हरिद्वार, एबीपी गंगा। पेड़ों पर बिजली के तारों और विज्ञापन बोर्ड लगना आम बात हो गई है। बिजली की इन्हीं तारों और विज्ञापन बोर्ड के लिए पेड़ों पर कील ठोंक दी जाती है। कील ठोंकने की वजह से पेड़ों को काफी नुकसान भी होता है। इसी मसले को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने बुधवार को सराहनीय कदम उठाया है। हाईकोर्ट ने पेड़ों पर लगे बिजली के तारों और विज्ञापन बोर्डों को हटवाने के लिए गढ़वाल और कुमाऊं मंडल आयुक्तों को आदेश दिया है।


मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने दोनों आयुक्तों को दो महीने के भीतर प्रदेश के पेड़ों से विज्ञापन बोर्ड और बिजली के तारों को हटवाने का आदेश दिया है। खण्डपीठ ने पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के विरुद्ध वृक्ष संरक्षण अधिनियम और उत्तराखंड सार्वजनिक संपत्ति संरक्षण अधिनियम 2003 के अंतर्गत मुकदमा भी दर्ज करवाने को कहा है। न्यायालय ने प्रदेश के सभी डीएम को आदेश दिए हैं कि वो किसी भी स्थिति में पेड़ों में बिजली के तार और विज्ञापन ना लगने दें। न्यायालय ने कहा कि इसकी वह खुद मॉनिटरिंग भी करेंगे। मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश ने प्रदेश के सभी सरकारी विभागों को कहा है कि वो सभी विज्ञापन दो माह के भीतर हटा लें।


अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि हल्द्वानी निवासी अमित खोलिया ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि कुछ लोगों ने राज्यभर के पेड़ों में विज्ञापन, बिजली के तार समेत कीलें ठोंक दी हैं और इससे पर्यावरण को भारी क्षति हो रही है। उन्होंने न्यायालय से प्रार्थना की थी कि पेड़ों से बिजली के तार, विज्ञापन और कीलों को हटाया जाए।