Nainital News: नैनीताल में नंदा राजसात मेले की हुई शुरुआत, स्थानीय लोगों की ये है मान्यता
Uttarakhand News: नैनीताल में बुधवार से नंदा राजसात मेले की शुरूआत हो गई है. इसे स्थानीय भाषा में "नंदा राजसात" कहा जाता है, एक ऐतिहासिक और धार्मिक मेला है जो हर साल नैनीताल में मनाया जाता है.
Nainital News: नैनीताल में बुधवार को एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन हुआ. मां नंदा सुनंदा की प्रतिष्ठा की गई और इसके साथ ही नंदा राजसात मेले की शुरुआत हो गई. यह मेला नैनीताल और आस-पास के क्षेत्रों में विशेष महत्व रखता है और इसे धूमधाम से मनाया जाता है. नंदा राजसात मेला, जिसे स्थानीय भाषा में "नंदा राजसात" कहा जाता है, एक ऐतिहासिक और धार्मिक मेला है जो हर साल नैनीताल में मनाया जाता है.
इस मेले की शुरुआत मां नंदा और मां सुनंदा की पूजा के साथ होती है. इन दोनों देवीयों को क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार, शक्ति और समृद्धि की प्रतीक माना जाता है. मेला का इतिहास बहुत पुराना है और इसका आयोजन स्थानीय लोगों की धार्मिक आस्थाओं और सांस्कृतिक परंपराओं के अनुरूप किया जाता है. कहा जाता है कि यह मेला क्षेत्र में कृषि और जीवन की समृद्धि के लिए आयोजित किया जाता है. मां नंदा और मां सुनंदा की पूजा का यह पर्व विशेष रूप से अगस्त-सितंबर के बीच आयोजित होता है, जब क्षेत्रीय लोग अपनी धार्मिक आस्था और सामुदायिक भावना को प्रकट करते हैं.
मेला की विशेषताएँ
नंदा राजसात मेला का आयोजन नैनीताल के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के आसपास किया जाता है. इस दौरान, लोग पारंपरिक परिधानों में सजधजकर देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं. मेले में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, भव्य झांकियां और पारंपरिक नृत्य-गीत प्रस्तुत किए जाते हैं, जो इस आयोजन को और भी रंगीन और मनमोहक बना देते हैं.मेले के दौरान, भक्तजन विशेष पूजा विधियों के साथ देवी की प्रतिमा की स्थापना करते हैं. इस अवसर पर मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर भव्य सजावट की जाती है और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल धार्मिक कृत्यों में भाग लेते हैं, बल्कि स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद भी लेते हैं.
नंदा राजसात मेला सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक सामुदायिक उत्सव भी है, जिसमें स्थानीय लोग एकजुट होकर अपने सांस्कृतिक धरोहर को संजोते हैं. मेला क्षेत्र के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसमें भाग लेने वाले लोग इसे एक उत्सव के रूप में मानते हैं. आज मां नंदा सुनंदा की स्थापना के साथ, नैनीताल में इस महत्त्वपूर्ण पर्व की शुरुआत हो गई है. यह मेला स्थानीय परंपराओं और धार्मिक आस्थाओं की गहरी छाप छोड़ते हुए, हर साल एक नई ऊर्जा और उल्लास के साथ मनाया जाता है.
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