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी. याचिका में कहा गया था कि कुंभ के दौरान आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं से फैलने वाले कोरोना संक्रमण को रोकने की कोई व्यवस्था नहीं कि गई है. इसके बाद अदालत ने कुंभ की व्यवस्थाओं को भी पीआईएल में जोड़ दिया था. मेला प्रशासन ने शपथ पत्र देकर बताया था कि कोरोना को लेकर तमाम व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं. याचिकाकर्ता ने दोबारा साक्ष्यों के साथ कोर्ट में काउंटर एफिडेविट रखते हुए बताया था कि हरिद्वार में कोविड की रोकथाम के ना तो कोई पुख्ता इंतजाम किए गए हैं और न ही कुंभ मेले से पहले शहर में सड़क, बिजली व सीवर के काम को पूरा किया गया है.
अदालत ने बनाई कमेटी
याचिकाकर्ता के साक्ष्यों की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच के आदेश देते हुए एक विशेष टीम का गठन किया था. ये टीम मंगलवार को हरिद्वार पहुंची और भूपतवाला, खड़खड़ी, हर की पैड़ी, बैरागी कैंप, नीलधारा, चंडी टापू समेत उन तमाम इलाकों का स्थलीय निरीक्षण किया जिसमें गड़बड़ी होने के आरोप लगाए गए थे.
क्या बोले याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता सचिन डबराल ने बताया कि पीआईएल पर पांच मार्च को सुनवाई हुई थी. सुनवाई में सरकार के एफिडेविट का खंडन किया था. क्योंकि कुंभ मेले में कोरोना की गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है और ना ही कुंभ के कार्य पूरे किए गए. 24 मार्च को इस पर फैसला आएगा.
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