Uttarakhand News: नैनीताल के रामनगर में पांडवों ने गुजारा था अज्ञातवास, भीम ने स्थापित किया था शिवलिंग
Pandav Kalin Mandir: जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने भी रामनगर में स्थित पांडव कालीन मंदिर को सैकड़ों साल पुराना माना है. महाभारत काल के दौरान इस पूरे क्षेत्र को विराटनगर कहा जाता था.
Nainital News: उत्तराखंड (Uttarakhand) को ऐसे ही देवभूमि नहीं कहा जाता है. यहां के कण-कण में भगवान बसते हैं. उत्तराखंड अपने आप में भगवान की धरती है. जहां पर भगवान ने अपना निवास बनाया. इस धरती पर न जाने कितने ही महापुरुषों ने जन्म लिया. उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित रामनगर (Ramnagar) में महाभारत काल के दौरान पांडवों ने भी अपना एक साल का अज्ञातवास पूरा किया था बताया जाता है.
रामनगर को पुरातन काल में विराटनगर कहा जाता था, यहां के राजा महाराजा विराट हुआ करते थे, महाराजा विराट के यहां पर पांडवों ने अपने अज्ञातवास का एक साथ बिताया था. उसी दौरान उन्होंने यहां पर एक मंदिर की स्थापना की थी, जिसमें पांडवों की माता कुंती भगवान शिव की आराधना करती थी. रामनगर में पांडव कालीन मंदिर स्थित है. मंदिर के शिवलिंग की स्थापना भीम की ओर से की गई थी.
भीम ने मंदिर के अंदर की थी शिवलिंग की स्थापना
पांडवों को जब एक साल का अज्ञातवास मिला था तो वह यहां पहुंचे थे. पुरातन काल में इस पूरे इलाके को विराटनगर कहा जाता था. महाराजा विराट यहां के राजा हुआ करते थे और पांडवों ने इसी जगह पर अपनी माता कुंती के साथ एक साल तक अज्ञातवास काटा था. उसी दौरान अपनी माता कुंती के लिए महाबली भीम ने यहां स्थित इस मंदिर के अंदर शिवलिंग की स्थापना की थी.
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने भी इस मंदिर को सैकड़ों साल पुराना माना है. महाभारत काल के दौरान इस पूरे क्षेत्र को विराटनगर कहा जाता था. इस क्षेत्र में महाराजा विराट का राज हुआ करता था. महाभारत काल के दौरान जब पांडवों को एक साल का अज्ञातवास मिला था तो पांडवों ने भेष बदल के यहां पर अपने अज्ञातवास का एक साल काटा था. महाराजा विराट की नगरी में पांचों पांडव अपनी माता कुंती के साथ यहां रहा करते थे.
मंदिर से कुछ ही दूरी पर मौजूद है द्रौपदी कुंड
उसी दौरान अपनी माता कुंती के लिए यहां पर इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना महाबली भीम की ओर से की गई थी. साथ ही इस मंदिर से कुछ ही दूरी पर द्रौपदी कुंड भी मौजूद है, जहां पर रानी द्रौपदी स्नान किया करती थी. उसके बाद इस मंदिर में आकर पूजा किया करती थी. इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. आज जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने भी इस मंदिर को सैकड़ों साल पुराना माना है. यहां स्थित तमाम मूर्तियां कलाकृतियां सैकड़ों साल पुरानी हैं लेकिन आज यह मंदिर उदासीनता का शिकार है. सरकार की ओर से इस ओर कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
स्थानीय ग्रामीण यह मानते हैं कि आज भी पांडवों का वास इस मंदिर में हैं, यहां आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर को पांडवों का वास स्थल मानते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण खुद पांडवों की ओर से किया गया था. महाबली भीम की तरफ से यहां पर स्थित शिवलिंग को स्थापित किया गया था.
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