(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Uttarakhand News: नैनीताल हाईकोर्ट ने अल्मोड़ा के DM और जागेश्वर विधायक को जारी किया नोटिस, जानें- क्या है पूरा मामला?
Nainital High Court News: नैनीताल हाईकोर्ट ने जागेश्वर विधायक मोहन सिंह महरा और डीएम अल्मोड़ा को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट में अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी.
Almora News: उत्तराखंड (Uttarakhand) में नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) ने सियासी पहुंच का इस्तेमाल कर प्रशासन पर नियम के खिलाफ काम करने के लिए दबाव बनाने की नेताओं की प्रवृत्ति पर नाराजगी जाहिर की है. अल्मोड़ा (Almora) जिले के जागेश्वर (Jageshwar) से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि हम यह देखकर दुखी है कि जिन लोगों के पास किसी मामले को देखने की क्षमता नहीं है, वह प्रशासन के कामों में हस्तक्षेप करने के लिए अपने राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन करते हैं. साथ ही प्रशासन राजनीतिक दबाव में बिना अपने विवेक का इस्तेमाल किए काम करता है.
मामले में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने जागेश्वर विधायक मोहन सिंह महरा और डीएम अल्मोड़ा को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. जिला पंचायत अल्मोड़ा में जागेश्वर विकास क्षेत्र के अनुसूचित बहुल गांव में स्थापना सुविधाओं से जुड़ी पांच योजनाओं का काम जून में शुरू किया था. इसमें समाज कल्याण विभाग से अनुसूचित जाति उप योजना में प्राप्त 82.44 लख रुपये की योजनाओं के टेंडर कराए थे. यह टेंडर अल्मोड़ा के राजेंद्र दुर्ग पाल के नाम पर आवंटित हुए थे.
डीएम ने काम बंदर करने के दिए थे आदेश
राजेंद्र दुर्ग पाल ने काफली और मटकन्या गांवों में टैंक सुरक्षा दीवार का काम शुरू कर दिया था. लेकिन, बीते 27 जुलाई को जागेश्वर विधायक ने काम तत्काल बंद कराने और दोबारा टेंडर करने के संबंध में डीएम अल्मोड़ा को पत्र लिखा. साथ ही डीएम ने भी मामले में बिना विचार किए 28 जुलाई को यह निर्माण कार्य बंद करा दिए थे. डीएम अल्मोड़ा के इस आदेश पर ठेकेदार राजेंद्र दुर्ग पाल ने नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है. साथ ही डीएम के आदेश पर रोक लगाते हुए निर्माण कार्य जारी रखने के निर्देश दिए हैं.
अब 23 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई
अब मामले में कोर्ट में अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी. लेकिन, इस मामले से साफ जाहिर होता है कि कैसे राजनीतिक दबाव में प्रशासन काम करता है. बिना मामले की जांच किए विधायक के लेटर को आधार बनाकर निर्माण कार्य पर रोक लगाना, ये साफ जाहिर करता है. इस मामले में कोर्ट की टिप्पणी के बाद प्रदेश भर में किरकिरी हो रही है.
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