Ramnagar News: उत्तराखंड के रामनगर कोतवाली के मालखाने की स्थिति दयनीय हो चुकी है. यहां रखे सामानों को चूहे और दीमक बर्बाद कर रहे हैं, जबकि बारिश के पानी से छत टपकने के कारण कुर्की के दौरान जब्त किए गए सामान खराब हो रहे हैं. कंप्यूटर उपकरण जंग खा चुके हैं और दस्तावेज सीलन के कारण फट गए हैं. इस स्थिति ने पुलिसकर्मियों को भी परेशान कर रखा है, लेकिन अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है.
मालखाने में आबकारी एक्ट के तहत जब्त की गई शराब के पाउचों को चूहे कुतर रहे हैं. कई लीटर शराब चूहों के कारण गायब हो चुकी है. इसके अलावा गांजे के कट्टों और बोरों को दीमक नुकसान पहुंचा रही है. हाल ही में सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत लोक सूचना अधिकारी एसएसपी कार्यालय से जब जानकारी मांगी गई तो मालखाने की दुर्दशा का खुलासा हुआ.
बरसात में टपकती है मालखाने की छत
रामनगर कोतवाली के मालखाने में बरसात के दौरान छतें टपकने लगी हैं. इससे मालखाने में रखे कंप्यूटर उपकरण खराब हो चुके हैं. फोटो सेशन प्रपत्र, नमूना मोहर और अन्य दस्तावेज सीलन के कारण फट गए हैं. कुर्की के दौरान जब्त किए गए सामान, जैसे बिस्तर और कपड़े, सड़-गल गए हैं. लकड़ी के सामान पर दीमक लग गई है, जबकि लोहे के सामान पर जंग जम गया है.
मादक पदार्थों को लेकर पुलिसकर्मियों ने बताया कि गांजे के कट्टों और बोरों को दीमक ने फाड़ दिया है. एक मामले में गांजे के तीन कट्टे मालखाने में रखे गए थे. इनमें से एक कट्टा पुलिस ने जब उठाया तो वह फट गया. इस कट्टे में 8.40 किलो गांजा था, जिसे अब दूसरे कट्टे में स्थानांतरित किया गया है.
NDPS एक्ट में जब्त माल हो चुका खराब
आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार, मालखाने में दीमक और सीलन से स्वापक औषधि और मन प्रभावी पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस एक्ट) के तहत जब्त माल खराब हो चुका है. पुलिसकर्मियों ने बताया कि कीटनाशक डालकर दीमक से बचाव के प्रयास किए जा रहे हैं. चूहों को मारने के लिए चूहे मारने की दवाएं भी रखी गई हैं. बारिश से खराब हुए दस्तावेजों को सुखाकर सुरक्षित स्थान पर रखा जा रहा है.
रामनगर ही नहीं, बल्कि कुमाऊं क्षेत्र के अधिकांश मालखानों की स्थिति ऐसी ही है. पुराने और जीर्ण-शीर्ण भवनों में मालखानों का संचालन हो रहा है, जहां सामान सुरक्षित रखने के उचित इंतजाम नहीं हैं. बरसात के दौरान छतों से टपकते पानी और रखरखाव की कमी ने इनकी स्थिति और खराब कर दी है.
हालांकि इस स्थिति को सुधारने के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं, लेकिन अभी भी प्रभावी कार्रवाई की कमी नजर आती है. पुलिसकर्मी चूहों और दीमक के आतंक से परेशान हैं. आबकारी अधिनियम और कुर्की के सामान को सही तरीके से सुरक्षित रखने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है.
आरटीआई के तहत यह भी पूछा गया था कि पिछले 10 वर्षों में मादक पदार्थों और अन्य सामानों को चूहों, दीमक और सीलन से कितना नुकसान हुआ है. हालांकि, इस सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया. पुलिस ने बस इतना बताया कि कीटनाशकों और अन्य उपायों से सामान को बचाने की कोशिश की जा रही है.
राज्य की पुलिस व्यवस्था पर उठे सवाल
रामनगर कोतवाली के मालखाने की दुर्दशा राज्य की पुलिस व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है. मादक पदार्थों और कुर्की के सामान की सुरक्षा सुनिश्चित करना पुलिस की जिम्मेदारी है, लेकिन मालखाने की खराब स्थिति इस जिम्मेदारी में बड़ी चूक की ओर इशारा करती है. राज्य सरकार और पुलिस विभाग को इस समस्या पर तुरंत ध्यान देकर सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत है.
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