Uttarakhand News: उत्तराखंड के नैनीताल (Nainital) में बलिया नाले में भूस्खलन और तबाही की खबरों को देखकर आज नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य (Yashpal Arya) ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वो इस संवेदनशील मसले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) से बात करेंगे और इस मुद्दे को विधानसभा (Assembly) में भी उठाएंगे.
एनडी तिवारी के कार्यकाल में हुआ था काम
नैनीताल के तल्लीताल में हरीनगर और कृष्णापुर की पहाड़ी के बीच लगातार हो रहे भूस्खलन ने क्षेत्रवासियों समेत प्रशासन और सरकार की नींदें उड़ा दी हैं. इस क्षेत्र में सबसे पहले 1898 में भूस्खलन दर्ज किया गया, जब 57 भारतीयों और एक ब्रिटिश नागरिक की मौत हो गई थी. कई वर्षों तक यूं ही भूस्खलन जारी रहने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए नारायण दत्त तिवारी ने यहां का ट्रीटमेंट शुरू कराया. भूस्खलन प्रभावित इस हिस्से में जमा हो रहे पानी की निकासी के लिए नालियां बनवाई गईं. काम पूरा ही हुआ था कि एक भूस्खलन में सब तबाह हो गया और पहाड़ दोबारा उसी हाल में जा खड़ा हुआ.
फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन
वर्ष 2018 में भारी भूस्खलन के बाद सरकार एक बार फिर जागी और आईआईटी रुड़की और जापानी कंपनी जायका के साथ करार किए गए. लेकिन इसकी रिसर्च बौनी साबित हुई. मामला उच्च न्यायालय पहुंचा, जिसने एक उच्च स्तरीय जांच कमिटी बना दी. न्यायालय में अभी मामला विचाराधीन है. पिछले दिनों हुए भूस्खलन के बाद वहां रह रहे लोगों को तो हटा दिया गया लेकिन पहाड़ के दरकने का आज भी कोई उपचार नहीं किया गया. अब नेता प्रतिपक्ष के मौका मुआयना करने के बाद एक आस जगी है कि मामले को विधानसभा में उठने के साथ ही शायद सरकार इसका ट्रीटमेंट करने के लिए बाध्य होगी. नेता प्रतिपक्ष के मुख्यमंत्री से मिलकर इसके बचाव की बात करने से भी कुछ निवारण हो सकता है.
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