Uttarakhand News: उत्तराखंड (Uttarakhand) के नैनीताल (Nainital) में कॉर्बेट और उससे सटे रामनगर वन प्रभाग (Ramnagar Forest Division) में इन दिनों बाघों (Tiger) का आतंक बना हुआ है. बीते दिनों मोहन क्षेत्र में नेशनल हाईवे 309 पर बाघ ने एक युवक को शिकार बना लिया था, जिसके बाद लोगों में दहशत का मौहोल है. ऐसे में घटनास्थल के आस-पास लोग शाम होते ही घरों में कैद हो जाते हैं. वहीं रामनगर वन प्रभाग और कॉर्बेट प्रशासन की संयुक्त टीम बाघों को ट्रेंकुलाइज करने में जुटी हुई है, लेकिन घटना के 10 दिन बीत जाने के बाद भी हमलावर बाघों को पकड़ा नहीं जा सका है.


इसे देखते हुए वनाधिकारियों ने गश्त और कैमरा ट्रैप की संख्या को बढ़ा दिया है. उनका कहना है कि जल्द ही हमलावर बाघों को पकड़ लिया जाएगा. इस बीच एबीपी गंगा की टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर पड़ताल की. पड़ताल में घटनास्थल दानिके आस-पास रामनगर वन प्रभाग और कॉर्बेट की संयुक्त टीम ने गश्त को बढ़ा दिया है. साथ ही क्षेत्र में 24 कैमरा ट्रैप लगाकर बाघों के मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है. साथ ही तीन हाथियों की मदद से लगातार बाघों को ट्रेंकुलाइज करने का प्रयास किया जा रहा है.


16 जुलाई को बाघ ने बनाया था युवक को शिकार


मौके पर मौजूद वनकर्मियों ने बताया कि बाघ की मूवमेंट मानवीय क्षेत्रों में काफी कम देखी जा रही है. इसके चलते बाघों को ट्रेंकुलाइज करने में वन विभाग को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आपको बता दें कि 16 जुलाई को मोहन क्षेत्र में बाघों ने बाइक से जा रहे एक युवक को अपना शिकार बना लिया था. इसके बाद वन विभाग ने उच्चाधिकारियों से दो बाघों को ट्रेंकुलाइज करने की मांग की थी. ऐसे में उच्चाधिकारियों से वन विभाग को दोनों बाघों को चिन्हित कर ट्रेंकुलाइज करने निर्देश मिले हैं.


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दो बाघों को पकड़ने की मिली परमिशन


बाघों को ट्रेंकुलाइज करने के लिए कॉर्बेट और नैनीताल के वन्यजीव चिकित्सकों के नेतृत्व में दो टीमें बनाई गई हैं. इसके साथ ही गर्जिया से मोहन तक जाने वाले लोगों को समूह में वनकर्मियों की निगरानी के साथ ही भेजने का काम किया जा रहा है. कॉर्बेट के वन्यजीव चिकित्सक डॉ. दुष्यंत शर्मा ने बताया कि मोहन क्षेत्र में हमलावर हुए दो बाघों को पकड़ने की परमिशन मिल गई है, लेकिन इस क्षेत्र में कई बाघ होने से उन्हें चिन्हित करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मानसून सीजन होने के चलते बारिश के समय बाघों को ट्रेंकुलाइज करना संभव नहीं है.


डीएनए जांच के लिए भेजे गए बाघों के बाल


उन्होंने बताया कि बाघों को चिन्हित कर उन्हें ट्रेंकुलाइज करने का काम जारी है. वन्यजीव विषेशज्ञ ने बताया कि बीते दो माह में अब तक इस क्षेत्र में बाघ आस-पास पांच घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं. पांचों घटनाओं में बाघों के बालों के सैंपल लेकर डीएनए एनालिसिस के लिए देहरादून भेजे गए हैं, जिसकी रिपोर्ट नहीं आई है. उन्होंने बताया कि अब इसे हैदराबाद भेजा गया है. डीएनए एनालिसिस की रिपोर्ट आने के बाद वनकर्मियों को बाघों को चिन्हित करने में काफी सहायता मिलेगी.


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