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200 करोड़ की शाही शादी को HC की मंजूरी, कहा- अगर एक हफ्ते पहले होती सुनवाई, तो किसी को औली में घुसने नहीं दिया जाता
200 करोड़ की शादी शादी को नैनिताल हाई कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर ये सुनवाई एक हफ्ते पहले होती तो किसी को औली में घुसने नहीं दिया जाता।
नैनीताल, कमल जगाती। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कथित 200 करोड़ की चर्चित शाही शादी के मामले में राज्य प्रदूषण बोर्ड और जिलाधिकारी चमोली को निगरानी के लिए जिम्मेदार बनाया है। न्यायालय ने तीन करोड़ रुपये की सुरक्षा धनराशि जमा करने को भी कहा है। खंडपीठ ने ऑर्केस्ट्रा और लाइव बैंड को भी निर्धारित सीमा से ज्यादा ध्वनि से नहीं बजाने के निर्देश दिए हैं। न्यायालय ने कहा है कि लैंडस्केप के प्रकार को जेसीबी मशीन लगाकर नहीं बदला जाए। मुख्य न्यायाधीश ने अंत में कहा कि अगर सुनवाई एक हफ्ते पहले होती तो किसी को औली में घुसने नहीं दिया जाता।
18 से 23 जून तक शादी समारोह
बता दें कि उत्तराखंड के औली में साउथ अफ्रीका के प्रभावशाली उधमी अजय गुप्ता और अतुल गुप्ता के बेटों की शादी 18 से 23 जून तक दुबई के एक परिवार से होनी है। इस शादी की भव्यता की चर्चाएं काफी लंबे समय से सोशल मीडिया समेत राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चित बनी रही। मामला जनहित याचिका के रूप में उच्च न्यायालय पहुंचा और मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में सोमवार और मंगलवार को सुना गया।
कोर्ट ने क्या कहा
काशीपुर निवासी और हाईकोर्ट के अधिवक्ता रक्षित जोशी ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि शादी में उच्च न्यायालय के बुग्यालों (हिम रेखा और वृक्ष रेखा के बीच का क्षेत्र होता है) को लेकर दिए पूर्व आदेशों का घोर उल्लंघन हो रहा है। न्यायालय ने सभी पक्षों से आज जवाब मांगा था।
सरकार ने कोर्ट में कहा
न्यायालय को आज सरकार ने बताया कि औली बुग्याल क्षेत्र में नहीं बल्कि बुग्याल से 400 मीटर की दूरी पर है। औली में टेंट, कुकिंग, लैण्डस्केप सुधार, रूम हीटर, जनरेटर, स्टाफ आदि की विस्तृत जानकारी दी गई। सभी पक्षों को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने जिलाधिकारी चमोली को शादी समारोह की बारीकी से निगरानी करने के लिए कहा और उन्हें इसकी अवमानना के लिए जिम्मेदार बनाया है।
3 करोड़ रुपये की सुरक्षा धनराशि जमा करने के निर्देश
न्यायालय ने तीन करोड़ रुपये की सुरक्षा धनराशि जमा करने का भी निर्देश दिया। पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए राज्य प्रदूषण बोर्ड को अनुमानित खर्च बनाने को कहा गया है, ताकि जमा धनराशि से उसका भुगतान किया जा सके। वहीं, जिलाधिकारी चमोली और राज्य प्रदूषण बोर्ड से 8 जुलाई तक पर्यावरण को हुए नुकसान की रिपोर्ट बनाकर न्यायालय में पेश करने को भी कहा गया है ।
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
Opinion